न्यूज़ अमेठी:फाइलेरिया से बचाव की दवा खाएं, हाथी पाँव होने से बचाएं

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जतिन कुमार चतुर्वेदी

-अभियान 10 से 27 फरवरी 2023 तक

फाइलेरिया मच्छरों से होने वाला एक संक्रामक रोग है । आम बोलचाल की भाषा में इसे हाथीपांव भी कहते हैं । इसके लक्षण 5 से 15 साल बाद प्रकट होते हैं । एक बार इस रोग के लक्षण होने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है । लेकिन यह रोग न हो इसके लिए हर साल अभियान चलाकर दो साल से छोटे बच्चे , गर्भवती व गंभीर बीमार व्यक्ति को छोड़कर सभी को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई जाती है । इस बार यह अभियान 10 फरवरी से 27 फरवरी तक चलाया जाएगा ।

यह बातें मीडिया संवेदीकरण के दौरान मुख्य चिकित्साअधिकारी डॉ विमलेंदु शेखर ने कही। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल की पहल पर जनपद में 10 फरवरी से आईडीए (आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेंडाजाल)अभियान शुरू हो रहा है। इस दौरान एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर दवा खिलाएंगी। स्वास्थ्य केंद्रों के अलावा विभिन्न स्थानों पर दवा सेवन के लिए बूथ भी लगेंगे। जनपद की 2193704 लक्षित आबादी को शत प्रतिशत दवा सेवन कराने के लिए 3520 ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर, 298 सुपरवाइजर और 1760 टीम कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि आइवरमेक्टिन ऊंचाई के अनुसार खिलाई जाएगी। एल्बेंडाजोल को चबाकर ही खानी है।

जिला मलेरिया अधिकारी सुशील कुमार ने बताया कि फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन एक वर्ष के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। एक से दो वर्ष की आयु के बच्चों को केवल एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी। दवा का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने ही करवाएंगे। दवा खाली पेट नहीं खानी है। दवा खाने से बचने के लिए बहाने बिल्कुल भी न करें, जैसे – अभी पान खाए हैं, अभी सर्दी-खांसी है, बाद में खा लेंगे आदि। आज का यही बहाना आपको जीवनभर के लिए मुसीबत में डाल सकता है। इसलिए दवाओं का सेवन कर समाज को फाइलेरिया मुक्त बनाएं। दवा खाने के बाद जी मिचलाना, चक्कर या उल्टी आए तो घबराएं नहीं। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने से हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है।


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