भोजपुरी, मगही से भेदभाव उचित नहीं : पूर्णिमा नीरज सिंह

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 डॉक्टर अजय ओझा।
डॉक्टर अजय ओझा।

ब्यूरो चीफ, झारखंड ।

रांची, 15 सितम्बर । आजकल झारखंड का सियासी तापमान भोजपुरी, मगही के संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अपमानजनक टिप्पणी के कारण चढ़ा हुआ है। विगत 14 सितंबर को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक निजी न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा था कि भोजपुरी और मगही वर्चस्ववादी लोगों की भाषा है।

उन्होंने कहा कि झारखंड अलग राज्य आंदोलनकारियों को भोजपुरी में गाली दी जाती थी। लेकिन मुख्यमंत्री से उनके सरकार में शामिल कांग्रेस पार्टी और उसके विधायक सहमत नहीं दिखते। संपूर्ण माया से मोबाइल पर बात करते हुए झरिया की कांग्रेस विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने कहा कि भोजपुरी और मगही के संदर्भ में मुख्यमंत्री का अपमानजनक बयान उनका अपना निजी विचार है। वह उनके इस विचार से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड में निवास कर रहे सभी लोग झारखंडी हैं और किसी के साथ जाति, धर्म और भाषा के आधार पर भेदभाव करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि वे जल्द ही इस संबंध में न्यायोचित कदम उठायेंगी। उन्होंने कहा कि नयी नियोजन नीति में भोजपुरी, मगही, मैथिली और अंगिका को क्षेत्रीय भाषा परीक्षा सूची से बाहर रखना अन्यायपूर्ण कदम है और वह इसका विरोध करती हैं।
मुख्यमंत्री द्वारा भोजपुरी को दमनकारी भाषा कहे जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्णिमा सिंह ने कहा – “तब तो हमें अंग्रेजी का भी बहिष्कार करना चाहिये क्योंकि सबसे ज्यादा अत्याचार तो अंग्रेजों ने किया है !”
उन्होंने कहा कि झारखंड डोमेसाइल आंदोलन के समय बाहरी-भीतरी विवाद के समय भी उनके परिवार ने खुलकर तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का विरोध किया था। आज भी वह और उनका परिवार खुलकर झारखंड में रह रहे भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका सहित सभी झारखंड भाषाभाषियों के साथ है और उनके जीते जी किसी के साथ भाषा, जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होने दिया जायेगा।


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