न्यूज़ लखनऊ। मानव श्रंखला बना कर फाइलेरिया के प्रति किया जागरूक

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जतिन कुमार चतुर्वेदी

• आईडीए अभियान के दौरान फाइलेरिया की दवा खाने और खिलाने की दिलाई शपथ
• पहली बार फाइलेरिया नेटवर्क के सदस्यों ने आगे आकर दवा खाने की अपील की
• लखनऊ समेत 19 जनपदों में 10 फरवरी से शुरू होने जा रहा है एमडीए / आईडीए कार्यक्रम

नेगलेक्टेड ट्राफिकल डिजीज (एनटीडी) दिवस पर सोमवार को लखनऊ में मानव श्रृंखला बना कर फाइलेरिया उन्मूलन मे सहयोग के लिए जागरूकता अभियान की शुरुवात की गई आयोजन में रोगियों के प्रति सद्भाव व्यक्त करने और एमडीए /आईडीए कार्यक्रम के दौरान सभी को फाइलेरिया से बचाव की दवा खाने और खिलाने की शपथ दिलाई गई। लखनऊ समेत 19 जिलों में यह अभियान 10 फरवरी से शुरू होने जा रहा है।

मानव श्रृंखला बनाने से पहले उपस्थित छात्र-छात्राओं और अन्य लोगों को संबोधित करते हुए डॉ. लक्ष्मण सिंह, महाप्रबंधक, एनएचएम ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर जनित बीमारी है। इसे हाथी पांव भी कहते हैं। यदि किसी को यह बीमारी हो जाती है तो वह पूर्णतया ठीक नहीं होती है। समुचित देख रेख के अभाव में व्यक्ति को जीवन भर के लिए दिव्यांग बना सकती है। सीएमओ डॉ मनोज अग्रवाल ने कहा की फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा का सेवन ही इसका सही उपचार है। इसलिए सबलोग दवा सेवन करे और परिवार के सदस्यों को भी दवा सेवन कराएं इसी उद्देश्य से आज फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग के तत्वाधान में स्वयंसेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से लखनऊ विश्वविद्यालय पर मानव श्रंखला बनाई गई। इसमें जन सामान्य से 10 फरवरी से शुरू होने वाले आईडीए राउंड के तहत फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करने की अपील की गई।

कार्यक्रम मे लोगो ने दवा खाने की अपील के साथ बने सेलफ़ी कार्नर के साथ फोटो भी खिचाई, सभी प्रतिभागियों ने हस्ताक्षर बैनर पर हस्ताक्षर करके भी अपनी फाइलेरिया उन्मूलन हेतु अपनी प्रतिबद्धतता व्यक्त की। कार्यक्रम में 25 फाइलेरिया नेटवर्क के सदस्यों ने आगे आकर दवा खाने की अपील की | वहीं कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय, आईटी कालेज के राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवकों और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैरा मेडिकल्स के लगभग 400 छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया। इसके अलावा पी सी आई संस्था के सहयोग से राष्ट्रिए सेवा योजना के स्वयं सेवकों के संवेदित किया गया और सामुदायिक सहभागिता बढ़ाने मे सहयोग का अहवाहन किया गया |
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. रितु श्रीवास्तव ने उपस्थित सभी लोगों से फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस अभियान में दो वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती व गंभीर रोग से ग्रसित व्यक्तियों को छोडकर सभी को दवा का सेवन कराना है। जिन व्यक्तियों में फाइलेरिया के कीटाणु रहते हैं उन्हें दवा के सेवन के बाद चक्कर आना, जी मिचलाना, उल्टी आना, हल्का बुखार आना आदि समस्याएं हो सकती हैं लेकिन इससे घबराना नहीं है। इसके बाद भी अगर कोई दिक्कत महसूस हो तो रैपिड रिस्पॉन्स टीम (आरआरटी) से या निकटतम स्वास्थ्य कार्यकर्ता से संपर्क करें या पास के स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं। इस अभियान में दवा एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से घर-घर जाकर खिलाई जाएगी। स्वास्थ्य कर्मी अपने सामने ही दवा खिलाएंगे। खाली पेट दवा का सेवन नहीं करना है।

इस मौके पर उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ .सोमनाथ सिंह, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी, सहयोगी संस्था डब्ल्यूएचओ, पीसीआई , पाथ, समर्थ और एविडेंस एक्शन के प्रतिनिधि और एनएसएस कोआडिनेटर डॉ. पीके गुप्ता और नर्सिंग एसोसिएशन के सदस्य व पदाधिकारी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय, आईटी कालेज और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैरा मेडिकल्स के लगभग 300 छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया।
क्या है एनटीडी दिवस
विश्व में हर वर्ष 30 जनवरी को एनटीडी दिवस मनाया जाता है । इस दिन को मनाने का अभिप्राय यह है कि विश्व के सारे लोग एनटीडी (नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीजेज़) के उन्मूलन के प्रति पूरी प्रतिबद्धता से जनांदोलन के रूप में कार्य करें। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिज़ीज 20 रोग एवं रोगों का एक ऐसा समूह है जो विशेषकर ग़रीब समुदाय के लोगों पर विनाशकारी प्रभाव डालते हैं। नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिज़ीज़ेज़ के लिए आवश्यक संसाधनों की पूर्ति प्रमुखता से सुलभ होने के लिए वर्तमान में विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत निवेश करने का सुअवसर है। एनटीडी में निवेश होने से स्वास्थ्य और परिणामस्वरूप अर्थव्यस्था में भी बेहतर सुधार हो सकते हैं। प्रदेश में कालाजार, लिम्फेटिक फाइलेरिया, कुष्ठ रोग, मिट्टी से फैलने वाला कृमि रोग और डेंगू कुछ प्रमुख एनटीडी हैं।


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