खबर रायबरेली:विश्व स्तनपान सप्ताह (एक से सात अगस्त) पर विशेष

Share:

  • जतिन कुमार चतुर्वेदी

माँ का दूध अमृत समान

  • माँ का दूध बच्चे में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है औरबच्चे को संक्रामक रोगों से बचाता है

मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है। प्रसव के तुरंत बाद निकलने वाला पीला गाढ़ा दूध (कोलोस्ट्रम ) न केवल बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है बल्कि शिशु को संक्रामक रोगों से भी बचाता है। बच्चों को कम से कम छह माह तक केवल स्तनपान कराना चाहिए। छह माह के बाद स्तनपान के साथ ऊपरी आहार देना चाहिए। खाना देने के साथ ही कम से कम दो साल तक स्तनपान जारी रखना चाहिए।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि स्तनपान को बढावा देने के लिए हर साल एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन किसी न किसी थीम के तहत किया जाता है। इस साल थीम है- लेट्स मेक ब्रेस्टफीडिंग एंड वर्क, वर्क !
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि बच्चे को छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए। बच्चे को कृत्रिम आहार या अन्य पेय नहीं देना चाहिए। यदि बच्चा या मां बीमार हो, तो भी स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए। शिशु को छह माह के बाद और दो वर्ष या उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ-साथ पूरक आहार दिया जाना चाहिए। बच्चे को 24 घंटों में आठ बार स्तनपान कराना चाहिए। जुड़वां बच्चों को भी मां भरपूर दूध पिला सकती है। स्तनपान के दौरान धूम्रपान या अल्कोहल का सेवन नहीं करना चाहिए। यह जच्चा और बच्चा दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। बोतल से दूध पीना बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है। इससे बच्चे को दस्त हो सकते हैं।
प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य के नोडल अधिकारी और अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राधाकृष्णन बताते हैं कि स्तनपान कराने से बच्चों की सेहत ही नहीं सुधरती बल्कि मां भी स्वस्थ रहती है। खास बात यह है कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं को स्तन कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। स्तनपान से शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है।
जिला महिला चिकित्सालय की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ रेनू चौधरी का कहना है-स्तनपान बच्चों को हाइपोथर्मिया (ठंडा बुखार), डायरिया, निमोनिया, सर्दी, मोटापा, कानों का संक्रमण और अन्य बीमारियों से बचाता है। मां के दूध से बच्चे को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं जो कि बच्चे के शारीरिक, मानसिक और संवेगात्मक विकास में अहम भूमिका निभाते हैं |
जिला स्वास्थ शिक्षा अधिकारी डी एस अस्थाना बताते हैं नियमित स्तनपान कराने से मां को स्तन कैंसर, डिंब ग्रंथि के कैंसर, प्रसव के बाद खून बहने और एनीमिया की संभावना को कम करता है। इसके साथ ही गर्भाशय को सिकुड़ने और सामान्य आकार में लौटने में मदद मिलना, प्रसवोत्तर अवसाद का जोखिम कम होता है। इससे महिलाओं में मोटापा बढ़ने की संभावनाएं कम हो जाती हैं। स्तनपान बच्चों में मृत्यु दर के अनुपात को कम करता है। छह माह तक बच्चे को केवल स्तनपान कराने से माँ दवा गर्भधारण करने कि संभावना बहुत कम हो जाती है । प्राकृतिक गर्भनिरोधक की तरह काम करता है | इस साथ ही स्तनपान कराने से माँ और बच्चे के मध्य भावनात्मक लगाव बढ़ता है ।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस-5) जो कि वर्ष 2019-21 में किया गया था, के आंकड़ों के अनुसार छह माह तक की उम्र के 64.4 प्रतिशत बच्चों को जन्म के पहले घंटे में मां का दूध मिलता है।


Share: