बाॅलीवुड की मशहूर अदाकारा शशिकला के याद में

Share:

शशिकला का जीवन संघर्षों से भरा था। शशिकला जावलकर का जन्म महाराष्ट्र के शोलापुर शहर में हुआ। हिंदू भावसर शिम्पी जाति में जन्मी शशिकला के पांच भाई बहन थे। पांच वर्ष की उम्र से ही वह शोलापुर जिले के विभिन्न शहरों में स्टेज पर नृत्य, गायन और अभिनय का प्रदर्शन करती थीं। यह तब उनकी मजबूरी नहीं शौक था। उनके पिता का अच्छा व्यवसाय चल रहा था। अब तक तो सब ठीक था पर किशोरावस्था तक पहुंचते पहुंचते संघर्ष भरे दिन प्रारंभ हो गए। उनके पिता का व्यवसाय बन्द हो गया और उनके पिता पूरे परिवार के साथ बंबई ( आज का मुंबई) आ गए। मुंबई आने के बाद उन्होंने सोचा कि शशिकला फिल्मों में काम तलाश सकती है। पर यह इतना आसान न था। एक साक्षात्कार में शशिकला ने कहा था वह लोगों के घरों में काम करती थीं। इसी दौरान उनकी मुलाकात अभिनेत्री और गायिका नूरजहां से हुई। शशिकला का चेहरा नूरजहां को बेहद पसंद आया। तब तक पूरा परिवार किसी तरह से जीवन यापन कर रहा था।

नूरजहां के पति शौकत हुसैन रिजवी जीनत नामक फिल्म बना रहे थे। उन्‍होंने शशिकला को कव्वाली के सीन में शामिल कर लिया। उसके बाद उनका फिल्मी करियर प्रारंभ हुआ। १९५५ में उन्होंने शम्मी कपूर के साथ फिल्म डाकू में काम किया। वह संघर्ष करती रहीं और पी एन अरोड़ा, अमीओ चक्रवर्ती व कुछ अन्य निर्माताओं द्वारा बनाई गई फिल्मों में छोटी छोटी भूमिकाएं की। उन्हें सर्वप्रथम पहचान मिली १९४८ में हिंदी फिल्म पगड़ी से जिसके निर्माता प्रेम नारायण अरोड़ा थे।

उन्होने १९५३ में वी शांताराम की फिल्म तीन बत्ती चार रास्ता में अभिनय किया। वह फिल्में कर ही रही थीं कि लगभग बीस साल की उम्र में वह ओम प्रकाश सहगल से मिलीं और उनसे विवाह कर लिया। ओम प्रकाश सहगल कुंदन लाल सहगल के परिवार से ताल्लुक रखते थे। शशिकला ने दो बेटियों को जन्म दिया।

१९५९ में उन्होंने विमल राॅय की सुजाता में अभिनय किया। मीना कुमारी, अशोक कुमार और प्रदीप कुमार के साथ १९६२ में ताराचंद बड़जात्या की फिल्म आरती में नकारात्मक भूमिका निभाई। इसके लिए उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला। इसके बाद उनके पास सहायक भूमिकाओं के लिए खूब आफर आने लगे। उन्होंने अनुपमा, फूल और पत्थर, आई मिलन की बेला, गुमराह, वक्त और खुबसूरत में अभिनय किया। १९७४ में शम्मी कपूर और साधना अभिनीत छोटे सरकार में उन्होंने नकारात्मक भूमिका निभाई।

शशिकला को नेगेटिव रोल में ज्यादा शोहरत मिली। अपने अभिनय करियर के एक पड़ाव पर पहुंचकर उन्होंने बहन या सास की भूमिका करने का निर्णय लिया। फिर वही रात, सौतन ,सरगम में ऐसी भूमिका देखने को मिलती है। उन्होंने सौ से अधिक फिल्मों में सह अभिनेत्री की भूमिकी निभाई।

पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने टेलीविजन की ओर अपने कदम बढ़ाए थे। उन्होंने कई टीवी सीरियलों में काम किया। सोनी के जीना इसी का नाम है, जी टीवी के लिए अपनापन, सब टीवी के लिए दिल दे के देखो और स्टार प्लस के लिए सोन परी। सोन परी में दादी के रूप में शशिकला बहुत मशहूर हो गई थीं। इसके अलावा उन्होंने फिल्म परदेसी बाबू, बादशाह, कभी खुशी कभी गम, मुझसे शादी करोगी और चोरी चोरी में भी अभिनय किया।

उन्हें १९६२ एवं १९६३ में क्रमशः फिल्म आरती और गुमराह के लिए बेस्ट सह अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। उन्होंने बेस्ट सह अभिनेत्री के लिए कई पुरस्कार जीते। उन्हें १९६३ में आरती, १९६४ में गुमराह और १९७॰ में राहगीर के लिए बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशएन द्वारा पुरस्कृत किया गया। शशिकला को सन २॰॰७ में पदम् श्री से सम्मानित किया गया। तब उन्होंने कहा था मुझे यह सम्मान काफी देर से मिला। मुझे यह पहले ही मिल जाना चाहिए था। २॰॰९ में उन्हें वी शांताराम अवार्डस में लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड मिला। शशिकला आज हमारे बीच नहीं हैं पर अभिनेत्री शशिकला अपनी फिल्मों के माध्यम से हमेशा हमारे बीच रहेंगी। वह खुबसूरत शशिकला अपने हिट फिल्मों के लिए हंमेशा याद की जाएंगी।


Share: