प्रतिबद्धता और जागरूकता से टी बी का हो सकता है पूर्ण उन्मूलन : राज्यपाल

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डॉ अजय ओझा।
रांची, 23 सितंबर । राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि टी०बी० का समाज से उन्मूलन कोई बड़ी बात नहीं है, जरूरत है सिर्फ प्रतिबद्धता की, लोगों को जागरूक करने की और रोगियों को नियमित रूप से दवा लेने की। सबसे पहले जरूरी है कि लोगों को इसके लक्षणों के बारे में जानकारी दी जाय और उनसे कहा जाय कि इस रोग का पूर्ण इलाज संभव है। राज्यपाल आज आड्रे हाउस सभागार में ‘प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान’ का राज्यस्तरीय शुभारंभ कर रहे थे।

इस अवसर पर उन्होंने टी०बी० रोगियों के मध्य ‘नि-क्षय आहार’ का भी वितरण किया। उक्त अवसर पर श्री बन्ना गुप्ता, माननीय मंत्री, स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग, झारखंड सरकार, श्री संजय सेठ, लोक सभा सांसद, डॉ० महुआ माजी, राज्य सभा सांसद, अरुण कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग, झारखंड सरकार समेत कई चिकित्सकगण, चिकित्सा जगत से जुड़े कर्मीगण, प्रबुद्धजन के साथ कई नि-क्षय मित्र, क्षय रोगी, टी०बी० चैम्पियन एवं सामाजसेवी उपस्थित थे।

 महोदय ने उक्त अवसर पर कहा कि एक समय था कि था, जब टी०बी० से ग्रसित लोगों को बस्ती से बाहर कर दिया जाता था। लेकिन यह रोग घर में रहकर ही थोड़ा ध्यान देते हुए ठीक किया जा सकता है। आज हमारा मेडिकल साइंस इतना विकसित है कि इस रोग पर पूर्ण नियंत्रण हमारे चिकित्सकों के लिए कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि टी०बी० बच्चे, नौजवान, महिला, पुरुष, वृद्ध किसी को भी हो सकता है। रोगी घबरायें नहीं, उसका इलाज करायें। नियमित रूप से दवा लें, जब तक चिकित्सक  न कहें, तब तक यह दवा लेते रहें, किसी भी परिस्थिति में स्वस्थ होने से पूर्व व चिकित्सक के परामर्श के बिना दवा का सेवन बंद नहीं करें।

राज्यपाल ने इसके साथ पोषण एवं स्वच्छता का भी ध्यान रखने तथा धूम्रपान व नशापान से दूर रहने हेतु कहा। उन्होंने चिकित्सक के साथ-साथ बुद्धिजीवी वर्ग को भी इसके प्रति लोगों को जागरूक करने की दिशा में ध्यान देने हेतु कहा। राज्यपाल ने कहा कि देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टी०बी० रोग को सन् 2025 तक समाप्त करने का संकल्प लिया है।

टी०बी० उन्मूलन हेतु देश में चलाये जा रहे अभियान में गति लाने के विभिन्न प्रयासों पर बल दिया गया है। इस निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु राष्ट्रपति द्वारा “प्रधानमंत्री टी०बी० मुक्त भारत अभियान” की शुरुआत की गई जिसमें वे भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्मिलित हुए। उन्होंने आशा प्रकट करते हुए कहा कि झारखंड राज्य सन् 2025 के पूर्व ही झारखंड टी०बी० मुक्त प्रदेश होगा तो स्वास्थ्य जगत के लिए बेहतर होगा।

उन्होंने टी०बी० उन्मूलन के लिए विभिन्न क्षेत्रों में, विभिन्न स्तरों पर अभियान चलाने की आवश्यकता पर बल दिया जिससे टी०बी० रोगियों को चिन्हित किया जा सके। निजी अस्पताल एवं चिकित्सकों द्वारा अपने निजी क्लीनिक में भी टी०बी० के लक्षण वाले रोगियों का निःशुल्क उपचार की दिशा में प्रयास करने हेतु कहा। समाज उनके इन बहुमूल्य योगदानों को हमेशा याद रखेगा। 

राज्यपाल महोदय ने कहा कि सर्वेक्षण में यह पाया गया है कि टी०बी० रोगी का पोषण स्तर प्रायः संतोषजनक नहीं होता है, साथ ही इस रोग से ग्रसित लोगों को उपचार के दौरान अन्य कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। नि-क्षय पोषण योजना के तहत उपचार के दौरान प्रति माह 500 की राशि डी०बी०टी० के माध्यम से रोगियों के बैंक खाते में पौष्टिक आहार देने का प्रावधान है। लेकिन कॉर्पोरेट घराने, जन-प्रतिनिधि, विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थान, राजनीतिक दल के साथ आम जन भी टी०बी० रोगियों को गोद लेने की दिशा में आयें एवं उपचार की अवधि में रोगियों की जरूरत के अनुसार सहयोग प्रदान करें। उन्होंने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों को भी टी०बी० से ग्रसित बच्चों को चिन्हित कर उनके शीघ्र उपचार के लिए पूर्ण प्रयास करना चाहिए। साथ ही निजी शिक्षण संस्थान भी अपने यहाँ अध्ययनरत तथा आसपास टी०बी० से ग्रसित बच्चों को चिन्हित कर उनको शीघ्र स्वस्थ करने हेतु प्रयास करें। सभी के प्रयास से टी०बी० हारेगा और भारत जीतेगा।

उन्होंने टी०बी० रोगियों के बीच काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को भी राज्य सरकार द्वारा निरंतर प्रेरित करने पर बल दिया। राज्यपाल महोदय ने राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास की दिशा में ध्यान देने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि रिम्स झारखंड का एक बड़ा चिकित्सा महाविद्यालय है। विभिन्न स्रोतों से उनके पास यहाँ की कई शिकायतें आती हैं। यहाँ स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने की जरूरत है। विगत दिनों हृदय शल्य चिकित्सा में हुए व्यवधान पर उन्होंने अपनी चिंता प्रकट की। 


स्वास्थ्य मंत्री  बन्ना गुप्ता ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि माननीय प्रधानमंत्री ने सन् 2025 तक देश से टी०बी० उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। प्रयास है कि इससे पूर्व ही झारखंड राज्य लक्ष्य की प्राप्ति कर लेगा। उन्होंने टी०बी० के उपचार के लिए दवा के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने हेतु खानपान पर भी ध्यान देने हेतु कहा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सर्वाइकल कैंसर के उन्मूलन की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। 
लोक सभा सांसद संजय सेठ ने संबोधित करते हुए कहा कि वे भी कांके में 146 टी०बी० मरीजों के पोषक बने हैं और उनके बीच जा रहे हैं। उन्होंने टी०बी० उन्मूलन के लिए जनजागृति पर विशेष ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि 3 वर्षों में टी०बी० को देश से समाप्त करने का लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने टी०बी० के मरीजों को मास्क लागाने, अपना बर्तन व कपड़ा स्वयं धोने के लिए कहा। 


राज्यसभा सांसद डॉ० महुआ माजी ने संबोधित करते हुए कहा कि हमारे देश में ऐसा भी एक समय था, जब टी०बी० को अत्यंत भयावह मानते थे, लोग संक्रमित व्यक्ति को अलग-थलग रखते थे। उन्होंने कहा कि अपेक्षित पोषण सुलभ नहीं होने के कारण बहुत लोग ठीक नहीं हो पाते थे, ऐसे में यह अभियान बहुत सार्थक है। उन्होंने टी०बी० मरीजों के सहायता की भी बात कही। 


अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग, झारखंड सरकार ने कहा कि राज्य में टी०बी० रोगियों को चिन्हित कर उनका उपचार किया जा रहा है। निःशुल्क दवा के साथ जागरूकता पर बल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मी  सहित बहुत से लोग नि-क्षय मित्र बने हैं। प्रबुद्धजीवी व समाजसेवियों के अपेक्षित सहयोग से राज्य देश का पहला टी०बी० मुक्त राज्य बन सकता है।


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