न्यूज़ लखनऊ:फाइलेरिया प्रभावित अंगों कि देखभाल के लिए एमएम डीपी किट का किया गया वितरण।

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जतिन कुमार चतुर्वेदी

सिसेंडी पीएचसी पर फाइलेरिया मरीजों का रुग्णता प्रबंधन व दिव्यांगता रोकथाम पर अभिमुखीकरण स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में बुधवार को मोहनलालगंज ब्लॉक के सिसेंडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पर फाइलेरिया मरीजों का रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता रोकथाम (एमएमडीपी) पर अभिमुखीकरण किया गया ।
इस मौके पर 54 फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी किट प्रदान की गयी ।

इस अवसर पर मोहनलालगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के अधीक्षक डा. अशोक कुमार ने कहा कि एमएमडीपी किट का वितरण फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल के लिए किया गया है । किट में टब, मग, तौलिया, एंटी फंगल क्रीम और साबुन शामिल हैं । इसका उपयोग फाइलेरिया रोगी स्वयं ही करें।फाइलेरिया बीमारी ठीक नहीं हो सकती है, इसलिए प्रबंधन से ही इसको नियंत्रित किया जा सकता है । इसके साथ ही नियमित व्यायाम करने और प्रभावित अंगों की साफ- सफाई करने के बारे में भी बताया गया । मरीजों से कहा गया कि सोते समय पैर के नीचे तकिया लगा लें और अधिक देर तक पैर लटकाकर न रखें।
सिसेंडी पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. दिवाकर भारद्वाज ने कहा कि उचित देखभाल न करने से फाइलेरिया रोगी दिव्यांग हो सकता है और व्यक्ति का जीवन पूरी तरह से प्रभावित हो सकता है।यह बीमारी ठीक तो नहीं हो सकती है, केवल प्रबंधन ही हो सकता है।फाइलेरिया से बचाव के लिए साल में एक बार दवा खाना जरूरी है ।

उन्होंने कहा कि 10 फरवरी से फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाने का अभियान (आईडीए) चलाया जाएगा। इसके तहत आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर दवा खिलाएंगी।दवा का सेवन जरूर करें और घर के सदस्यों और आस-पास के लोगों को भी दवा का सेवन करने के लिए प्रेरित करें।खाली पेट दवा का सेवन नहीं करना है।लगातार पांच साल तक साल में एक बार दवा खाने से इस बीमारी से बचा जा सकता है।दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और अतिगंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को इस दवा का सेवन नहीं करना है ।
इस अवसर पर प्रभावित अंगों की देखभाल और व्यायाम की प्रक्रिया को सीख चुके फाइलेरिया रोगी नेटवर्क सपोर्ट ग्रुप के 41 सदस्य उपस्थित रहे।
इस मौके पर शीतला माता समूह की सदस्य भदेसुआ गाँव निवासी 20 वर्षीया नगमा का कहना है कि समूह से जुड़े हुए लगभग एक साल हो गया है।मेरा बायाँ हाथ फाइलेरिया से प्रभावित है । समूह का सदस्य बनने के बाद हमे फाइलेरिया प्रभावित अंगों की साफ सफाई और व्यायाम के बारे में बताया गया, जिसका मैने नियमित अभ्यास किया और आज मेरा हाथ बिल्कुल सामान्य है, इसकी सूजन खत्म हो गई है।आज मुझे जो टब, मग, तौलिया, साबुन आदि मिला है इसका उपयोग मैं अपने हाथों की देखभाल करने में करूंगी।इस सामान को पाकर मैं बहुत ही खुश हूँ।लोगों से मेरा यह कहना है कि आशा दीदी जब भी फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाने आएं तो जरूर खाएं ताकि यह बीमारी न हो ।

इस मौके पर बीसीपीएम आनंद, पीएचसी के कर्मचारी, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के प्रतिनिधि और 54 फाइलेरिया रोगी मौजूद रहे।


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