आंग्ल नववर्ष 2023 और भारतीय संस्कृति

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डॉ अजय ओझा।
डॉ अजय ओझा।

संपादक & ब्यूरोचीफ (झारखंड) — संपूर्ण माया / चेयरमैन — भोजपुरी फाउण्डेशन
महासचिव — मगध फाउंडेशन
उपाध्यक्ष — झारखंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन, राँची

भारतीय संस्कृति और संस्कार हमें जोड़ना सिखाता है जबकि पाश्चात्य सभ्यता ने हमेशा काटने पर विश्वास किया है। हमारे यहाँ जब भी कोई शुभ कार्य होता है, तो बूंदी के लड्डू देवता को अर्पित कर प्रसाद रुप में बांटना शुभ माना गया है क्योंकि उसमें बूंदियो को जोड़ कर, बांध कर एक लड्डू का स्वरुप दिया गया होता है। यह सन्देश देता है कि हर शुभ क्षण को हम एक साथ मिलकर मनायें तो आनंद बढ़ जाता है। यानि इसमें भी एकता और एक जुटता का सन्देश कहीं न कहीं छिपा होता था। परन्तु आज के आधुनिक युग में हम पाश्चात्य सभ्यता का अनुकरण करने में लगे हैं। छोटा उत्सव हो या बड़ा, हर उत्सव में केक काटा जाने लगा है जबकि हमारी संस्कृति में काटना वर्जित बताया गया है। यानि काटने वाले ने केक काटा और अपना हिस्सा अलग कर लिया। अब वो उसे खुद खाये या अपने किसी खास प्रिय को खिलाये तथा बाकी बचा खुचा जिसे खाना हो खाये या मुंह में मले; उससे उसका कोई लेना देना नहीं रहता है। यही वजह है कि आज हम एकाकी से होते जा रहे हैं….

हमारे यहाँ ज्योति और प्रकाश का खास महत्त्व है। हम ख़ुशी में 5 दिए जलाते हैं और दुख में अंधेरा करते आये हैं। लेकिन आज क्या होता है ? हम केक पर मोमबत्ती जलाते हैं और फिर उसे खुद फूंक कर बुझा देते हैं। यह हमारी संस्कृति के बिलकुल विपरीत है। हमारे यहाँ यदि दिया जलाया जाए और वो बुझ जाए तो इसे अपसगुन माना जाता है और किसी अनजानी अनहोनी का इशारा समझा जाता है। लेकिन आज का समाज दिया जलाने में नहीं बुझाने को खुशी का पर्याय मानने लगा है। आज नया साल का जश्न होगा। नये साल का स्वागत ही हम अंधेरा करके करेंगे; भले उसके बाद पटाखे या आतिशबाजी करें। लेकिन नये साल का प्रवेश तो अंधकार में होगा। शायद यही वजह है कि हम कहीं न कहीं अँधेरे में भटक से गये हैं। हमें सही राह नहीं मिल पा रही है। प्रकाश को ज्ञान पुकारा गया है और अंधकार को अज्ञान। लेकिन आज हम अज्ञानता को गले लगा रहे हैं।

वेदवाक्य है —
तमसो मा ज्योतिर्गमय।

खैर मुझे क्या आज लगभग हर जगह नये साल का जश्न होगा, केक कटेंगे, अंधेरा किया जायेगा। फिर अचानक रोशनी की जाएगी और सब चीखने लगेंगे —

Happy New Year

फिर सैम्पेन और दारु की बोतलें खुलेंगी और न जाने कितने जीवों की हत्या कर बनाया गया भोजन परोसा जायेगा। यानि साल की शुरुआत ही हम पाप कर्म से करेंगे। चीन में किये गये इसी पापकर्म के कारण वर्ष 2019 में कोरोना वायरस का जन्म हुआ और वर्ष 2020 उसकी चपेट में आ गया। सारी दुनिया और मानवता उसके प्रकोप से कराह उठी। करोड़ों लोग असमय काल के गाल में समा गये। सारी दुनिया लॉकडाउन घोषित कर वायरस के भय से घर में दुबक गयी। अभी भी यह खतरा पूरी तरह टला नहीं है। रोज उसके नये नये वेरिएंट पैदा होने की अफवाह उड़ रही है। इसके ईलाज के लिये रोज नये नये टीके की खोज जारी है। अब नोजल ड्रॉप की बात की जा रही है। खबर है कि चीन में यह वायरस पुनः नये खतरनाक रुप में दुबारा उभार पर है। भारत सरकार ने ऐहितयात के तौर पर चीन, जापान, हॉंगकॉंग, सिंगापुर, थाईलैंड आदि देशों से आनेवाले यात्रियों की मेडिकल जांच अनिवार्य कर दिया है। हालांकि कुछ लोग इसे मेडिकल लॉबी और राजनीतिक षड़यंत्र का नतीजा बता रहे हैं। भारत के राजनीतिक हल्के में चर्चा है कि केंद्र की भाजपा सरकार राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा से डरकर उसे बाधित करने के लिए इस तरह की बात कर रही है।

बहरहाल जो हो, लेकिन एक बात सारे संसार ने देखा और माना। कोरोना से पूरी दुनिया में सबसे कम मौत दर भारत में रही… क्योंकि भारतीय संस्कृति और खानपान के चक्कर में यह वायरस उलझकर रह गया। भारतीय ॠषियों मनीषियों द्वारा प्रचलित खानपान, गर्म पानी और आयुर्वेदिक काढ़ा के प्रयोग से करोड़ो लोग पोजीटिव होने के बावजूद ठीक हो गये। सारी दुनिया यह देखकर दंग रह गई और हमारा अनुकरण करने पर मजबूर हो गयी….!

लेकिन हम कब सुधरेंगे ?

आइये हम आंग्ल नववर्ष 2023 के शुभ अवसर पर संकल्प लें —
भारतीय संस्कृति के अनुरुप शाकाहार अपनाते हुए गुरुकुल शिक्षा पद्धति को पुन: अंगीकृत करेंगे तथा आर्यन जीवन पद्धति को शाश्वत सत्य मान स्मार्ट सिटी की जगह स्मार्ट विलेज को विकसित करेंगे ! क्योंकि स्मार्ट सिटी के फ्लैटों में गाय और बुजुर्गों के लिए कहीं प्रावधान नहीं है ! भारतीय संस्कृति में गौ सेवा एवं बुजुर्गो के आशीर्वाद के अभाव में मोक्ष प्राप्ति असंभव है ! ?

रही नववर्ष की बात तो मेरी स्वरचित पंक्तियां द्रष्टब्य हैं —

“नया साल और नयी चेतना
उर में छिपी अतुल वेदना
अलबेली अलमस्त सुबह है
साल पुराना होता कब है ? ? !”

समस्त संसार में फैले अपने सभी मित्रगणों, शुभेच्छुओं एवं आत्मीय जनों को आंग्ल नववर्ष 2023 की हार्दिक बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं !!!

🖊️ 01 जनवरी, 2023 🌞🌹❤


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