क्या सार्वजनिक सड़कों और उपयोगिता स्थानों में किसी भी मूर्ती की स्थापना की जा सकतीः हाईकोर्ट

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दिनेश शर्मा “अधिकारी” ।


नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को पलनाडु जिले के नरसरावपेट के बस स्टैंड के पास स्थित मयूरी सेंटर में डॉ वाईएसआर राजशेखर रेड्डी की प्रतिमा के निर्माण की अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय के दिनांक 18.02.2013 के विशिष्ट आदेश के विपरीत भी नहीं किया जा सकता है।


न्यायमूर्ति रवि नाथ तिलहरी की पीठ डॉ. वाईएस राजशेखर रेड्डी की प्रतिमा की स्थापना की अनुमति देने में प्रतिवादियों की ओर से कार्रवाई को अवैध, मनमाना घोषित करने वाली याचिका पर विचार कर रही थी। इस मामले में, याचिकाकर्ता पलनाडु जिले के नरसरावपेट के बस स्टैंड के पास स्थित मयूरी सेंटर में डॉ. वाईएसआर राजशेखर रेड्डी प्रतिमा के निर्माण की अनुमति देने में प्रतिवादियों की ओर से की गई कार्रवाई पर सवाल उठा रहा है, जिसमें लगभग दस संरचनाएं भी खड़ी हैं।
पीठ के समक्ष विचार का मुद्दा था कि क्या डॉ वाईएस राजशेखर रेड्डी की प्रतिमा की स्थापना की अनुमति देने में प्रतिवादियों की कार्रवाई अवैध है या नहीं…..???
उच्च न्यायालय ने माना कि सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया कि वे सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों और किसी भी अन्य सार्वजनिक उपयोगिता वाले स्थानों पर किसी भी मूर्ती की स्थापना या किसी भी संरचना के निर्माण की अनुमति न दें।
खंडपीठ ने कहा कि नगर निगम या नगर पालिका सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, फुटपाथों और अन्य सार्वजनिक उपयोगिता वाले स्थानों पर किसी भी मूर्ती की स्थापना या किसी भी संरचना के निर्माण की अनुमति नहीं दे सकती है और भले ही पहले कोई अनुमति दी गई हो जिसके अनुसार कोई मूर्ती बनाया जा रहा हो अभी स्थापित किया गया है जो उच्चतम न्यायालय के दिनांक 18.02.2013 के विशिष्ट आदेश के विपरीत भी नहीं किया जा सकता है।
उपरोक्त के मद्देनजर, उच्च न्यायालय ने पहले प्रतिवादी-प्रधान सचिव, नगर प्रशासन और शहरी विकास विभाग और दूसरे प्रतिवादी-जिला कलेक्टर, पलनाडु जिले को मामले को देखने और सभी प्रतिवादियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कोई उल्लंघन न हो।


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