धर्मनिरपेक्ष हैं कोविड-19 वायरस
हज़रत पैगंबर मोहम्मद साहब ने एक बार अपने एक संदेश में कहा था कि स्वस्थ के साथ बीमार को मत बैठाओ। और कुष्ठ रोग से ऐसे दूर भागो जैसे शेर को देखकर भागते हो परंतु अफसोस इस बात का है कि पूरी दुनिया में इस्लाम का झंडा बुलंद करने का दावा करने वाली तबलीगी जमात इस्लाम की और हजरत पैगंबर मोहम्मद साहब के इन बुनियादी उसूल को नहीं समझ सकी और देखते ही देखते वह इंसानियत और इस्लाम का भी सबसे बड़ा दुश्मन बन गई।
वायरस का तात्पर्य है जहर। इस जहर से बचने का यदि रास्ता है तो वह हर स्तर पर इससे बचाव ही है और वह शारीरिक दूरी से संभव है। और यही इसका रामबाण इलाज है। और जो लोग इस नियम को नहीं मान रहे किसी धर्म के नहीं हैं बल्कि वे इंसान की खाल में मानवता के सबसे बड़े दुश्मन हैं साथ ही साथ वे वायरस से भी खतरनाक हैं। कोरोना वायरस एक ऐसा धर्मनिरपेक्ष जहर है जो जाति, धर्म मजहब, अमीर ,गरीब से परे है वह ना तो हिंदू देखता है ना तो मुसलमान देखता है न ही ईसाई देखता है हमें यह देखना चाहिए कि एक लंबे समय तक पूरे विश्व पर जिस अमेरिका का डंका बजता रहा है आज वह अमेरिका इसी कोरोनावायरस के प्रकोप से कराह रहा है इटली फ्रांस और पूरी दुनिया की मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देश यहां तक कि चीन भी आज इससे परेशान है और एक तरह से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं पूरी दुनिया में चार प्रमुख धर्म किस तरह से कोरोनावायरस के आगे हार गए हैं आइए इसकी एक बानगी दिखाते हैं।
सबसे पहले ईसाई धर्म की बात करते हैं इटली में पोप फ्रांसिस ने अपने पादरियों से घरों के बाहर आने और बीमार लोगों के पास जाने के लिए कहा है इसके साथ ही साथ उसने लोगों से कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाए रखने के लिए भी कहा है घाना से लेकर अमेरिका और यूरोप के कैथोलिक चर्चों ने संक्रमण को रोकने के प्रयास में भीड़ को एकत्रित होने से रोकने की भी कोशिश की है।
इस्लाम धर्म की बात की जाए तो मक्का की पवित्र मस्जिद में आमतौर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु होते हैं। इस पवित्र मस्जिद को भी इस भयंकर महामारी की विभीषिका को देखते हुए ना केवल बंद कर दिया है बल्कि इसमें नमाज पढ़ने पर भी रोक लगा दी गई है।
यहूदी धर्म की बात किया जाए तो इजराइल के मुख्य रब्बी डेविड लाउ ने लोगों को सलाह देते हुए एक बयान जारी किया है जिसमें उन्होंने लोगों को छूने या फिर धार्मिक प्रतीक के रूप में मेजुजा का चुंबन नहीं लेने की बात कही है।
अब बात हिंदू धर्म की और भारत की तो यहां पर नवरात्र होने के बावजूद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिन के लाक डाउन की घोषणा की है और सनातन धर्म के इतिहास में जिन मंदिरों के कपाट बंद होने का कभी उल्लेख नहीं मिलता उनको भी इस भयंकर महामारी के चलते बंद कर दिया गया है जैसे वैष्णो देवी, उज्जैन, महाकाल आदि मंदिर वही इन्हीं मंदिरों से इस भयंकर वायरस से लड़ने के लिए पीएम केयर फंड में लाखों रुपए दान भी दिए जा रहे हैं।
दुनिया के इन प्रमुख धर्मों के प्रतिनिधियों और धार्मिक स्थलों को देखकर यह स्पष्ट होता है कि दुनिया के बड़े से बड़े धर्म धुरंधर कोरोना के आगे आत्मसमर्पण कर चुके हैं। कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सामाजिक दूरी का जो इलाज बताया गया है वही एक रामबाण इलाज है और उसी से बचा जा सकता है। इसके अलावा किसी धर्म विशेष में इसके बचाव का कोई रास्ता नहीं है। अतः किसी भी प्रकार से किसी भी धर्म को मानने वाले को सरकार के निर्देशों का पालन करना चाहिए क्योंकि वास्तव में कोरोना वायरस एक धर्मनिरपेक्ष वायरस है ये किसी को भी नहीं बख्शेगा।