43 दिन की तपस्या मे शराब का दखल, क्या ऐसे ही जीतेगे कोरोना से जंग ?

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प्रयागराज। लॉक डाउन 3.0 की शुरुआत का पहला दिन और शराब के ठेको में हुजूम। जैसे ही सुबह 10:00 बजे ठेको के ताले खुले तो सभी मतवाले अपने घर से निकल पड़े और इस कदर भीड़ लगाई कि उनकी भीड़ ने ही यह बयां कर दिया कि महीनों के प्यासे पीने वालो के गले किस कदर सूखे है । जो लोग कल तक राशन की लाइनों में मुफ्त राशन पाने के लिए लगे हुए थे वह आज पैसा हाथ में लेकर शराब लेने के लिए लाइन में लगे हुए दिखाई भी दिए। उम्र का भी कोई बंधन इन लाइनों पर दिखाई नहीं दिया अट्ठारह से लेकर 78 तक की उम्र के लोग इन लाइनों में अपनी बारी का इंतजार करते हुए खड़े दिखाई दिए। शराब विक्रेताओं की तरफ से कई जगह कोई भी व्यवस्था सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर नहीं की गई ।

राजरूपपुर पुलिस चौकी के सामने अंग्रेजी शराब की दुकान पर जब व्यवस्था बिगड़ती देखी तो चौकी से निकल कर दो पुलिस वालों ने वहां पर व्यवस्था बनवाई। जैसे किसी के घर के सामने ही जब बवाल होने लगे तो घरवालों को निकलना ही पड़ता है कुछ इसी तरह से निकले थे पुलिस चौकी से दो पुलिस वाले जब जाकर कुछ व्यवस्था इस शराब की दुकान पर बन पाई ।

इस शराब के दुकानदार ने शासन का कोई आदेश अपनी दुकान पर चस्पा नहीं किया है, जबकि शहर की अधिकतर दुकानें यह कहते हुए बंद रही कि अभी आदेश की कापी नहीं मिली है । लेकिन राजरूपुर पुलिस चौकी के सामने इस दुकान पर सामान्य दिनों की तरह ही दारू की बिक्री होती रही है। वैसे शराब की दुकानों पर लगी भीड़ का नजारा देखने योग्य था उन लोगों के हाथ में भी नोट दिखाई दिए जिन लोगों के पास कल तक राशन खरीदने के लिए पैसे नहीं थे । जो सरकार द्वारा मुफ्त  दिए जा रहे राशन की लाइनों में लगे हुए थे । कुछ सरकार के कदरदान तो वही बोतल खोल कर बैठ गए ।

सरकार द्वारा शराब की दुकानें खोलने का मकसद क्या था ? यह तो समझ नहीं आया। परंतु ऐसा अवश्य प्रतीत हो रहा है कि सरकार ने जिन लोगों को मुफ्त राशन बांटा है उन लोगों की जेब से उस मुफ्त वाले राशन का पैसा शराब की कीमत के द्वारा वसूल करने की कोशिश जैसा हैं । शराब की दुकानें खोलने का फैसला, अन्यथा जिस तरह लाॅक डाउन 1 से लेकर 2 तक सभी लोगों को अपने घरों में रहने के लिए जागरूक किया गया और लोग अपने घरों में रहे भी उन्हीं लोगों को शराब के नाम पर लॉक डाउन 3 के पहले ही दिन सरकार के द्वारा खुली छूट दे दी गई और शराब खरीदने वाले लोगों ने खुलकर शराब खरीदी और खुलकर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई और कोरोना के विरुद्ध  यज्ञ सरीके लाॅक डाउन में शराब जैसे राक्षस का व्यवधान साफ दिखा। आखिर सरकार इस दोहरी नीति पर क्यों चली की एक तरफ तो लॉक डाउन और दूसरी तरफ मधुशालाओ के खुले हुए ताले फिर कैसे घरों में रह सकते हैं मतवाले। 
● तीसरे लाॅक डाउन के एक दिन पहले एक तरफ भारत की तीनों सेना कोरोना योद्धाई का सम्मान कर उनका मनोबल बढ़ाने में अहम योगदान दे रहीं थी, तो दूसरे दिन शराब की दुकानें खुली और कोरोना को दावत देनी वाली भीड़ शराब की दुकानों पर उमड़ पड़ी ।● क्या इस तरह ही जीतेंगे हम करोना से जंग ?  आखिर क्यो 43 दिनों तक जनता द्वारा किए गए लाॅक डाउन सरीके के यज्ञ को शराब जैसे राक्षस से बंधित करा दिया ?
● क्यो 43 दिन तक की गई पुलिस की तपस्या को निष्फल कर दिया गया ?

अरविंद कुमार


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