मानस जीवन की आचार संहिता है– डॉक्टर मदन मोहन मिश्रा

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बेनीमाधव सिंह।

रामायण में मानस का तात्पर्य मर्यादा आधार नम्रता सहनशीलता से है ,रावणसुधारचाहताथा तलवार के बल पर, परशुराम सुधार चाहते थे कुठार के बलपर, श्रीराम ने सुधार कर दिया व्यवहार के बल पर। उक्त बातें सकलदीप पाटन मानस नवाहन परायण यज्ञ में काशी से पधारे हुए मानस कोविद डॉक्टर मदन मोहन मिश्रा ने व्यक्त किया। आप ने आगे कहा कि श्री राम का शस्त्र धनुष-सीर के नीचे है । परशुराम जी का फरसा सीर के उपर है शस्त्र का प्रयोग जब विवेक शक्ति के नियंत्रण में होगा समाज और संस्कृति की सुरक्षा तभी होगी जब शस्त्र ऊपर होगा तो आतंकवाद उग्रवाद का जन्म होगा । बुद्धि की दुरदसा जब ताडका का बद्ध होगा तब बुद्धि की जड़ता का अहिल्या का उद्धार होगा अहंकार के धनुष का खंडन होगा तब अनेक जनक रूपी पिता खुश होगे।इस समस्या का समाधान विद्वान ,धनवान नही बल्कि देश के युवा करेंगे। जब युवा यह संकल्प लेगा कि हम दहेज रहित विवाह करेगे, संस्कार संपन्न बेटी से ही परिवार का विकास होगा तभी जीवन कृतार्थ होगा। गोरखपुर से पधारे राष्ट्रीय कथाकार हेमंत तिवारी ने कहा कि जब धनुष खंडन होगा तो अनेक समाज में जनक रूपी पिता प्रसन्न होंगे इस समस्या का समाधान बलवान विद्वान तथा धन मन नहीं करेगा बल्कि इसके लिए युवाओं को आगे आना होगा और यह संकल्प लेना होगा धनुष का यह संकेत है कि मैं टूट कर भी लोगों को जोड़ देती हूं चाहे वह सीताराम हो चाहे दशरथ जनक हो चाहे वशिष्ठ विश्वामित्र हूं धर्म में टूटना भी जोड़ने के लिए होता है ।जबकि वर्तमान राजनीति तोड़ने के लिए जुड़ते हैं। शांति की शिक्षा को प्राप्त करने के लिए भक्तों को जीवन में अहंकार को छोडना होगा। धनुष टूटने केसमय में सरस भजनो से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया ।रमापति का तबला वादन आकर्षण का केंद्र रहा और औरंगाबाद से पधारे हुए ईश्वर पांडे जी ने सत्संग की महिमा का गुणगान किया। सभा में जिला पंचायत पूर्व सदस्य मुक्तेश्वर पांडे, महेंद्र पानडेय प्रयाग सिंह ,कृष्णा सिंह आदि उपस्थित रहे। मंच संचालन का राम विनय पांडे ने किया ।


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