जीवन के उद्देश बदलने वाली महामारी

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देवदत्त दुबे

लगभग हर व्यक्ति कभी ना कभी यह जरूर सोचता है कि आखिर इस जीवन का उद्देश्य क्या है क्या यह अपने जीने की परिस्थितियों को बेहतर बनाने के लिए कठिन परिश्रम करना अपने परिवारों का भरण पोषण करना लंबी आयु प्राप्त करना पद, पैसा, प्रतिष्ठा, अर्जित करना या फिर हमेशा के लिए असत हो जाना है। लेकिन क्या सच है विश्वव्यापी कोरोना महामारी के दौरान मृत्यु और परमात्मा बहुत याद आए और सबसे बड़ी चिंता जीवन बचाने की उभर कर सामने आई।

दरअसल पूर्वी और पश्चिमी देशों में जीने का उद्देश धन प्राप्त करना है क्योंकि वे मानते हैं कि धन से सुखी अर्थपूर्ण जीवन मिल सकता है लेकिन आज ऐसे देशों में भी सोच में परिवर्तन आ गया क्योंकि जीने की परिस्थितियां ज्यादा कठिन हो गई दुनिया भर में करोड़ों लोग इस समय कोरोना महामारी से भयभीत है और लोगों को समझ में आ गया है की पैदा होना जीने के लिए संघर्ष कर लो और फिर मर जाना ऐसे दृष्टिकोण में कोई आशा दिखाई नहीं देती जबकि अनेक धार्मिक नेता कहते हैं जीवन का उद्देश्य अच्छा जीवन व्यतीत करना है ताकि मृत्यु होने पर संतोष रहे।

बहरहाल कोरोना महामारी के दौरान परमात्मा और मौत को बहुत याद किया गया जिसे मौत याद आती है उसे परमात्मा याद आ जाते और जिसे परमात्मा दोनों याद रहते हैं निर्भय जीवन जीता है इसलिए कहां गया है की कितनी भी स्मृति कमजोर हो जाए लेकिन मौत और परमात्मा को कभी नहीं भूलना चाहिए कहां गया है ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या और वह सत स्वयं है।

अर्थात स्वयं में स्थित हो ना सत परमात्मा में स्थित होना और यही परमात्मा को पाना है और परमात्मा को पाना मतलब प्रकृति के सानिध्य में जीवन जीना है सत्य प्रेम करुणा को धारण करना है क्योंकि इसी से आत्मबल बढ़ेगा जिन भौतिक चीजों के प्रति अब तक लगाओ रहा वे सब उपयोगी सिद्ध नहीं हुई ।

मनुष्य यह भूल गया कि सदुपयोग ही सुख है और दुरुपयोग दुख है उसने भौतिक उन्नति के खातिर चारों ओर प्रकृति का दोहन और दुरुपयोग किया जिसका वह खामियाजा भुगत रहा है अच्छा होगा कि अब जीवन के उद्देश बदल लिए जाएं जीने दो और जियो का नारा आत्मसात किया जाए प्रकृति से हम केवल जीवन यापन के लिए हवा पानी ले प्रकृति को सहेजने की जतन करें आज दुनिया के महानगरों में यह बीमारी कहर ढा रही है क्योंकि वहां प्रकृति से दुश्मनों जैसा व्यवहार किया गया।

हर मुश्किल का दौर हमें एक अवसर देता है इस महामारी के दौरान जब अधिकांश लोग घर के अंदर लॉक डाउन है। तब अधिकांश ने परिवार के अंदर एक दूसरे की शिकवा शिकायतों को भुला दिया है कई लोगों को स्वावलंबी भी बनाया। है आज घर के सभी कामकाज साफ सफाई खाना बनाना बर्तन साफ करना जैसे काम खुद करने की आदत डल रही है कुछ लोगों ने योग प्राणायाम भी शुरू कर दिए हैं और भी कई प्रकार के परिवर्तन आए हैं जिनकी हमें अब आदत भी बना लेना चाहिए क्योंकि आगे के जीवन में बहुत कुछ परिवर्तन देखने को मिलेंगे उसके लिए लॉक डाउन के दौरान उद्देश तय करने का एक अवसर है।


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