समूर्ण माया एक्सक्लूसिव :कोरोना संक्रमण के कारण पद, पैसा, प्रतिष्ठा, आविष्कार सब हुए बेकार
भोपाल २५ मार्च, घरों में घुसने से पहले प्रदेश में जिस तरह से पद पैसा और प्रतिष्ठा को पाने का सियासी ड्रामा चला उन सब लोगों को अब समझ में आ गया होगा कि जान है तो जहान है । आविष्कार भी अब बौने साबित हो रहे हैं जिनके बारे में इतराते हुए आधुनिक लोग हमारी संस्कृति और ईश्वर तक को अनदेखा करने की कोशिश करते हैं। अभी भी समय है की हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा, की तर्ज पर हम घर पर रहेंगे सब घर पर रहेंगे और कोरोना की महामारी से जीतेंगे ।
प्रकृति में संतुलित न्याय व्यवस्था मौजूद है, प्राकृतिक रूप से जीवन जीने में कोई समस्या नहीं लेकिन विकास की अंधी दौड़ पद पैसा और प्रतिष्ठा पाने की चाहत ने मानव को दानव जैसा बना दिया है। जिसके लिए वह कुछ भी पाप करने को तैयार है। छल कपट पाखंड चरम पर है अब कौन किसको समझाएं की इस महामारी से कौन सा योद्धा अपने पद पैसे और प्रतिष्ठा से बचा सकता है। या वे आविष्कार भी रक्षा कर सकते हैं जिन पर दुनिया के वैज्ञानिक इतराते है। चांद पर जाने की बात करते हैं लेकिन एक वायरस को रोकने की हिम्मत नहीं हो रही है। दुनिया के वे देश भी अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं जो अपनी उन्नति का दम भरते हैं ।
अभी भी समय है हम सब लौट चलें अपनी भारतीय पुरातन संस्कृति की ओर लौट चलें आधुनिकता की अंधी दौड़ में आने वाली पीढ़ियों को संकट में ना डालें। जिस तरह विकास के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया गया प्रकृति में संतुलन बनाने वाले पशु पक्षियों का शिकार किया गया उसी की परिणीति है कि अब सभी शक्तिमान असहाय हो रहे हैं । अभी भी मानवता दिखाने का वक्त है खासकर उन लोगों के लिए जो ऐसी आपदा में बहुत बड़ा व्यापार करने की कोशिश करने लगते हैं । अभी से सैनिटाइजर मास्क की कालाबाजारी शुरू हो गई है।
सब्जियां, फल, फूल, दूध, दही और किराना के सामान की कीमतें दुगनी और 3 गुना हो गई सामने भयावह भविष्य दिखाई दे रहा है इसके बाद भी इंसान अंधा बना जा रहा है । जबकि यह अवसर होते हैं पुण्य कमाने के, लोगों की मदद करने के और जो कुछ है सब में मिल बांट कर खाने की ना की सबको हजम कर लेने की । इस समय जो भी जिम्मेदार लोग हैं वे लोगों को बचाने के लिए पूरी इमानदारी से कार्य करें क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत बड़े व्यापार की आहट भी सुनाई दी गई हम केवल घरों पर रह कर दुनिया के हर षड्यंत्र को फेल कर सकते हैं ।
भारत विश्व गुरु बन कर दुनिया को राह दिखा सकता है यह 130 करोड़ लोगों ने कैसे ध्यान और संयम रखें इस महामारी से लड़ाई जीती है ।यदि मानव समाज बचा रहा तो फिर बाकी चीजें को पाने के अवसर मिलते रहेंगे अन्यथा चीन अमेरिका इटली जैसे देशों की खबरें देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे देश की स्थिति कितनी भयावह होगी अभी वक्त है मानव समाज को बचाने का । श्रेष्ठ मानव होने का संतोष हासिल करना है ।
कुल मिलाकर प्रदेश के राजनीतिज्ञ और नौकरशाहों को भी इस आपदा में अपना सब कुछ श्रेष्ठ लगाकर जनता की मदद करना चाहिए । जो भी इस संकट की घड़ी में आगे आगे सहयोग करेगा वही सही नेतृत्व कहलायेगा और वही सही जनसेवक माना जावेगा । नौकरशाहों को भी समझ लेना चाहिए उन्हें यह पद ऐसे ही अवसरों के लिए मिले हैं, जब वे दिन-रात मेहनत करके मानव समाज को बचाने के लिए दिन रात एक कर दें ।