बलिया के दुर्जनपुर कांड की हकीकत और विधायक सुरेंद्र सिंह
वीरेंद्र सिंह
वरिष्ठ पत्रकार
यह बागी बलिया है।इसकी रगों में बगावत की रवानी, खून में मुखालफत की जवानी समय समय से हिलोर मारती रहती है।स्वतंत्रता की आंदोलन में जब गांधी जी के आह्वान पर अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में प्रारंभ हुआ तो यह वही बलिया सरज़मी के लोगों ने हिंदुस्तान के पैमाने पर 1942 में तिरंगा झंडा जिला कलेक्टर को फहराकर अन्याय, अत्याचार का विरोध किया था। यह वही बागी बलिया का पानी है जब प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई की बिगुल बजा 37वी इन्फेंट्री का जवान मंगल पांडे ने अंग्रेजों के हुक्म को मानने से इंकार कर सूअर और गाय की चर्बी से बनी कारतूस मुंह से खोलने का विरोध कर अंग्रेज अधिकारी को गोली मार दी थी। यह वही बागी बलिया के पवित्र भूमि है जहां पर पैदा हुए चित्तू पांडे अंग्रेजों के अन्याय के खिलाफ लड़कर कम उम्र में प्राणों का उत्सर्ग कर दिया था। कहने का अभिप्राय यह है कि बलिया ऐसी सरज़मी है जहां भूख का भूगोल तो बगावत का इतिहास लिखा जाता है। इब्राहिमपट्टी गांव में पैदा हुए एक बालक देश की सबसे बड़ी पंचायत में 8 बार जनता की रहनुमाई कर देशी भाषा में अन्याय,अत्याचार व गैर बराबरी की लड़ाई लड़ने के लिए लगभग 4260 किलोमीटर की यात्रा कर पूरे भारत को पैरों से ही नाप दिया था और बिना कोई भी पद लिए सीधे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा था।उसका नाम चन्द्रशेखर था जो खाटी समाजवादी विचारधारा को जीता था। उसी बागी बलिया का ही एक और उदाहरण है कि चंदशेखर जी पार्लियामेंट में बोले थे कि सरकार की निगाह में सूरजदेव सिंह एक क्रिमिनल है लेकिन वह मेरा मित्र है, कानून अपना काम करें लेकिन मैं अपना मित्र धर्म का निर्वहन बखूबी से निभाउंगा। 2018 मार्च में जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी द्वारा रौलट एक्ट की तर्ज पर एससी०एसटी०एक्ट व प्रमोशन में आरक्षण का संशोधित कानून पास कराया तो भाजपा पार्टी का विधायक श्री सुरेंद्र सिंह जो बैरिया विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते है, मुखर होकर इस काले कानून का विरोध मजबूती से किया था।इसी बागी बलिया की माटी का लाल विधायक सुरेंद्र सिंह के जज्बा का ही प्रतिफल है कि जो अन्याय और अत्याचार पर किसी भी प्रकार से राजनीतिक समझौता न करने का माद्दा रखता है।हाल -फिलहाल सोशल मीडिया व टीवी चैनलों में बलिया के दुर्जनपुर गोलीकांड चर्चा में है। फौजी धीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ डब्ल्यू पूर्व सैनिक संगठन अध्यक्ष के ऊपर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है।घटना पर जिस तरह से जातिवादी सोच लेकर घड़ियाली आंसू बहाने के लिए कई नेताओं के क्रम लगातार बने हुए हैं उसका मुखालफत बड़ी मजबूती से विधायक सुरेंद्र सिंह ने किया।घटना को समझने के लिए गहराई से निम्न बिंदुओं पर विचार करना आवश्यक है।घटना का केंद्र बिंदु राशन कोटा का आवंटन रहा है, विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा कोटा का आवंटन हेतु प्रार्थना पत्र दिया गया था। ग्राम सभा दुर्जनपुर का प्रधान यादव बिरादरी का व संबंधी थाना में दरोगा जी यादव थे। जब यह घटना घटित हुई उसमें दुर्जनपुर ग्राम सभा के पक्ष विपक्ष के सारे अनुवाई मौजूद थे जिसमें पुरुष महिला व बच्चे सभी मौजूद थे। घटना के पूर्व एसडीएम व सीओ वहां से जा चुके थे,कारण यह था कि जैसे ही कोटा के आवंटन की प्रक्रिया प्रारंभ होने लगी धीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ डब्ल्यू के विपक्षी दलों ने आधार कार्ड में हेराफेरी करने लगे तो फौजी धीरेंद्र प्रताप सिंह जो वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता भी है इसकी शिकायत मौजूदा उपस्थित एसडीएम और सीओ से की।शिकायत की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम और सीओ ने आपसी सहमति से तय किया यह प्रक्रिया जो आवंटन का आज है तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए।अगली किसी निश्चित तिथि पर इस संदर्भ में संपूर्ण तैयारी के साथ राशन कोटा का आंवटन संपन्न कराया जाएगा। फौजी धीरेंद्र प्रताप सिंह के विरोधी अपने मंसूबे में सफल ना हो सके और आग बबूला होकर धीरेंद्र प्रताप सिंह के परिवारिकजनों जिसमें महिलाए पुरुष व लड़कियों पर लाठी डंडा से प्रहार करने लगे। इस स्थिति में धीरेंद्र प्रताप सिंह ने आपा खो बैठा और ऐसा बताया जाता है कि उसने अपनी लाइसेंसी पिस्तौल से आत्म रक्षार्थ अपने परिवार की रक्षा करने हेतु गोली चलाई इस बात की पुष्टि पुलिस के एफ०आई० आर० दर्ज के द्वारा सोशल मीडिया व चैनलों द्वारा प्राप्त हुई। अब सवाल यह उठता है कि भारत का कानून किसी व्यक्ति को शस्त्र का लाइसेंस क्यों देता है? माननीय सुप्रीम कोर्ट से भी निर्णय आ चुका है कि आत्म रक्षा में किया गया हत्या,हत्या नहीं होता है। विचार करिए यह सवाल धीरेंद्र प्रताप सिंह फौजी की नहीं किसी भी आम नागरिक के साथ हो सकता है जब उसी के सामने उसके घर- परिवार के परिवारिक जनों और बच्चों के ऊपर कोई भी भीड़ लाठी डंडा व अन्य धारदार हथियारों से जान मारने की नीयत से हमला करेगा उस स्थिति में एक लाइसेंसी शस्त्र धारण क्या कर सकता है? यह एक विचारणीय प्रश्न है। मै मानता हूं कि कानून को बिल्कुल काम करना चाहिए,कानून सम्मत राज्य चलना चाहिए।घटना घटित होने के बाद अफरा-तफरी मच जाती है सैकड़ों की तादात में लोग मांब लिंचिंग की स्थिति बना देते हैं। पुलिस प्रशासन फौजी धीरेंद्र प्रताप सिंह के घर जाकर उनकी गाड़ियों को दो पहिया वाहनों को कुर्सियों को वह घर के सामानों को तोड़फोड़ कर नश्तनाबूत करने का जो कुकृत्य किया गया है क्या यह कानून में इसकी कहीं जगह है ?आखिर किस कानून के तहत पुलिस ने ऐसा किया ?अपराध घटित होने पर अपराधिक धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर के अग्रिम कानूनी कार्रवाई किया जाना कानून के लिए नागरिकों के संविधान सम्मत प्रावधान का एक पहलू है लेकिन प्रतिशोध में प्रशासन द्वारा व भीड़ द्वारा किसी के परिवार पर मॉब लिंचिंग करके जानलेवा हमला करना क्या यह न्याय उचित है? यह एक विचारणीय प्रश्न है। सूत्रों के अनुसार यह भी जानकारी मिली की धीरेंद्र प्रताप सिंह के परिवारिक जनों व रिश्तेदारों में 6 लोगों को बुरी तरह मारा-पीटा गया है और उन्हें काफी चोटें भी आई हैं।कानून यह भी कहता है कि मारपीट में यदि दोनों पक्षों को चोट आई है तो उन्हें भी यह मौलिक अधिकार है कि सीआरपीसी व आईपीसी के तहत चिकित्सकीय परीक्षण कराकर मुकदमा पंजीकृत करा सकते हैं परंतु प्रशासन की ढुलमुल रवैया व एक पक्षी कार्रवाई अपने आप में एक विचारणीय प्रश्न को जन्म देता है। इस स्थितियों में दोनों पक्षों को न्याय दिलाने की बात करने वाले एवं दोषियों के प्रति सख्त से सख्त कार्रवाई करने की बात करने वाले बैरिया के विधायक सुरेंद्र सिंह इस पूरे घटनाक्रम में आ जाते हैं और बार-बार कहते हैं कि जो भी दोषी होगा उस पर कानून कार्रवाई करें लेकिन धीरेंद्र प्रताप सिंह के परिवार के लोगों को भी चोटें आई हैं कुछ लोगों के हाथ भी टूट गए हैं, महिलाओं को भी चोटें आई हैं उनके तरफ से भी मुकदमा पंजीकृत कर कार्रवाई किया जाए और दोषी कोई भी हो उस पर कानून काम करें। नेताओं का क्या कहना वे तो अपने वक्तव्य वोट बैंक की राजनीति को देखकर देते है चाहे समाज में सामाजिक विद्वेष पैदा ही क्यों न हो जाए । पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सरकार, सरकारी मशीनरी पर सवाल खड़ा कर देते हैं। पूरा उत्तर प्रदेश नहीं देश जानता है कि उत्तर प्रदेश में जातिवादी राजनीति करने वाली कौन सी पार्टी है। सुरेंद्र सिंह जी बड़ी मजबूती से मुखालफत करते हुए कहते हैं अखिलेश यादव यदि तुम्हें यादव पसंद है तो मुझे भी अपना क्षत्रिय होने के नाते क्षत्रिय पसंद है।सुरेंद्र सिंह वहीं है जो अपनी पार्टी लाइन से हटकर एस०सी० एस०टी० एक्ट व प्रमोशन में आरक्षण का पुरजोर विरोध किये थे। वे बार-बार कहते थे कि आरक्षण और यह एसी एसटी एक्ट से समाज में जातिवादी व्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा है और समाज में वर्ग संघर्ष प्रारंभ होने की कगार में खड़ा हो गया है।यद्यपि कि धीरेंद्र प्रताप सिंह फौजी व अन्य मुलजीमों की गिरफ्तारी हो चुकी है। कुछ अज्ञात मुलजिमों के लिए पुलिस दबिश दे रही है। इसी बीच में बलिया प्रशासन द्वारा धीरेंद्र प्रताप सिंह के घर जेसीबी मशीन से गिराए जाने के लिए जा रहा था तो विधायक सुरेंद्र सिंह अपने लाव लश्कर के साथ पहुंच गए और उन्होंने कहा जेसीबी मशीन को धीरेंद्र प्रताप सिंह के घर गिरने से पहले मेरे शरीर पर से होकर गुजरना पड़ेगा और मशीन को वापस जाना पड़ा।यह एक ऐसे विधायक जो अपने कार्यकर्ता और अपने क्षेत्र के लोगों के साथ न्याय की बात करने वाला की सोच है।अपुष्ट खबरों के माध्यम से सोशल मीडिया में यह भी खबर चल रही है कि जिस जयप्रकाश पाल की तथाकथित हत्या हुई है वह बसपा के समय में एक ब्राह्मण त्रिलोकी तिवारी को भाला द्वारा कोच-कोच के मारा था और जब वह ब्राह्मण पानी पीने को मांगा तो वह उसके मुंह में पेशाब कर दिया था ।और यह एस०सी०एस०टी० एक्ट की धमकी देकर उसकी 3बीघा जमीन भी कब्जा कर लिया था। अब वह ब्राह्मण परिवार डर वश बलिया शहर में रहता है।मेरे द्वारा विधायक सुरेंद्रसिंह से टेलीफोन से जो वार्ता हुई थी उस वार्ता मे विधायक जी ने कहा कि मै हरिजन एक्ट समाप्त करके ही चैन लेगें।
(बीरेंद्र सिंह पत्रकार अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा पूर्वी उत्तर प्रदेश के महामंत्री हैं।।)