राज्यपाल ने विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर वृक्षारोपण, जल संरक्षण एवं जन-स्वास्थ्य अभियान का राज्यस्तरीय कार्यक्रम का किया शुभारंभ

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डाॅ अजय ओझा।

राज्यपाल महोदय ने विकास भारती के बरियातू स्थित परिसर में किया वृक्षारोपण।

रांची, 4 जून । विकास भारती द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर वृक्षारोपण, जल संरक्षण एवं जन-स्वास्थ्य अभियान के राज्यस्तरीय शुभारंभ के अवसर पर राज्यपाल रमेश बैस ने सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वयंसेवी संस्था ‘विकास भारती’ द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में मुझे आप सभी के बीच आकर बहुत हर्ष हो रहा है। कुछ दिन पूर्व अशोक भगत जी आमंत्रित करने आये थे, अशोक भगत जी आमंत्रित करें, मैं न आऊँ, हो ही नहीं सकता।

अपने लिए तो सभी जीते हैं, लेकिन जो व्यक्ति अपने देश व समाज के लिए कुछ करते हैं, उसका नाम सदा रह जाता है। विकास भारती द्वारा पर वृक्षारोपण, जल संरक्षण एवं जन-स्वास्थ्य अभियान समाजहित में एक नेक पहल है। पर्यावरण एवं जन-स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील होकर इस प्रकार के प्रयास करने के लिए स्वयंसेवी संस्था ‘विकास भारती’ को मैं बधाई देता हूँ। मैं पद्मश्री अशोक भगत जी को समाजहित में ऐसे कार्य करने के लिए शुभकामनायें देता हूँ और आशा करता हूँ कि आप इसी प्रकार परोपकार के मार्ग पर चलते रहें। परोपकार से बड़ा कोई पुण्य नहीं और परपीड़न देने से बड़ा कोई पाप नहीं। परोपकारी मनुष्य के स्वभाव में ही दूसरों का भला करने के साथ विभिन्न समस्यायों का निदान करना होता है। परोपकार के मार्ग पर चलने से अलौकिक आनंद मिलता है। सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाके में संस्था द्वारा लोगों के कल्याण के लिए कार्य किया जाना सराहनीय है।

झारखंड के परिप्रेक्ष्य में विकास भारती जैसे संस्था पर्यावरण की दिशा में अहम भूमिका का निर्वाह कर सकते हैं। इस संस्था में लोगों को पर्यावरण सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने की क्षमता है तथा पर्यावरण संबंधी चुनौतियों का सामना करने के लिए यह एक मॉडल तैयार कर सकती है। विकास भारती को राज्य के विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को इंटर्नशिप के तहत पर्यारवरण सुरक्षा व समाज सेवा के प्रति प्रेरित करने की दिशा में भी प्रयास करना चाहिये। विकास भारती अधिक-से-अधिक लोगों को स्वरोजगार के साधन से जोड़ने का भी प्रयास कर सकती है। पर्यावरण सुरक्षा आज पूरे विश्व के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। पूरी दुनिया चिन्तित हैं, विभिन्न सम्मेलनों में इस पर गंभीर चर्चायें हो रही हैं। प्रकृति के खिलाफ संघर्ष करने की प्रवृति ने पर्यावरण का इतना नुकसान कर दिया है कि अब हमें उसके संरक्षण की जरूरत पड़ रही है।

आज धरती के चारों तरफ सुरक्षात्मक ओजोन परत दिन-प्रतिदिन पतली होती जा रही है, जिससे धरती पर रहनेवाले सभी जीव-जंतुओं के अस्तित्व पर एक प्रश्नचिन्ह लग गया है।

पर्यावरण असंतुलन के कारण ही अनावृष्टि, अल्पवृष्टि एवं सुखाड़ से लोग प्रभावित हो रहे हैं। भूगर्भ जल नीचे जा रहा है। वृक्षों एवं पहाड़ों की अन्धाधुन्ध कटाई से प्रकृति विनाश की ओर जा रही है। फसल चक्र भी प्रभावित हो रहा है। नदियों का पानी दूषित हो गया है। ऐसे में हमें सामाजिक दायित्व को समझना होगा। पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखकर कार्य करने की जरूरत है। साथ ही वर्षा जल संचयन की दिशा में भी ध्यान देने की जरूरत है ताकि वाटर लेवल सही रहे।

कभी राँची को झारखंड बनने से पूर्व बिहार राज्य का ग्रीष्मकालीन राजधानी कहा जाता था। यह गर्मी के माह में भी सुहावना मौसम के लिए जाना जाता था। लेकिन आज देखिये, इसकी हालत क्या है? अप्रैल-मई माह में भीषण गर्मी का लोगों को सामना करना पड़ रहा है, लू से लोग बीमार हो रहे हैं, स्कूलों के समय में परिवर्तन करना पड़ रहा है। ऐसे में हम सभी यह सोचने के लिए विवश हैं कि यदि हम पर्यावरण सुरक्षा एवं संरक्षण के प्रति सचेष्ट व गंभीर नहीं होंगे, तो आने वाले दिन और भी कष्टदायक हो सकते हैं। प्राकृतिक संसाधनों का अन्धाधुन्ध उपभोग और पर्यावरण के प्रति उदासीनता ने पूरे विश्व को क्षति पहुँचायी है। पृथ्वी तेजी के साथ अपने निधि को खोते जा रही है। भूमि जिस पर हम फसल उगाते हैं, जल जिसे हम पीते हैं और हवा जिसे हम श्वास के रूप में लेते हैं, सभी प्रदूषित हो रहे हैं। पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण वैश्विक चिंता का विषय बन गया है। यदि हम प्रकृति की सुरक्षा हेतु नहीं चेते एवं प्रकृति की सुरक्षा हेतु तेजी से आगे नहीं बढ़े तो पृथ्वी के सभी जीव विनाश की ओर तेजी से आगे बढ़ेंगे। ग्लोबल वार्मिंग से फसल चक्र भी अनियमित हो जायेगा। इससे फसल पैदावार भी प्रभावित होगी।

हमारा राज्य प्राकृतिक सौंदर्य से सुशोभित है। वन, पहाड़, झरने जैसी चीजें हमारी जिंदगी में एक अहम भूमिका निभा रहे हैं। हमें अपनी इस निराली, मनमोहक प्रकृति को बचाकर रखना है। राज्य के सभी नागरिकों से अपेक्षा है कि वे अपने जीवन में अधिक-से-अधिक पौधे लगाएँ तथा पर्यावरण संरक्षण में अमूल्य योगदान दें ताकि आगे आनेवाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित हो सके। झारखंड राज्य में प्रकृति ने खूबसूरती के साथ प्रचुर मात्रा में खनिज संपदा प्रदान की है, यदि इसका सुनियोजित व योजनाबद्ध तरीके से उपयोग किया जाय तो दुनिया की कोई ताकत हमारे राज्य की तेज गति से समृद्धि की राह पर जाने से रोक नहीं सकती, सिर्फ पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखते हुए इसके लिए भी कार्य करने की जरूरत है। मेरे कहने का मतलब यह नहीं कि पर्यावरण संतुलन के लिए राज्य में उद्योग-धंधे, कल-कारखाने नहीं स्थापित हो। औद्योगिक विकास हो, लेकिन संतुलन जरूरी है। औद्योगिकीकरण और पर्यावरण में संतुलन होना चाहिये। औद्योगिकीकरण पर्यावरण की कीमत पर नहीं किया जाना चाहिये। विकास के साथ-साथ पर्यावरण का भी विशेष ध्यान रखना प्रत्येक मानव का दायित्व व धर्म है। शहरी क्षेत्रों का विस्तार सुनियोजित योजना के तहत किया जाय।

मुझे पूरा विश्वास है कि पद्मश्री अशोक भगत जी के मार्गदर्शन में यह संस्था पर्यावरण के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस राज्य का नाम रौशन करेगी तथा पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति सबको जागरूक करने में सफल होगी एवं अन्य संस्थाओं के लिए भी प्रेरणा का कार्य करेगी।


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