करोना काल, लॉकडाउन 3.0 का पहला दिन, रंगों में बंटा, बदरंग लोगों का देश

Share:

कल हमने बात की थी, कि बढ़ती जनसँख्या, घटते संसाधन, पानी तथा कृषि उत्पादों की कमी और रोजगार की अनिश्चितता के चलते ढेरों संकट आयेंगे, पहले भी आएं हैं, और देश की कर्मठ जनता ने विभाजन, प्लेग, हैजे से लेकर आज तक, हर संकट काल का सामना पूरी ताकत से किया है और खुद को बार बार खड़ा किया है। लेकिन कर्मठ जनता को डराने, चंदा बटोरने और लूटने वाली संस्थाओं पर अब लगाम लगनी चाहिए। साथ ही जरुरत है, लोगों को शिक्षित करने, जागरूक बनाने और उन्हें अपनी संतान के लिए जिम्मेदार बनाने की। जनता को निकर्मण्य, आलसी, मुफ्तखोर बनाने से किसी देश का भला नहीं हो सकता। जिस वेनेजुएला देश में पेट्रोल डीजल और सबकुछ कभी मुफ्त हुआ करता था, आज उस देश के हाल बेहद खराब क्यों हैं, सोचिये? क्योंकि अगर संसाधन खत्म हो जाएंगे या कम पड़ेंगे तो फिर लूट, भूख और अपराध ही पहले घटित होंगे, अकाल तो इसके बाद की स्थिति है।

और इसीलिए अब समय आ गया है जब लोगों को जिम्मेदार और जवाबदेह बनाने के प्रयास किये जाएँ, वोटबैंक तुष्टिकरण की प्रवृत्ति को नष्ट किया जाये और जो ना कमाए, सब्सिडी ले, वो वोट ना दे सके, फिर देखिये कौन सा अकाल और कैसा अकाल? पर साथ ही हमें और भी तरीके ढूंढने होंगे कि जब संकट हो, तब क्या करें और कुछ भी उपलब्ध ना हो, तो किन वेजिटेशन्स को, पौधों को भोजन के रूप में उपयोग किया जा सकता है, ताकि गरीब भूखे बच्चे बीमारी का शिकार ना हों, या किसी अनजान जहरीले फल,पौधे खाकर असमय ही अकाल मौत का शिकार ना हो जाएँ? और समय रहते इतने प्रयास तो मानव कर ही सकता है, कि अपने घर में, या आसपास या खुली जगहों पर खुद के, दूसरों के या पशु, पक्षियों के खाने लायक पेड़ पौधे ही लगा दे? तो कैसा हो आपका भोजन, कैसे बढ़ाएं अपनी अंदरूनी ताकत, और मजबूत रखें अपना इम्यून सिस्टम, आज एक बार बात फिर इसी पर?

कई लोग आपको सप्प्लीमेंट्स और विटामिन्स के कमर्शियल वर्ल्ड की और ले जाएंगे लेकिन शुद्ध सात्विक पौष्टिक प्राकृतिक भोज्य पदार्थ ही सर्वोत्तम है, और दवाई के रूप में ली गई कोई भी चीज शरीर के लिए, अंदरूनी रक्षातंत्र के लिए हानिकारक साबित हो सकती है, हमारी आँतों में, ख़ास तौर पर बडी आंत में, सात सौ से भी अधिक किस्म के बैक्टीरिया, “सहयोगी परजीवी” की तरह रहते हैं और कई अन्य जरुरी न्यूट्रिएंट्स के साथसाथ बेहद जरुरी विटामिन “के” और विटामिन “बी”, (खासतौर पर बायोटीन्स) का भी निर्माण करते हैं और यह बेहद जरुरी तत्व आपको किसी भी अन्य भोजन या दवाई के द्वारा प्राप्त नहीं हो सकते हैं। गैर जरुरी एंटीबायोटिक्स या स्टेरॉइड्स या पेनकिलर्स आपके इसी सहयोगी परजीवी के लिए मौत का सबब बनते हैं, पेट में अल्सर ,एसिडिटी, गुर्दों को ख़राब करने के अलावा।

समय के साथ चलिए। अरली टू राइज अरली टू बेड। याद है ना? बस तो फिर इसका अनुकरण कीजिये, आपकी ताकत और इच्छाशक्ति आपकी इम्मुनिटी बढ़ाने में सहायक होती है और वायरस का उपचार, दवाइयां नहीं, आपकी इम्मुनिटी है जिसे जागरूक रखने के लिए शुद्ध हवा में सुबह के समय सूर्य नमस्कार और धूप में एक से दो घंटे तक डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें, प्रफुल्लित रहें, बेफिक्र तनाव रहित भरपूर नींद लें और लगातार गरम पेय पदार्थों का सेवन करते रहें, शुद्ध पौष्टिक ताजे भोजन के साथ।
सुबह का नाश्ता आयु अनुसार भरपेट करें और फिर दो से तीन बार जब भूख लगे, तब ही खाएं और हल्का भोजन करें। सूर्यास्त पश्चात भारी भोजन हरगिज ना करें।
अपने नाश्ते या दिन के भोजन में मोटे अनाज शामिल करें जैसे ज्वार बाजरा चना मक्का। जहाँ तक हो सके गेंहू का सेवन हरगिज ना करें (क्योंकि गेंहू मोटापा, डायबिटीज का कारक है और अंग्रेजों के आने से पहले यह हमारे देश में नहीं होता था ( इसका सीधा सा अर्थ ये है कि हमारे वातावरण के अनुकूल नहीं है ) हमारी इसी खोज और सिद्धांत की वजह से ढेरों शुगर के मरीज और उनके लाइलाज जख्म ना सिर्फ ठीक हो रहे हैं बल्कि उनका ग्लाइसिमिक इंडेक्स भी बेहतर हो रहा है और शुगर भी कम हो रही हैं ! शुगर उर्फ़ शक्कर बीमारियों की जड़ है, इसका सेवन ना करें और ना ही आर्टिफिशियल शुगर का, जिसे भले ही बड़े बड़े सेलेब आपको भारी भारी विज्ञापनों से ललचायें ! इसकी जगह आप सीमित मात्रा में गुड़, का (काला वाला), सेवन कर सकते हैं, इससे शरीर को प्रचुर मात्रा में आयरन भी मिलता है।

सुबह उठ कर जितना हो सके, पी सकने लायक गरम पानी का सेवन करें, उसमे आवश्यकतानुसार शहद, नीम्बू, दालचीनी डाल सकते हैं। दिन भर प्रचुर मात्रा में पानी और अन्य पेय पदार्थ, दही छाछ मठ्ठा आमपना आदि का सेवन करते रहें, मौसम अनुसार फल फ्रूट सब्जियों का सेवन करें। हल्दी के औषधीय गुण जगजाहिर हैं और दिन में एक या दो बार हल्दी वाला दूध आपके शरीर को ना सिर्फ बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है बल्कि आपकी रक्त प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को भी मजबूत करता है।

और अगर हम मांसाहार या डब्बाबंद खाद्य पदार्थों बात ना करें, (क्योंकि अब दुनिया सात्विक, शुद्ध ताजे भोजन की और लौटेगी, इसलिए) तो दुनिया के श्रेष्तठम भोज्य पदार्थ अब सब शाकाहारी ही रहने वाले हैं, हरे पत्तेदार साग सब्जियां, सलाद, ब्रोक्कोली, सभी तरह के फल (एवाकोडो, बेरी और सेव) मोटे अनाज, मिल्क एवं ताजे डेरी पदार्थ, दही, लेग्यूम्स (लेंटिल्स, पीस, चिकपीस, बीन्स, सोयाबीन्स, पीनट्स), नट्स, अंकुरित अनाज, सनफ्लॉवर सीड्स एवं अलसी का या इनके विभिन्न प्रकारों का सामंजस्यपूर्ण उपयोग आपके भोजन मैं होना चाहिए।

अपने घर में ही नहीं, घर के आस पास भी साफ़ सफाई रखे, हर व्यक्ति अपने घर में तुलसी का पौधा जरूर लगाए और घर के आसपास पीपल, नीम, पलाष और अन्य फलदार वृक्ष लगाए। पेय जल स्त्रोतों को सुरक्षित और संरक्षित रखें, ध्यान दें कि हमारे संस्कारों में नल, कुआं तालाब, नदी पूजने की प्रथा थी और कोई भी पेय जल स्त्रोतों का अपमान नहीं करता था।

और चलते चलते, आज हुई दो प्रमुख घटनाओं पर बात हो जाए।
देश ने आज लॉकडाउन खुलते ही, सुबह से शराब की दुकानो पर लम्बी लम्बी कतारें देखीं। कल तक टीवी पर चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे, कि हम भूखे मर रहे हैं, बेरोजगार हो गए हैं, काम धंधा चौपट है, वही आज शराब की दुकानों पर खड़े हैं, अब दारू के पैसे कहां से आ गए? यही डबल स्टेंडर्ड देश को बर्बाद कर रहा है, जिसे पीना है, शराब, बीड़ी सिगरेट, उसे पीने दिया जाए, लेकिन मेहनतकश लोगों पर बोझ घटे, ऐसा भी तो कुछ अब सोचा जाना चाहिए?

और दूसरी बात, उन बहादुर जांबांज वीर रणबांकुरों की, जिन्होनें कल काश्मीर में आतंकियों से लड़ते हुए अपनी शहादत दे दी, जबकि उनके पास मौका था कि आतंकियों के छुपे हुए, कब्जाए हुए घर को विस्फोट से उड़ा दें, लेकिन इससे उस घर में मौजूद तथाकथित नागरिक भी मारे जाते, और उन्होंने, उन्ही नागरिकों को बचाने के लिए अपनी जान दे दी जो कभी उनपर पत्थर फेंकते थे। ऐसी है मेरे देश की जाँबाँज़ सेना, जिस पर मुझे ही नही, हर देशभक्त को गर्व है, चंद गद्दारों को छोड़कर ! जो देश की हवा में ज़हर घोल रहे हैं और जिस समाज को भड़काते रहते हैं, उन्हीं के 11 नागरिकों की जान बचाने के लिए भारत मां के 5 सपूतों ने अपना सर्वोच्च जीवन बलिदान कर दिया।
मिलते हैं कल, तब तक जै रामजी की।

डॉ भुवनेश्वर गर्ग
डॉक्टर सर्जन, स्वतंत्र पत्रकार, लेखक, हेल्थ एडिटर, इन्नोवेटर, पर्यावरणविद, समाजसेवक
मंगलम हैल्थ फाउण्डेशन भारत


Share:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *