खबर लखनऊ:योगी के समक्ष 2019 की सफलता दोहराने की तैयारी-सुरेश बहादुर सिंह

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सौरभ सिंह सोमवंशी

लखनऊ, नगर निकाय चुनावों में मिली भारी सफलता के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष आगामी 2024 के लोक सभा चुनाव में 2019 की सफलता दोहराने की चुनौती है।योगी आदित्यनाथ उसी सफलता को दोहराने के लिए प्रदेश का सघन दौरा कर रहे हैं।
वैसे योगी को यह चुनौती पहली बार नहीं मिली हैं
योगी आदित्यनाथ ने जब से सत्ता संभाली है, तब से वह चुनौतियों का ही सामना करते चले आ रहे हैं। अपने पहले शासन काल में उनके समक्ष उत्तर प्रदेश में विकास को तेज करने व कानून व्यवस्था में सुधार करने की जबर्दस्त चुनौती थी, जिसे उन्होंने बखूबी अंजाम दिए।
प्रदेश के विकास के लिए बाहर निवेशकों को उत्तर प्रदेश बुलाना ही एक दुष्कर कार्य था। पिछली सरकारों में कानून व्यवस्था इतनी खराब हो चुकी थी कि निवेशक प्रदेश में आने से घबराते थे। प्रदेश में माफिया राज फैला हुआ था। सड़कों का बुरा हाल था
बिजली के लिए हाहाकार मचा रहता था। योगी के समक्ष कठिन चुनौती थी, लेकिन योगी ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए माफियाओं के खिलाफ अभियान छेड़ दिया।जो माफिया सरगना दशकों से आतंक का पर्याय बने थे और जिनके मुकदमों में लोग गवाही देने से डरते थे, ऐसे माफियाओं को योगी ने जेलों में डाल दिया, जिन्होंने अपनी गतिविधियों में सुधार नही किया, उन्हें पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया।जो पुलिस 2017 के पहले अपराधियों के समक्ष असहाय नज़र आती थी, योगी शासन काल में उसका आत्मविश्वास इतना बढ़ गया कि उसी पुलिस ने अपराधियों की गतिविधियों पर लगाम लगा दिया और प्रदेश में कानून का राज्य स्थापित किया।
निवेशकों को प्रदेश में बुलाने के लिए अब योगी के समक्ष बुनियादी ढांचे को सुधारने की चुनौती थी। योगी आदित्यनाथ इस चुनौती को स्वीकार करते हुए प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाने में जुट गए । उन्होंने एक्सप्रेस वे की शुरुवात की। उन्होंने प्रदेश के सभी जिलों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए सड़कों का निर्माण कराया, ताकि प्रदेश के निवेशक दूसरे प्रदेशों में अपना सामान भेज सकें, इसके लिए हाईवे का निर्माण करवाया। प्रदेश में कई हवाई अड्डे का निर्माण कराया, जिससे निवेशक कम समय में अपना उत्पाद देश , विदेश की मंडियों में बेंच सकें।
प्रदेश का बुनियादी ढांचा मजबूत करके एवम प्रदेश को माफिया विहीन करके योगी ने प्रदेश में निवेशक सम्मेलन बुला कर निवेशकों को आकर्षित किया, जिसका परिणाम है कि प्रदेश में विकास की गंगा बह रही है और प्रदेश में योगी की जय जय कार हो रही है। निकाय चुनाव में बीजेपी को भारी भरकम से जीत दिलाकर प्रदेश की जनता ने योगी के विकास कार्यों पर मोहर लगा दी है।
अब योगी के समक्ष आगामी लोक सभा चुनाव में बीजेपी को अधिक से अधिक सीटें जिताने की चुनौती है। योगी ने जिस तरह तेजी से प्रदेश का विकास किया है और प्रदेश को अपराध मुक्त किया है, उससे स्पष्ट हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा का यही चुनावी मुद्दा भी होगा। और इसी मुद्दे के बल पर योगी 2024 की अगली चुनौती का सामना करेंगे। एक वरिष्ठ पत्रकार, जिन्होंने हाल ही में पूरे प्रदेश का दौरा किया है उनका मानना है कि वर्तमान समय में योगी सरकार 70 से 75 सीटें जीत सकती है।
दूसरी तरफ जहां तक विपक्ष का प्रश्न है यूपी में विपक्ष का बिखराव साफ दिखाई दे रहा है, जिसका लाभ आगामी लोक सभा चुनाव में बीजेपी की ही मिलेगा। विपक्षी दल भले ही एकजुटता की बात करें, परंतु उनका अहं उनकी एकजुटता में बाधक बन रहा हैं। यूपी की राजनीति दूसरे प्रदेशों से काफी भिन्न है। यहां समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का जन्म ही कांग्रेस का वोटबैंक काट कर हुआ हैं। मंडल कमंडल की राजनीति में सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस का ही हुआ था। बाबरी विध्वंस के बाद कांग्रेस का मुस्लिम वोट बैंक समाजवादी पार्टी ने छीन लिया, वहीं दलित वोटबैंक पहले ही बीएसपी की झोली में चला गया था। पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम गठजोड़ के बल पर समाजवादी पार्टी ने यूपी में अपनी स्थिति बहुत मजबूत कर ली और प्रमुख विपक्षी दल के रूप में अपनी पहचान बना ली। बीएसपी ने दलित, मुस्लिम और सवर्ण गठजोड़ के बल यूपी में चार बार सत्ता हासिल की। इन दोनों दलों के मजबूत होने से कांग्रेस का जनाधार सिमटता गया। कांग्रेस का परंपरागत वोट भी उससे छिटक गया, जिसके फलस्वरूप कांग्रेस यूपी में एक विधायक की पार्टी बन कर रह गई।
विपक्षी दल दूसरे प्रदेशों में भले ही एकजुटता दिखाएं, यूपी में विपक्षी दलों का एकजुट होना आसान नही है। कांग्रेस के साथ एकजुट होने से एसपी, बीएसपी को अपना वोट बैंक के छिटकने का डर सता रहा है। जाहिर है, यूपी में विपक्षी एकजुटता का सबसे ज्यादा फायदा कांग्रेस को ही मिलेगा, इसलिए एसपी और बीएसपी दोनों ही कांग्रेस के साथ जाने से घबरा रहे है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कांग्रेस के प्रति थोड़ी नरमी दिखाई है, लेकिन सीटों के बटवारे को लेकर अभी भी असमंजस में हैं। बीएसपी प्रमुख मायावती ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह किसी भी दल से समझौता नहीं करेगी और आगामी लोकसभा चुनाव अकेले दम पर लड़ेगी।
विपक्षी दलों की यही हठधर्मिता उनकी एकजुटता में बाधक बन रही है, जिसका पूरा लाभ आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिलेगा। अपना दल और निषाद पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का लाभ भी बीजेपी को ही मिलेगा। योगी की विकास परक नीतियां और प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने का लाभ भी बीजेपी को ही मिलेगा। अन्य दलों की अपेक्षा बीजेपी का संगठन भी यूपी में बहुत मजबूत है, जो बीजेपी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
बीजेपी ने पहले से ही चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी ने पिछले चुनाव में हारी हुई सीटों को जीतने के लिए विशेष रणनीति बनाई है। प्रदेश के मुख्यमंत्री और दोनों उप मुख्यमंत्री प्रदेश का सघन दौरा करके सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी प्रदेश की जनता को देकर बीजेपी के पक्ष में माहौल बना रहे है। कई केंद्रीय मंत्रियों को लोक सभा चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी गई है,जो बखूबी अपनी भूमिका को अंजाम दे रहे है। बीजेपी ने यूपी की 80 सीटें जीतने के लिए अपनी पुरी ताकत झोंक दी है।


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