सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को दिया जमानत

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दिनेश शर्मा “अधिकारी”।
नई दिल्ली। फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर की जमानत याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सीतापुर में दर्ज मामले में मोहम्मद जुबैर को पांच दिन की जमानत दे दी। हालांकि मोहम्मद जुबैर फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। वह दिल्ली पुलिस के न्यायिक हिरासत में रहेंगे।

शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने यूपी सरकार और पुलिस को नोटिस जारी करते हुए कहा कि जुबैर को शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दी जा रही है। वह न्यायिक क्षेत्र से बाहर नहीं जा पाएंगे। साथ ही मामले में फैसला होने तक जुबैर कोई ट्वीट नहीं करेंगे। तुषार मेहता ने गुजारिश की कि अंतरिम आदेश को सोमवार तक टाल दिया जाए, लेकिन कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया।

फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर ने अपनी जान को खतरा बताते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका में जुबैर ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 13 जून को जुबैर की एक रिट याचिका खारिज कर दी थी।

जुबैर के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि यूपी पुलिस की ओर से उनके मुवक्किल के खिलाफ दर्ज एफआईआर से पता चलता है कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है। गोंजाल्विस ने कहा कि उनका काम समाचारों को सत्यापित करना है और वह नफरत फैलाने वाले भाषणों की तथ्य-जांच करने की भूमिका निभा रहे थे। हम इलाहाबाद हाईकोर्ट गए, लेकिन कोई राहत नहीं मिली.
जुबैर के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप है। जुबैर को 27 जून को दिल्ली पुलिस ने एक हिंदू भगवान के खिलाफ 2018 में पोस्ट किए गए एक भड़काऊ ट्वीट से संबंधित एक मामले में गिरफ्तार किया था। 1 जून को उत्तर प्रदेश पुलिस ने जुबैर के खिलाफ हिंदू संतों के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के लिए एक और प्राथमिकी दर्ज की थी।

उत्तर प्रदेश के सीतापुर में मोहम्मद जुबैर के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई मे देश में बढ़े कोरोना वायरस के मामले, एंकर रोहित रंजन के वकील ने गुरुवार को फिर सुप्रीम कोर्ट में केस लिस्ट करने की मांग की थी।

मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी के बाद ऑल्ट न्यूज़ का दफ्तर
अपने सहसंस्थापक की गिरफ्तारी, कानूनी कार्यवाहियों और नफरती मुहिमें चलने के बाद भी न्यूज़रूम काम कर रहा है।

22 वर्षीय कलीम अहमद के लिए 27 जून का दिन एक आम सोमवार की तरह ही था, जब वह कोलकाता में ऑल्ट न्यूज़ का अपना दफ्तर बंद करके घर पहुंचे. फिर उन्होंने अपनी स्क्रीन पर फैक्ट चेकिंग वेबसाइट की निदेशक निर्जरी सिन्हा का मैसेज देखा, जो उन्हें सूचित कर रहा था की ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक और कार्यकारी संपादक मोहम्मद जुबैर को गिरफ्तार कर लिया गया है।

जुबैर को 2020 के एक मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था, जिसके लिए उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय से गिरफ्तारी को लेकर संरक्षण मिला हुआ था, लेकिन फिर उन्हें एक चार साल पुराने ट्वीट के लिए धार्मिक भावनाएं आहत करने और नफ़रत फैलाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया जो एक अज्ञात ट्विटर खाते को अपमानजनक लगी थी। और अब वह खाता ट्विटर से गायब भी हो गया है। दिल्ली पुलिस ने बाद में आपराधिक साजिश सबूत मिटाने और विदेश से फंडिंग के नियमों का उल्लंघन करने के आरोपों को भी जोड़ दिया।

जुबैर, जिन पर पहले से ही पांच एफआईआर थीं, इस समय 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं।

कलीम कहते हैं, “उस रात हम में से कोई भी ठीक से सो नहीं पाया। हम सब प्रतीक से पूछने लगे कि मदद करने के लिए हम क्या कर सकते हैं। उस समय हमें यह नहीं पता था की उन्हें गिरफ्तार क्यों किया गया है। हम सब ट्विटर पर उनके खिलाफ हो रही ट्वीट्स को ढूंढने, खंगालने और सूचीबद्ध करने में व्यस्त हो गए।”

इस समय जब ऑल्ट न्यूज़ के संस्थापक प्रतीक सिन्हा कानूनी कार्यवाहियों और मीडिया के एक हिस्से के द्वारा लगाए गए आरोपों से जूझ रहे हैं, ऐसे में जुबैर के मामले ने न्यूज़रूम को हिला दिया है। ऑल्ट न्यूज़ का अहमदाबाद और कोलकाता में एक-एक दफ्तर है, जिनमें जनता के सहयोग से 12 लोग दिन-रात, इंटरनेट पर गलत सूचनाओं की बाढ़ की निगरानी का काम करते हैं।
ऑल्ट न्यूज़ में इस समय अंग्रेजी डिवीजन को देखने वाली पूजा चौधरी कहती हैं, “हालांकि इसको लेकर कुछ शंका थी, लेकिन तब भी मुझे धक्का लगा। तब से हम लोग बहुत दबाव में काम कर रहे हैं। बाकी की टीम काम संभाल रही है। कुछ खबरों में ज्यादा समय लग रहा है क्योंकि टीम के वरिष्ठ लोग जुबैर के मामले में व्यस्त हैं। इस बीच, हम सब हौसला बनाए रखने की भरसक कोशिश कर रहे हैं।”

प्रतीक कहते हैं, “हमें बार-बार इस तरह के मामलों में लपेटते रहना, बहुत बोझिल कर देता है। जरा सोच कर देखिए, हमारी इतनी छोटी सी टीम है और मैं व जुबैर, जो टीम का नेतृत्व करते हैं पूरी तरह से इस मामले में लगे हुए हैं। यह हमारे ऊपर एक बड़ा आर्थिक बोझ भी है।”

हालांकि कानूनी कार्रवाई का डर इस संस्थान के लिए नया नहीं है क्योंकि उन्हें कई कानूनी नोटिस मिल चुके हैं। लेकिन टीम के अंदर जुबैर ही इकलौते व्यक्ति हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामला चल रहा है। प्रतीक कहते हैं, “स्वाभाविक सी बात है कि इस मामले का उसकी मुस्लिम पहचान से बिलकुल लेना देना है।”


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