राजस्थान में अब होगा मरू प्रदेश

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टुडे इंडिया / छाया शर्मा
दिल्ली, 20 सितंबर, 2023

  • राजस्थान में बनेंगे दो राज्य..
  • राजस्थान में नए जिलों के बाद बनेगा नया मरुप्रदेश
  • प्रधानमंत्री मोदी का विधानसभा चुनाव जीतने का नया फार्मूला..
  • वसुंधरा राजे व गजेंद्र सिंह शेखावत के टकराव से बचाएंगे भाजपा को..
  • संसद के विशेष सत्र में मरुप्रदेश पर होगी चर्चा…
  • केंद्र सरकार देश मे मरुप्रदेश राज्य बनाने पर कर रही मंथन
  • राजस्थान से मरूप्रदेश अलग राज्य की घोषणा जल्द
  • राजस्थान राज्य दुनियां के 110 देशों से बड़ा..
  • मरुप्रदेश के बाखासर के रणक्षेत्र में बनेगा उत्तरी भारत का पहला कृत्रिम बंदरगाह..

जयपुर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही संसद के नए विशेष सत्र में देश को तीन नए राज्यों की सौगात देने जा रहे हैं जिसके तहत भारत में विदर्भ प्रदेश,उत्तर प्रदेश में नया अयोध्या प्रदेश और राजस्थान में नया मरू प्रदेश नाम से नए राज्य अस्तित्व में आएंगे।
प्रधानमंत्री मोदी की इस योजना के तहत राजस्थान को दो भागों में बांटकर, इसके दो नए प्रदेश बनाने जा रहे हैं।

इन दो नए प्रदेश के बनने से आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के टकराव को मोदी टालना चाहते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि राजस्थान के दो प्रदेश बनने से एक प्रदेश में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और दूसरे प्रदेश के मुख्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को बनाया जा सकता है।

वही, भाजपा के भीतर जातीय राजनीति को भी दूर कर विभिन्न समाजों के अंदर चुनाव की दृष्टि से समन्वय बैठाया जाएगा।
काफी लंबे समय से राजस्थान के पश्चिमी राजस्थान के जिलों में अलग प्रदेश मरुप्रदेश की मांग उठ रही है।

केंद्रीय सरकार सूत्रों के अनुसार संसद के विशेष सत्र में नए राज्य निर्माण की अटकलें तेज हो गई है।

नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डाभोल के बुलावे पर प्रधानमंत्री कार्यालय में नए राज्य मरुप्रदेश,शेखावाटी नहर,घग्घर नदी के पानी,माही बेसिन के जल,बॉर्डर पर बढ़ते पलायन को लेकर चर्चा भी की है।

गौरतलब है कि इसको लेकर आंदोलन कर रहे मरुप्रदेश निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष जयबीर गोदारा ने बताया कि राज्य को लेकर आमजन की ओर से 13 साल में अनेकों बड़े आंदोलन किए गए है। सन 2009 में बीकानेर से लेकर जयपुर तक ऊँटों की महायात्रा की थी व राज्यपाल को ज्ञापन दिया था।

उसके बाद 2013 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दिल्ली में ज्ञापन दिया,फिर 2014 में नरेन्द्र मोदी से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा था।
नए प्रदेश की मांग के तहत 23 जनवरी 2023 में श्रीगंगानगर से लेकर जयपुर तक ऊँटो की महायात्रा की गई थी। जिसमें छोटे जिले,छोटे संभाग,बिजली,किसान,भर्ती परीक्षाओं के भ्रष्टाचार सहित अनेकों मुद्दे रखे थे। उसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नए जिले व नए संभाग सहित अनेकों मांगे पूरी भी करी।

मरुसेना के अध्यक्ष जयन्त मूंड ने बताया कि राजस्थान राज्य दुनियां के 110 देशों से बड़ा है।

अरावली पर्वतमाला पूर्वी राजस्थान व पश्चिमी राजस्थान को भौगोलिक, सांस्कृतिक, रहन-सहन पहनावें, जलवायु, भाषा, विकास व आर्थिक आधार पर विभाजित करती है।

केंद्र सरकार के सूत्रों के अनुसार सोमवार को ही दिल्ली के उच्च अधिकारियों ने मरुप्रदेश मुद्दे से सम्बंधित कागजात मंगवाए थे।

जिससे संकेत मिले थे कि नए संसद के सत्र में नए राज्य का निर्माण की घोषणा सम्भव हो सकती है।

नए प्रदेश की मांग करने वाले आमजन के कहना है कि मरुप्रदेश बनता है तो नई संसद का विशेष सत्र स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा व विकास के नए आयाम खुलेंगे।

मरू प्रदेश का मुकाबला दुबई से
मरुप्रदेश राज्य बनता है तो हमारा मुकाबला राज्य के साथ नही दुबई देश के साथ होगा। हमारे जिलों में नए रोजगार व तरक्की के द्वार खुलेंगे। औधोगिक क्रांति आएगी व प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोतरी होगी।
20 जिलों का होगा मरुप्रदेश
पश्चिमी राजस्थान के 20 जिलें
श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, अनूपगढ़, चुरु, झुंझुनू, नीमकाथाना, सीकर, नागौर, डीडवाना-कुचामन, बीकानेर, जैसलमेर, फलौदी, बाड़मेर, बालोतरा, जोधपुर, जोधपुर ग्रामीण, पाली, जालोर, सांचौर एवं सिरोही को मिलाकर मरुप्रदेश बनेगा ।

नए राज्य मरुप्रदेश के निर्माण से फायदे..

उत्तरी भारत का पहला कृत्रिम बंदरगाह व औधोगिक विकास..

सन 2009 में जब पहली बार मरुप्रदेश की मांग को लेकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व राज्य के मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया गया था, तो ज्ञापन में मरुप्रदेश के फायदे में लिखा कि प्रदेश बनते ही बाड़मेर-सांचोर क्षेत्र के इलाके में कृत्रिम बंदरगाह बनाएंगे, जिसको पनामा व स्वेज नहर की तर्ज पर विकसित करेंगे।
गुजरात की कच्छ की खाड़ी से 150 किमी. लम्बा व 18 मीटर गहरा समुन्दर काट कर बाड़मेर के बांखासर तक लाया जाएगा जिसे आगे इंदिरा गांधी नहर से जोड़कर हम उत्तरी भारत में जहाजो से आयात-निर्यात करेंगे।
इससे राज्य उत्तर भारत के 6 राज्यो का व्यापारिक केन्द्र बिंदु बनेगा।
बाखासर के रण क्षेत्र में बंदरगाह निर्माण की संभावना एवं कार्ययोजना के संबंध में राज्य में कार्यरत अन्तरराष्ट्रीय कम्पनियों से तकनीकी एवं वैश्विक अनुभव का सहयोग लेकर केन्द्र सरकार के स्तर उचित कार्रवाई कराने के निर्देश देने का अनुरोध किया है। साथ ही उन्होंनें वेदांता ग्रुप के संस्थापक अनिल अग्रवाल से इस संबंध में वैश्विक अनुभव का लाभ दिलाने सहित तकनीकी एवं अन्य सहयोग की भी अपील की है।
राजस्थान-गुजरात सीमा पर बाखासर क्षेत्र के रण क्षेत्र में बन्दरगाह निर्माण करवाने से औद्योगिक एवं आर्थिक विकास को अप्रत्याशित गति मिल सकेगी। पश्चिमी राजस्थान में कच्चे तेल एवं प्राकृतिक गैस के साथ ही ग्रेनाइट, बेन्टोनाइट, लाइम स्टोन, लिग्नाइट जैसे खनिज पदार्थों के अथाह भंडार है।
वहीं जीरा, इसबगोल, ग्वार, बाजरा, खजूर, अनार के साथ ही कपड़ा उद्योग, हस्तशिल्प सहित कई बहुमूल्य चीजें उपलब्ध हैं जो निर्यात भी हो रही है। ऐसे प्रमाण है कि प्राचीन समय में थार मरुस्थल एवं कच्छ का रण समुद्री क्षेत्र थे। कच्छ रण का समुद्र स्तर अन्य जगह से समान है। कच्छ रण को इंग्लिश चैनल की तरह ही किसी चैनल के माध्यम से जोड़ा जाए तो यहां बंदरगाह के रूप में विकसित करने से विकास को गति मिलेगी । जून 2015 में प्रधानमंत्री ने नरेन्द्र मोदी व सुरक्षा सलाहकार अजीत डबोल से मरुप्रदेश निर्माण मोर्चा की प्रतिनिधि मंडल बैठक बाद सन 2016 में केंद्रीय जहाजरानी व परिवहन मंत्री नितिन गडकरी व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इस ड्रीम प्रोजेक्ट का उद्घघाटन भी किया लेकिन अभी तक शुरु नही हुआ।

स्पेशल इकोनॉमी जॉन व रोजगार के अवसर..
नए राज्य के साथ ही रोजगार प्रचुर मात्रा में सृजित होंगे वही मरुप्रदेश में देश का 27% तेल व गैस उत्पादन है जो आने वाले समय में कुल सकल घरेलू उत्पादन का 50% हो जाएगा। मरुप्रदेश में युरेनियन के अथाह भंडार खण्डेला व नीमकाथाना (सीकर) में मिले है जिनका उत्पादन जारी होने वाला है। अथाह खनिज संपदा,सूखे बंदरगाह,सौर ऊर्जा,पवन ऊर्जा व पर्यटन के दम पर हमारा मुकाबला सीधे दुबई से होगा।
शारदा-साबरमती-यमुना लिंक से अन्न का कटोरा बनेगा मरुप्रदेश
केन्द्र सरकार की 1,00,000 करोड़ की SSLP योजना-भारत नेपाल सरहद पर बहने वाली शारदा नदी का पानी हरियाणा,राजस्थान व गुजरात तक लाने का भागीरथी प्रयास से आने वाले समय में मरुधरा किस्मत बदल सकती है।

जल प्रबंधन व नहरों का जाल बनाया विश्व का अन्न का कटोरा
मरुप्रदेश में सबसे ज्यादा खाली जमीनें व उपजाऊ जमीनें पानी की कमी से बंजर पड़ी है। यदि इन्द्रीरा गांधी नहर के सीपेज को कंट्रोल करके हम इंदिरा गांधी नहर,गंगनहर व भाखड़ा नहर का पूरा पानी मिले तो तकदीर व तस्वीर बदलेगी। नहर के सीपेज के कारण लाखो एकड़ जमीन सेमग्रस्त है वही इंदिरा गांधी नहर में 18 हजार क्यूसेक पानी मिला हुआ है जो पूरा नही मिल रहा। यदि नहर का सीपेज नई तकनीक व भ्रष्ट सिस्टम को सुधार कर नई तरीके से व्यवस्थित किया जाए तो आन बीकानेर,नागौर तक कि लाखों एकड़ जमीन सोना उगलने लगेगी।
उदाहरण के लिए हनुमानगढ़ जिले के नोहर से सटे जमाल में वर्षो से सेम की समस्या तबके जिसको हरियाणा सरकार ने सेम नाला बनाकर समाधान कर दिया जिसके बाद आज जमाल के आसपास खेतों में बाग लहलहा रहे है।

माही बेसिन का जल.. राजस्थान व गुजरात के बीच 1966 में कडाना बांध को लेकर समझौता हुआ था जिसमें राजस्थान को पानी देने की सहमति बनी थी। माही बांध (बांसवाड़ा) से प्रतिवर्ष 127 टीएमसी पानी खम्भात की खाड़ी में जाकर दरिया में खराब हो रहा है वो पानी यदि राजस्थान के पश्चिमी सिरोही,जालोर व बाड़मेर को मिले तो खेती में नए आयाम स्थापित होंगे।

नहरो से बिजली..
गुजरात की नर्मदा नदी की तर्ज पर मरुप्रदेश की इंदिरा गांधी नहर पर सौर पैनल लगाकर यदि बिजली उत्पादन किया जाए तो कई जिलों को मुफ्त बिजली दे सकेंगे वही लाखो गैलन पानी का वाष्पीकरण रुकेगा।

शेखावाटी नहर
प्रदेश के सबसे शिक्षित इलाके शेखावाटी को 3189 क्यूसेक यमुना जल बोर्ड समझौते से मिला हुआ है लेकिन सरकारों की इच्छाशक्ति के कारण मिल नही पाया। प्रदेश बनकर नहर आती है तो यकीनन दिल्ली के पड़ोसी होने के कारण गुरुग्राम जैसी तरक्की इस इलाके की होंने की प्रबल सम्भावना है।

वर्ल्ड टूरिज्म हब विकसित
कच्छ के रण से बाँखासर तक बनने वाले कृत्रिम बंदरगाह व इंदिरागांधी नहर की दोनों तरह शुष्क व रेगिस्थानी देश दुबई और अमेरिका के लास वेगास जैसा टूरिज्म हब विकसित करेंगे जहां दुनियां की बड़ी इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनियाँ व गेमिंग कंपनियां को आमंत्रित किया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर के रेस्तरां, नाईट क्लब, रिसॉर्ट्स, सितारा होटल्स, फ़िल्म सिटी, स्टूडियो बनाए जाएंगे जिसे दुनियां देखने आएगी।

मरुप्रदेश के मारवाड़ी देश व विदेश में व्यापार के लिए जाने जाते है उनके लिए “अंतरराष्ट्रीय मारवाड़ी सम्मेलन” आयोजित करके कॉरपोरेट पार्क बनाये जाएंगे जहां दुनियांभर की कंपनियां निवेश को लालायित रहेगी।
मरुप्रदेश के इतिहासिक व सामाजिक, सांस्कृतिक, विरासत के रंगों को सहेज कर गोल्डन पर्यटन शहर बीकानेर, जोधपुर व शेखावाटी के मंडावा क्षेत्र में फ़िल्म सिटी विकसित की जाएंगी व जैसलमेर का विकास बैंकाक,मलेशिया व सिंगापुर की तर्ज पर किया जाएगा। मरुप्रदेश के स्थानीय हस्तशिल्प उधोगों, कपड़े रंगाई उधोगो, पहनावे का प्रचार प्रसार करके देश-विदेश में निर्यात बढ़ाएंगे। नए कल्चर विलेज पर्यटन को बढ़ावा देखर नए पर्यटन क्षेत्रो का विकास किया जाएगा।

बेहतर उधोगो की स्थापना व विकास.
मरुप्रदेश खनिजों का अजायबघर है। मरुप्रदेश बनाने के बाद नागौर,जालौर,सिरोही मार्बल व ग्रेनाइट हब बन जाएंगे। देश का विभिन्न रंगों का ग्रेनाइट व 95% मार्बल यही निकलता है।

पाली व बाड़मेर को इंडस्ट्रीयल हब बन जाएंगे। नागौर व जैसलमेर लाइम स्टोन, पिला मार्बल, गुलाबी पत्थर के हब बनेंगे।
प्रदेश में सेरेमिक उधोग, पेट्रोलियम उधोग, रसायन उधोग, सीमेंट के कारखाने, स्टोन पार्क,चमड़ा कॉम्प्लेक्स, ऊन कॉम्प्लेक्स, स्पाइस पार्क, एग्रो पार्क, चीनी उधोग, सूती कपड़ा उधोग व कपड़ा रंगाई के उधोगो को बढ़ावा दिया जाएगा। मरुप्रदेश का हैंडीक्राफ्ट उधोग(वस्त्र व फर्नीचर) को विश्व स्तर पर बढ़ावा दिया जाएगा साथ ही मिट्टी के बर्तन निर्माण, पीतल जड़ाव उधोग, संगमरमर की कारीगरी, सोजत की मेहंदी, पापड़-भुजिया उधोग, सुनहरी टेराकोटा, गोटा किनारी उधोग को प्रोत्साहित किया जाएगा।

मरुप्रदेश में देश का सर्वाधिक जिप्सम, पोटाश, जस्ता, टंगस्टन व फास्फेट खाद बनाने वाले रॉक फास्फेट का उत्पादन होता है। चीनी बर्तनों को बनाने वाला फ्लोराइट, चीनी मिट्टी का एकाधिकार है।
जैसलमेर के सोनू हमीरा खदानों से लाइम स्टोन के लदान से रेलवे जोधपुर मंडल को वर्ष 2015-16 में 627 करोड़ का राजस्व मिला वही जो अब बढ़कर प्रतिवर्ष करीबन 700 करोड़ हो गया है।

नागौर जिले के जायल क्षेत्र के 5 ब्लॉक में से एक ब्लॉक की नीलामी से राज्य सरकार को 6 हजार करोड़ का राजस्व मिला है जो लाइम स्टोन की भारत की सबसे बड़ी नीलामी थी फिलहाल जायल में 4 ब्लॉक, खींवसर के गोटन में करीब 11 ब्लॉक है। मरुप्रदेश में आने वाले 50 वर्षो तक उत्पादन करने जितना लाइमस्टोन के प्रचुर भंडार है जिनकी बदौलत प्रदेश देश का सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादन हब बन जायेगा। नवलगढ़ में सीमेंट की 6 बड़ी कंपनियां आ गयी है वही नीमकाथाना में लौह अयस्क उत्पादन को लेकर प्लानिंग चल रही है।
प्रदेश में देश का 27% तेल,गैस व पेट्रोलियम प्रदार्थों का उत्पादन होता है जो सन 2025 तक 50% हो जाएगा। इससे अब तक केंद्र सरकार 68,000 करोड़ व राज्य सरकार 38,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त कर चुकी है। रिफायनरी के बाद बाद देश के पेट्रोलियम उधोग, केमिकल उधोगो का हब बन जायेगा।

सम्रद्ध किसान व कृषि उधोग
मरुप्रदेश बनने के बाद इजरायल तकनीक,नहरी सिस्टम सुधार कार्यक्रम,बूंद-बूंद सिंचाई से किसान को मजबूत करके कृषि उधोगों का हब बनाया जाएगा। इंदिरागांधी नहर के सीपेज को कंट्रोल करके,पाली के जवाई बांध को नदियों से जोड़कर,नर्मदा नदी का पानी लाकर व प्राचीन नदियों को सहेज करके चक बांध बनाकर शेखावाटी,नागौर,बाड़मेर, पाली,जालौर की 12 लाख हेक्टेयर भूमि को कृषि योग्य बनाया जाएगा व जलक्रांति का एक नया अध्याय देश के सामने पेश करेंगे।
श्रीगंगानगर,हनुमानगढ़ बागानी खेती,मछली पालन के हब बनेंगे,चीनी उधोग की पुनः शुरुवात करेंगे वही मरुप्रदेश के मसालों,ऑर्गेनिक अनाज के लिए विश्वभर में डिमांड पैदा करेंगे।

हमारे मारवाड़ी खानपान बाजरे की रोटी, ग्वार फली, काचरा, मतीरी, फोगलिया, कैर, सांगरी, पापड़, भुजिया, रसगुल्ला, मंगोड़ी, अचार, मसाला आदि के ऑर्गेनिक फूड ब्रांड को विश्वस्तर पर बढ़ावा देंगे। ऑर्गेनिक खेती व प्रोडक्शन के लिए किसानों को इजराइली तकनीकों के सहारे खेती को प्रोत्साहित करेंगे। खजूर, अनार, निम्बू, किन्नू, अमरुद व सब्जियों का सब्जियों के उत्पादन को बढ़ाकर प्रमुख निर्यातक बनाएंगे। मारवाड़ में जोधपुर के अलावा ओर नए ग्वारगम प्रसंस्करण इकाईयां स्थापित करके किसान को मजबूत किया जाएगा।

किसान के सम्पूर्ण कर्जमाफी करके किसान को नए सिरे के कृषि उधोगों से जोड़ा जाएगा व हर ग्राम स्तर पर किसान की फसल, सब्जियों व फलों का खरीदी केंद्र बनाए जाएंगे व शीत भंडारण बनाये जाएंगे
पशुपालन व दुग्ध उधोग
राजस्थान की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में पशुपालन व्यवसाय का विशेष महत्व है।
राजस्थान में देश के कुल पशुधन का लगभग 11.05% मौजूद है जिसमें से कुल देश का 09.67% पशुधन मरुप्रदेश में है। गाय,भैंस,बकरियां मरुप्रदेश की भारत में विख्यात है तो भेड़ और ऊंटों की संख्या में देश में प्रथम स्थान पर है।
आज भी पूरे भारत का 09% दुग्ध उत्पादन मरुप्रदेश में होता है।
“दूध दही का खाना,यो है हरियाणा” नारे के तर्ज पर मरुप्रदेश को भारत में पौष्टिक आहार घी,मक्खन,छाछ व दही के लिए ब्रांड बनाएंगे। इस व्यवसाय के साथ साथ डेयरी उधोग,ऊंन उधोग,परिवहन,चमड़ा,चारा आदि के विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।
विश्वभर में मरुक्षेत्र के बकरे,मिंडो,फार्मिंग मुर्गों की भी बड़ी तादाद में डिमांड रहती है गर्म व शुष्क जलवायू के चलते इम्युनिटी व ऑर्गेनिक मांस की मांग है।
शिक्षा व स्पोर्ट्स के हब..
मरुप्रदेश की शिक्षा नीति में मेडिकल, तकनीकी, आयुर्वेद, कृषि, सैनिक व खेलकुद, पर्यटन व सम्पूर्ण विकास नीति के आधार पर विश्वविद्यालयों के साथ हर तहसील व बड़ी पंचायतों में कॉलेज व कृषि/तकनीकी शिक्षा केंद्रों की स्थापना हो सकेगी। सीकर, झुंझुनू व चुरु को एजुकेशनल, स्पोर्ट्स व डिफेंस एजुकेशन के हब की तरह विकसित किया जाएगा। हर ग्राम पंचायत में खेलने के मैदान, अच्छी स्कूल बनाई जाएगी व साथ ही बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए नई शिक्षानीति तैयार की जाएगी।

तीव्र, सुविधाजनक व सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था..
मरुप्रदेश सड़क व परिवहन व्यवस्थाओं में पिछड़ा हुआ और असुरक्षित सड़कों वाला प्रदेश है। प्रदेश बनने के बाद सभी जिलों को आपस में तीव्र रेलमार्गो से जोड़ा जाएगा क्योंकि थल मार्गो से बेहतर रेल मार्ग होते है जिससे ऊर्जा की खपत भी घटेगी। सड़क परिवहन को बेहतर बनाने के लिए अच्छी व सुरक्षित बड़े राज्य मार्गो का निर्माण किया जाएगा जिससे औधोगिक परिवहन बढ़ सके। प्रदेश के गांवों व ढाणियों को पक्की सड़कों से जोड़ा जाएगा और सड़कों के दोनों ओर सघन वृक्षारोपन करके हरित प्रदेश बनाया जाएगा।

बिजली उत्पादन में निर्यातक प्रदेश..
मरुप्रदेश में हवा, धूप व धरती से भी बिजली बना सकते है।
सौर ऊर्जा..
मरुप्रदेश एशिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा का हब है जहां बड़े बड़े सौर पार्क बनाकर हम अन्य राज्यो को बिजली निर्यात कर सकते है।
राजस्थान आर्थिक समीक्षा 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक अभी मरुप्रदेश में 2411.07 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है जो सकल उत्पादन का 11.04% है।
पवन ऊर्जा..
राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान(एनआईडब्ल्यूई),एमएआरई और जीओआई के आकलन के अनुसार राज्य में पवन ऊर्जा क्षमता 100 एम हब ऊंचाई पर।लगभग 18,770 मेगावाट होने का अनुमान है।
राज्य में मार्च,2019 में कुल 4,310.50 मेगावाट पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित की गई है। मरुक्षेत्र में करीबन 10 हजार पवन पंखों से 3139.2 मेगावाट बिजली उत्पादन प्रतिदिन हो रहा है जो सकल उत्पादन का 15.6 % है।
कोयला बिजली..
मरुप्रदेश के जिलों में उड़ीसा के बाद टर्सरी युग के लिग्नाईट के सबसे बड़े भंडार है। सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट (श्रीगंगानगर)से 1500 मेगावाट विधुत उत्पादन होता है जो प्रथम सुपर ताप बिजली घर है जिसकी आने वाले समय में 4140 मेगावाट क्षमता हो जाएगी इसे आधुनिक तीर्थ स्थल भी कहा जाता है। बाड़मेर के गिरल लिग्नाईट पावर प्लांट से 250 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है जो राज्य का प्रथम गैसीयकरण तकनीक वाला विधुत घर है। बीकानेर के बरसिंहसर थर्मल पॉवर(बीकानेर) से 125 मेगावाट,गुढ़ा(बीकानेर) से 125 मेगावाट,भादरेश(बाड़मेर) व हाडला(बीकानेर) में भी लिग्नाईट कोयले आधारित बिजली उत्पादन हो रहा है। मरुक्षेत्र में कोयले के 100 साल तक के उत्पादन के भंडार है।
बाड़मेर के कपूरड़ी में 6 करोड़ टन लिग्नाईट भंडार के आधार पर 1000 मेगावाट क्षमता का एक विधुत गृह स्थापित का काम सौपा जा चुका है।
गैस आधारित बिजली..
मरुप्रदेश में प्राकृतिक गैस आधारित विधुत परियोजना से रामगढ़(जैसलमेर) में 113.5 मेगावाट बिजली बन रही है।
यूरोपियन कंपनी फीनिक्स,ओवरसीज लिमिटेड ने जैसलमेर जिले के शाहगढ़ क्षेत्र में 6 ट्रिलियन 60 खरब क्यूबिक फिट ऊंची गुणवत्ता वाली दुनियां की सबसे बेहतर गैस होने का दावा किया है,इस गैस में हाइड्रोकार्बन की उपलब्धता 88% तक है जो दुनियां का बड़ा खजाना है।
इसके साथ ही बीकानेर,नागौर, जालौर,हनुमानगढ़,बाड़मेर व सांचौर बेसिन व जैसलमेर के मारी आर्क,किशनगढ़,शाहगढ़ व मेजलार में भी प्रचुर गैस के भंडार है।
बायोमास आधारित बिजली. सिरोही के रामपुर,हनुमानगढ़ के संगरिया,जालौर के सांचौर,श्रीगंगानगर के पदमपुर,नागौर के मेड़ता में बायोगैस आधारित विद्युत उत्पादन हो रहा है।
जल विधुत बिजली..
मरुप्रदेश का श्रीगंगानगर जिला राजस्थान की सर्वाधिक विधुत उत्पादन करता है। भाखड़ा-नागल परियोजना से 168.5 मेगावाट व व्यास परियोजना से 408 मेगावाट बिजली राजस्थान के हिस्से आती है जिससे श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़,चुरु,बीकानेर जिलों को विधुत आपूर्ति होती है।
नाभिकीय ऊर्जा से बनेंगे भारत के शिरमोर..
विश्व में तेजी से विकास कर रहे देश के भविष्य के लिए भारी मात्रा में स्वच्छ ऊर्जा की जरुरत है। इस ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत परमाणु ऊर्जा है। भारत मे स्थानीय लोगो के भारी विरोध के चलते अनेकों परमाणु विधुत परियोजनाएं अटक गई जिसकी वजह से महंगी बिजली उत्पादन करना पड़ा रहा है। इन्ही में तमिलनाडु के कुडनकुलम नाभिकीय परियोजना, गुजरात भावनगर का मीठी विरडी परियोजना,बिहार व महाराष्ट्र की परियोजनाएं मुख्य है। इसका विरोध का बड़ा कारण सघन जनसंख्या व निकलने वाले अवशिष्ट से जल स्रोतों के दूषित की चिंता मुख्य है।
मरुप्रदेश बनेगा तो सैकड़ो वर्ग किमी. में फैले रेत के समंदर में हम देश के बड़े बड़े नाभिकीय विधुत उत्पादन संयंत्र स्थापित करके पूरे भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएंगे।
भारत के परमाणु खनिज निदेशालय के अनुसार मरुप्रदेश के सीकर जिले के खंडेला व उसके आसपास 10 हजार टन यूरेनियम का भंडार मिला है जिसके खनन के लिए सुरंग का कार्य शुरू हो गया। इसके साथ ही नीमकाथाना,उदयपुरवाटी, नागौर के साथ जोधपुर के आगोलाई व बिनावास में और जैसलमेर में बड़ी मात्रा में यूरेनियम के भंडार है।
मेंडिसनल प्लांट हब..
भारत मे औषधीय पौधे(एनएमपीएस) के अनुसार लगभग 8443 पौधे है उनमें से 2611 पौधे राजस्थान में पाए जाते है और उसमें से 1800 पौधे मरुप्रदेश में पाए जाते है। इनमें से 173 औषधीय पौधे जिनकी 100 मीट्रिक टन हर साल मांग है वो शुष्क वानिकी प्रदेश में ही पाए जाते है। मरुप्रदेश में दिन का तापमान 55℃ व रात में ठंड होने की वजह से यहां के पौधों में इम्युनिटी क्षमता अन्य प्रदेशों से 50 गुणा ज्यादा होती है।
अगर मरुप्रदेश बना तो बीकानेर,चुरू, जैसलमेर तक मिडिसनल प्लांट हब बन सकता है।
सिलिकॉन के दम पर उभरेगा प्रदेश..
भारत समेत पूरा विश्व इस समय चिप की कमी से जूझ रहा है। सेमी कंडक्टर या चिप की कमी से मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर बनाने में कंपनियों के पसीने छूट रहे हैं। ऐसे में मरुधरा की रेत सोना उगल रही है।
केमिकल एनालिसिस में यह बात साबित हुई है कि इस रेत में 95 फीसदी प्योर सिलिका है जो सिलिकॉन बनाने के काम आ सकती है। सिलिकॉन ही सेमी कंडक्टर व छोटी सी चिप बनाने के काम में आता है।
देश में सिलिका के प्रोडक्शन के मामले में हरियाणा नंबर वन स्टेट है। वह भी सारा सिलिका राजस्थान से ही उठाता है। राजस्थान में सिलिका की पहचान करने की दिशा में सरकार सोचे तो इससे इंडस्ट्री डवलेप होगी और लाखों युवाओं को रोजगार मिल सकते हैं।
सेमी कंडक्टर के बाद सोलर पैनल दूसरी बड़ी इंडस्ट्री…
सेमी कंडक्टर के बाद सोलर पैनल इंडस्ट्री दूसरी बड़ी इंडस्ट्री है। वर्तमान में देश में सोलर पैनल का फ्यूचर ब्राइट है। क्योंकि यहां सालभर में 300 दिन सूर्य चमकता है फिर भी हम सोलर पैनल आयात करते हैं। इसका 60 से 70%तक मार्केट शेयर चाइना के पास है। देश में खुद का सौलर पैनल बनाने के लिए सिलिकॉन बनाना पड़ेगा। इसमें कोई समस्या नहीं है, क्योंकि मरुप्रदेश में सिलिकॉन का भंडारा पड़ा है। सिलिकॉन ऑक्साइड मतलब रेत।
राजस्थान में हाई क्वालिटी की इतनी अधिक रेत है कि हमें कहीं से कुछ आयात नहीं करना पड़ेगा। जबकि वर्तमान में सिलिकॉन से प्रोडक्ट बनाने का देश का योगदान महज एक फीसदी भी नहीं है।
राजस्थान की रेत का केमिकल एनालिसिस करने पर यह बात सामने आई है कि इसमें 95 फीसदी प्योर सिलिका है। फिर भी हमारे यहां न प्रोसेज की जानकारी है और न ही सिलिकॉन मैटल प्रोडक्शन किया जाता है।
मरुप्रदेश के किसान को मालिकाना हक..
हिंदुस्थान में जमीन का मालिकाना हक किसान को है लेकिन राजस्थान में आज भी किसान अपनी जमीन का मालिक नही है वो सिर्फ काश्तगार है,मालिकाना हक राज्य सरकार को है जो किसान को मिलेगा।
धार्मिक पर्यटन का देश में केंद्र बिंदु…
मरुक्षेत्र में प्रतिवर्ष देश विदेश के करीबन 7 करोड़ श्रद्धालू हमारे देवी देवताओं का आशीर्वाद लेने आते है। जिनमें हमारे गोगापीर-नोहर,ब्राह्मणी माता-हनुमानगढ़,श्री करणी माता-देशनोक, गुरु जम्भेश्वर महाराज का स्थान मुकाम-बीकानेर, विश्वप्रसिद्ध ऐतिहासिक गुरुद्वारा बाबा बूढ़ा जोहड़(श्रीगंगानगर),लोकदेवता खेमा बाबा बाड़मेर,तारातरा धाम-पोकरण,लोकदेवता बिगा जी-श्रीडूंगरगढ़, श्री जसनाथ जी-कतरियासर,
सन्त खेतेश्वर ब्रह्मधाम आसोतरा,भुवाल माता जसनगर,विश्वप्रसिद्ध भैरव बाबा धाम-तोलियासर,नागणेची माता-कल्याणपुर,बाबा रामदेव का मंदिर-रामदेवरा,तनोट माता मंदिर-जैसलमेर,देलवाड़ा के जैन मंदिर,मार्कडेश्वरधाम सिरोही,जसोल माता मंदिर,सुंधा माता मंदिर जालौर,श्री सालासर धाम मंदिर-चूरू,श्री खाटूश्याम बाबा धाम सीकर,वीर तेजाजी धाम-नागौर, जीण माता,शाकम्भरी माता-सीकर,श्री राणी सती माता,झुंझुनू आदि प्रमुख है।
मरुप्रदेश के 13 जिलों में देश व विदेश के 7 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आशिर्वाद मांगने आते है उनके लिए “श्री वैष्णो माता ट्रस्ट,जम्मू” की तर्ज पर सुविधाओ का विस्तार किया जाएगा। देश व विदेश के श्रद्धालुओं के लिए अच्छे शौचालयों,स्नानघरों व बेहतर रुकने और खाने की व्यवस्था करवाई जाएगी। सभी धार्मिक स्थलों को सड़क व रेल परिवहन से जोड़कर सूंदर विकसित किया जाएगा ताकि प्रदेश का धार्मिक पर्यटन बढ़ने से रोजगार के अवसर पैदा हो सके।
सैनिकों के लिए बनेगा मॉडल राज्य.
मरुप्रदेश आज भी मातृभूमि के लिए भारत के सबसे ज्यादा सैनिक देने वाला व बलिदान देने वाला राज्य है।
मरुप्रदेश के शेखावाटी इलाका जहां कहावत है कि “यहां आसमान से इतना पानी नही बरसा जितना यहां के जवानों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए खून बहा दिया।”
बहादुर व देशभक्त जवानों के परिवारों व बच्चों के लिए बड़े सैनिक स्कूल,सैनिक अस्पताल,बेहतर सुविधाएं, अच्छी सैनिक कॉलेज व हर तहसील स्तर पर बड़ी CSD कैंटीन बनाये जाएंगी। सेनाभर्ती के लिए ग्राम स्तर तक डिफेंस एकेडमियों खोली जाएंगी। रिटायर्ड सेना जवानों के लिए रोजगार होगा।
शहीदों की शौर्यगाथा के लिए देश का सबसे बड़ा शहीद पार्क का निर्माण किया जाएगा जो भारत का अनूठा होगा। हर जिले स्तर पर सेना परिवारों के लिए डिफेंस कॉलोनियां विकसित की जाएगी।
शिक्षा व स्पोर्ट्स के हब
मरुप्रदेश की शिक्षा नीति में मेडिकल,तकनीकी,आयुर्वेद,कृषि,सैनिक व खेलकुद,पर्यटन व सम्पूर्ण विकास नीति के आधार पर विश्वविद्यालयों के साथ हर तहसील व बड़ी पंचायतों में कॉलेज व कृषि/तकनीकी शिक्षा केंद्रों की स्थापना हो सकेगी। सीकर,झुंझुनू व चुरु को एजुकेशनल,स्पोर्ट्स व डिफेंस एजुकेशन के हब की तरह विकसित किया जाएगा। हर ग्राम पंचायत में खेलने के मैदान,अच्छी स्कूल बनाई जाएगी व साथ ही बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए नई शिक्षानीति तैयार की जाएगी।


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