पुनर्मिलन और खुशी का त्यौहार – जामाई षष्ठी

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जयती भट्टाचार्या ।
जामाई षष्ठी का त्यौहार बंगालियों का त्यौहार है और यह मुख्यतः पश्चित बंगाल में ही मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल के बाहर भी कुछ बंगाली परिवार इसे मनाते हैं। विशेषकर शादी के बाद बंगाली नए जोड़े जरूर इसे मनाते हैं। इस दिन बेटी के माता पिता बेटी और दामाद को घर पर बुलाते हैं। सास बेटी और दामाद के लिए षष्ठी पूजा करती है और दामाद के लिए सास अनेक तरह के पकवान बनाती है। आज 5 जुन 2022 को जामाई षष्ठी का त्यौहार है।

जमाई को खिलाने के लिए थोडे से पकवान

पुराणों के अनसुार एक स्त्री थी जो घर का सारा खाना खा जाती थी और इल्जाम बिल्ली पर लगाती थी। देवी षष्ठी बिल्ली की सवारी करती हंै। वह इस स्त्री पर बहुत गुस्सा हो गईं। जब उस स्त्री ने बच्चों को जन्म दिया तो एक बच्चा खो गया। मां षष्ठी को प्रसन्न करने के लिए उसने बहुत सारी रस्में की। आखिर देवी खुश हुई और उसका बच्चा मिल गया। जब इस घटना की खबर स्त्री के सास ससुर को लगा तो वह बेहद गुस्सा हुए और स्त्री का मायका जाना बंद कर दिया। स्त्री के माता पिता बेटी से मिलने को आतुर थे। उन्होंने बेटी और दामाद को षष्ठी के दिन घर पर बुलाया और तभी से यह दिन जामाई षष्ठी के नाम से जाना जाने लगा।

इस दिन सास अपनी बेटी और दामाद के अच्छे भविष्य और भलाई के लिए षष्ठी पूजा करती है। घर में उल्लास का वातावरण होता है और अनेक तरह के शाकाहारी तथा मांसाहारी भोजन बनता है। दामाद को उपहार दिया जाता है। यह भी कहा जाता है कि दामाद के नाम पर बेटी से मिलने का बहाना है।


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