हाई कोर्ट और जिला न्यायालय में स्थानीय मातृभाषा का उपयोग आमजन को न्याय दिलाने में सुगम: केंद्रीय न्याय मंत्री रिजिजू

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दिनेश शर्मा”अधिकारी”।

जयपुर । केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय में अंग्रेजी भाषा को अहमियत देना क्षेत्रीय आदमी के साथ अन्याय जैसा है, जो पक्ष कार क्षेत्रीय भाषा में अपने पक्ष को बेहतर ढंग से न्यायालय में पेश कर सकता है, जरूरी नहीं है कि वह अंग्रेजी भाषा में उसको बेहतर ढंग से परिस्थितियों को रख सके, केवल अंग्रेजी भाषा का अल्प ज्ञान होने के कारण न्यायपालिका से उचित न्याय नहीं मिलना हम भारतवासियों के लिए बेहद पीड़ादायक है। कार्यपालिका और न्यायपालिका का कार्य संविधान की रक्षा करना है लेकिन स्थानीय भाषाओं की अधिकता और अंग्रेजी भाषा का अल्प ज्ञान आम गरीब जनता को न्याय दिलाने में सक्षम नहीं है, इसलिए खासतौर पर हाई कोर्ट और स्थानीय लोअर कोर्ट में क्षेत्रीय भाषाओं को प्रमुख देना, भारत के संविधान की रक्षा करने में ज्यादा प्रभावी होगा। वहीं सुप्रीम कोर्ट में एक आम आदमी के लिए न्याय की उम्मीद करना ही संभव नहीं है, प्रेम कोर्ट में एक आम आदमी अधिवक्ता की फीस एक बार पैरवी की भी नहीं दे सकता , जहां आम आदमी को न्याय मिलना इतना महंगा हो न्यायपालिका से आमजन को कैसे न्याय मिलेगा। वहां के अधिवक्ताओं की फीस केवल अमीर घराने ही दे सकते हैं। आमजन उन वकीलों की फीस भी नहीं चूका सकता लिहाजा हमारे देश की न्यायपालिका हमारे देशवासियों को अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता और स्थानीय भाषाओं का विलोम न्याय दिलाने में सबसे बड़ा कारण साबित हो रहा है जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया में कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक सेतु का काम करेगा। उन्होंने कहा कि आज करीब 1829 अवांछित कानून और करीब 71 अधिनियम जो ब्रिटिश जमाने में संविधान के रूप में लागू किए गए थे, जो वर्तमान में जो वर्तमान में न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच में टकराव बढ़ाने और आमजन को पीड़ा देने वाले साबित हो रहे हैं जिनका वर्तमान देश काल परिस्थिति में कहीं कोई उपयोग नहीं है उनको संविधान से चिन्हित कर हटाया जा रहा है।
केंद्रीय न्याय मंत्री किरण रिजिजू ने अपने यह उद्गार शनिवार को जयपुर में आयोजित नालसा की ओर से आयोजित “ 18वीं ऑल इंडिया लीगल सर्विसेज अथॉरिटी मीट- 2022 “ में आमजन की पीड़ा को केन्द्रीय न्याय मंत्री के रूप में न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के सामने प्रकट किए।
रालसा की ओर से आयोजित इस दो दिवसीय समारोह में मंत्री अशोक गहलोत में केंद्रीय न्याय मंत्री के की पीड़ा से पूर्ण सहमत होते हुए कहा कि राजस्थान सरकार हर तरह की नालसा की लाभकारी योजनाओं को आमजन के बीच पहुंचाने के लिए तैयार हैं आज न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौती करीब 3 लाख से अधिक मुकदमे अंडर ट्रायल चल रहे है,जिनमें जिन यदि पक्षकार को जमानत का लाभ दे दिया जाए तो न्यायपालिका बेहतर ढंग से आमजन को न्याय उपलब्ध करा सकती है जबकि अंडर ट्रायल में ही आदमी इतनी पीड़ा भुगत चुका होता है बाद में निर्दोष साबित हो भी जाए तो उस मिलने वाले न्याय का फायदा क्या होगा… ????
आजादी के 75 वे महोत्सव को मनाने जा रहे हैं और हमारे संविधान में अवांछित कानूनों को हटाकर आमूलचूल परिवर्तन करने से देश का भला होगा आमजन को राहत मिलेगी, सरकारें तो आती-जाती रहेंगी लेकिन आमजनता तो वही है जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास रखते हुए संविधान की पालना कर रहे हैं और उन्हीं के वोटों से कार्यपालिका का चुनाव करती हैं।
इस अवसर पर नालसा की ओर से अन्य राज्यों के विधिक सेवा प्राधिकरण को न्याय प्रक्रिया में तेजी लाने प्रकरणों को अधिक से अधिक शीघ्रता से निपटाने लंबित प्रकरणों की संख्या घटाने के लिए ऑनलाइन एप्स के माध्यम से सीधे जोड़ने वाले ऑनलाइन एप्स का विधिवत उद्घाटन किया गया जो विभिन्न लोक अदालतों के माध्यम से त्वरित गति से देश की पेंडेंसी को तेजी से कम करेगा और अदालतों मैं ए वांछित मुकदमों को शीघ्रता से कम करेगा इसमें पक्ष का सीधा आवेदन कर अपनी क्षेत्रीय भाषाओं का उपयोग कर अपनी पीड़ा सीधा व्यक्त कर सकता है। नालसा द्वारा विभिन्न लाभकारी योजनाओं का सीधे लाभ उठा सकता है।


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