दर्द की दवा दर्द ही है : ग्रामीण वैद डागा गुरु नस रोग विशेषज्ञ (गढ़वा)

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अभय तिवारी ।

एक खास रिपोर्ट

गढ़वा, झारखण्ड :- दर्द की दवा दर्द ही है। चाहे दर्द आपका हो या मेरा, यह हम नहीं बल्कि दर्द को दूर करने वाले ग्रामीण वैद डागा जी का कहना है। जो मात्र रजिस्ट्रेशन फीस ( शुल्क) के रूप मात्र पचास रुपये लेकर कर रहे । और सरकार से मांग भी कर रहे है। कि लोगो को आज भी ग्रामीण वैद की जरूरत है । जिससे लोगो का इलाज हो सके।

वही से इलाज संभव भी है। लेकिन आज लोग गरीबी मे भी लाखो रुपये प्राइवेट क्लिनिक के डाक्टरों के चक्कर मे लोगो द्वारा इलाज मे खर्च कर रहे है।फिर भी इनकी दर्द दूर नहीं हो रहा है । लेकिन आज वैद डागा बिना दवाई और बिना कोई खर्च का इलाज को संभव कर रहे। जो एक ग्रामीण क्षेत्र के लोगो के लिए वरदान से कम नहीं है ।

इलाज के दौरान एक मरीज को देखने मे आधा घंटा से एक घंटा तक लग जाता है । और एक दिन मे दस मरीज से ज्यादा नहीं देख पाते क्योंकि उनकी दर्द की दवा इनके हाथो मे है ।और इनका डिग्री है नस से संबधित वो भी किसी से लेने नहीं गये वो अपने आप हाथ और दिमाग़ की कड़ी मेहनत से सफलता प्राप्त किये है। और आज पचीस वर्षो से लोगो का इलाज कर रहे है। और मरीज भी ठीक हो रहे है ।

इसलिए ग्रामीण क्षेत्रो के सभी लोग इनके जोश और जज्बे और तजुर्बे को सलाम कर रहे है । इन्होंने सरकार और कई माननीयों से भी कई बार आग्रह भी किया है । और खत भी लिखा की इस नस विधी को बच्चों के पाठ्य क्रम के सिलेबस मे दर्ज किया जाए।और बच्चे को इसका शिक्षा मिले । जिससे बच्चे भी पढ़ सके और ग्रामीणों क्षेत्रो मे ग्रामीण के बिच नस का सही सही जानकारी और ग्रामीणों को इसका सिख मिल सके। जिससे लोग और समाज मे अपना इलाज अपने से संभव हो सके और लोग आत्म निर्भर हो सके लेकिन सबसे बड़ी सवाल यह भी है।की आखिर इनकी बातो को कब सुना जायेगा और इनके कला को लोगो को कब समर्पित किया जायेगा जिससे लोग सीखे यह भी एक बड़ा सवाल बनता दिख रहा है।आखिर इनके खत और इनके विचार को सरकार कब पहल करेगी यह अब सरकार ही बता पायेगी।


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