मध्य प्रदेश चुनाव नगर निगम परिणाम –ना तुम जीते हम हारे

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देवदत्त दुबे।
प्रथम चरण में जिन 11 नगर निगम के लिए मतदान हुआ था उनके परिणाम आने के बाद की शहर-शहर में चाय चौपाल से लेकर पान के टपरो गुणा भाग लगाये जा रहे है। जबकि दोनों दल अपने-अपने प्रदेश कार्यालयों में उत्साहित होने का प्रदर्शन कर चुके हैं । लेकिन असलियत यही है कि ना भाजपा सभी नगर निगम जीत पाई है और कांग्रेस को सभी पर हार मिली है बल्कि आप पार्टी ने भी खाता खोल ही लिया है ।

दरअसल 2023 के विधानसभा आम चुनाव के पूर्व, पंचायती राज नगरी निकाय के चुनाव को सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा था और जिनके शुरुआती परिणाम बता रहे हैं कि प्रदेश के दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस के लिए तो उम्मीद बनाए रखने के लिए काफी है । वही आम आदमी पार्टी और ओवैसी के लिए भी उपस्थिति दर्ज कराने का पर्याप्त मौका है । इसके पीछे परिणामों की तह में जाना पड़ेगा । पिछले चुनाव में भाजपा सभी 16 नगर निगमों पर काबिज थी और ऐसे ही परिणाम आने की हुंकार भर रही थी लेकिन 11 नगर निगम के जब परिणाम आए तब भाजपा का भ्रम टूट गया क्योंकि उसके ग्वालियर का मजबूत किला ढह गया तो जबलपुर में जमीन खिसक गई, सिंगरौली में आप पार्टी ने खाता खोल लिया और छिंदवाड़ा में कांग्रेस ने पूरे जिले पर कब्जा कर लिया जबकि भाजपा के पास प्रदेश और देश में सरकारें हैं केंद्र और प्रदेश के मंत्री इन चुनावों में प्रतिष्ठा की जंग लड़ते रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी इसके बावजूद यदि 4 सीटें भाजपा को गवाना पड़ा तो 2023 के लिए चिंतन चिंता करना आवश्यक हो गया है और पार्टी में इस दिशा में विचार मंथन भी शुरू हो गया है क्योंकि पार्टी जिन सीटों को जीती है वह कैसे जीती है कितनी मेहनत करनी पड़ी है वही जानती है यदि बुरहानपुर में ओवैसी उम्मीदवार 10000 वोटर नहीं ले जाता तो यहां भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ता इसी तरह उज्जैन में कम मतों के अंतर के बाद कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी कोर्ट में चुनौती दे रहे हैं । इंदौर, भोपाल, सागर, सतना, जैसे भाजपा के गढ़ कहे जाने वाले क्षेत्रों में कांग्रेस ने शुरुआती दौर में जो माहौल बनाया था भाजपा ने आखरी के दिनों में मैनेजमेंट की दम पर पूरी ताकत झोंक कर जीत दर्ज कर पाई ।

ऐसे में भाजपा भी समझ गई है यदि 2023 में ऐसा ही माहौल रहा तो फिर एक सीट पर इतनी ताकत लगाना संभव नहीं है । यही कारण है की पार्टी में विचार मंथन की प्रक्रिया शुरू हो गई है और 20 जुलाई को नगर निगम के परिणाम आने एवं 29 जुलाई तक जनपद पंचायत जिला पंचायत नगर परिषद नगरपालिका के गठन के बाद ठोस रणनीति बनाने पर विचार विमर्श किया जाएगा ।
वहीं दूसरी ओर 3 सीटें जीतकर विपक्षी दल कांग्रेस अपने आप को जीता हुआ महसूस कर रही है जबकि पार्टी यदि संगठित होकर पूरी ताकत से लड़ती है तो परिणाम कुछ और होते क्योंकि भाजपा नेता इन चुनावों में वैसे समर्पण भाव से नहीं लड़े जिनके लिए वे जाने जाते हैं । टिकट वितरण में बाजी मार कर भी कांग्रेस पार्टी अपने माहौल को मतदान के दिन तक कायम नहीं रख सकी और बूथ पर पार्टी की कमजोरी एक बार फिर उजागर हो गई । पार्टी भले ही 3 सीटें जीतकर अपने आप को हारी महसूस नहीं कर रही लेकिन इस रफ्तार से 2023 फतह करना पार्टी के लिए 2018 से भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण है ।

प्रदेश में अब तक बसपा और सपा तीसरे विकल्प के रूप में जाने जाते रहे हैं । लेकिन इन चुनावों में आप पार्टी ने सिंगरौली में महापौर प्रत्याशी के रूप में रानी अग्रवाल को जीता कर ना केवल खाता खोला है वरन 2023 के लिए हल्ला भी बोल दिया है । इसी तरह ओवैसी ने भी बुरहानपुर, भोपाल और जबलपुर में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है ।

कुल मिलाकर प्रदेश में नगरी निकाय चुनाव परिणाम ने प्रदेश के दोनों ही प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस को आईना दिखा दिया है । जिसमें ना भाजपा पूरी सीटें जीत पाई है और ना कांग्रेस को सभी सीटों पर हार मिली है । लेकिन दोनों के लिए आगे की राह मुश्किल भरी है और समीकरणों को बिगाड़ने के लिए आप और ओवेसी भी मैदान में कूद पड़े हैं ।


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