ओवरलोडिंग पर लगाम लगाने में जिला प्रशासन फेल
उर्मिला शर्मा।
फतेहपुर जिले में आखिकार ओवरलोडिंग कब बंद होगी यह सवाल सभी जनपदवासियों के जेहन में है क्यूंकि ओवरलोडिंग के चलते सड़कों का बुरा हाल है, लेकिन जिला प्रशासन की उदासीनता के चलते ओवरलोडिंग करने वाले वाहनों के साथ-साथ ओवरलोड मोरम, गिट्टी देने वाले ब्यवसाइयो को ओवर लोडिंग का कोई भय नहीं है यहां पर यही कहावत चरितार्थ हो रही है कि जब सैय्या भये कोतवाल तो डर काहे का सही बैठ रही है ।
बताते चलें कि इन दिनों जिले में 34 मोरम के डम्प लगे हुए हैं और लगभग सभी डम्पो से ओवरलोड मोरम वाहनों को बिक्री की जा रही है जब कि हाईकोर्ट व प्रदेश सरकार के सख्त निर्देश है कि ओवरलोडिंग किसी कीमत पर न होने पाएं। लेकिन यहां तो जिला प्रशासन की हीलाहवाली के चलते ओवरलोडिंग करने वालो के हौसले बुलंद हैं। बुलंद हो भी क्यूं ना जब किसी अधिकारी को कोई कार्रवाई ही नहीं करनी जब कि अभी हाल ही में असोथर थाना क्षेत्र के असोथर कस्बे के गल्ला मंडी समिति के बगल में हजारों घनमीटर डंप मोरम को लाइसेंस धारी द्वारा वाहनों में ओवरलोड मोरम दिए जाने की शिकायत है। कस्बे के समाजसेवी ने जिलाधिकारी, एसडीएम, खनन अधिकारी,एल आई यू को मोबाइल के जरिए किया था लेकिन शिकायत करने के दो दिन बीतने के बाद भी आज तक ओवरलोड वाहनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इससे यही साबित होता है कि यह सब आलाधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है।
खनन नीति 2018 के आदेशानुसार बारिश के पहले लाइसेंस धारियों द्वारा डम्प की गई मोरम को जुलाई, अगस्त, सितम्बर तीन माह में 90% हिस्से की बिक्री का प्राविधान है ।इसके बाद बची मोरम को सीज की कार्रवाई करने के बाद पुनः नीलामी करने का निर्देश है लेकिन अंतिम तिथि 30 सितंबर बीतने के बाद भी मोरम डम्प के लाइसेंस धारियों द्वारा सरकार व जिलाधिकारी के निर्देशो को धता बताते हुए धड़ल्ले से ओवरलोड वाहनों को मोरम की बिक्री बेखौफ जारी है इससे यही साबित होता है कि सरकार वआलाधिकारियों के आदेश इनके ठेंगे पर है।