भागवत कथा का चौथा दिवस जब पं. राकेश जी महराज ने सुनाई मथुरा की कथा, देवकी बसुदेव का विवाह कराया सम्पन्न!

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रिपोर्ट- ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह जिला ब्यूरोचीफ ।

सुलतानपुर:- पीथीपुर पलिया मे श्री रामशंकर सिंह के यहां आयोजित हुई भागवत कथा! शैलेन्द्र सिंह, रवींद्र सिंह तथा जितेंन्द्र सिंह सुतगण श्री रामशंकर सिंह भी माता श्रीमती सावित्री सिंह भी बहुओं के व परिवार के नन्हे मुन्ने बच्चों के साथ उपस्थित रही!
दिनांक 20 नवम्बर 2021 से चल रही यह भागवत पुराण कथा दिनांक 29 नवम्बर 2021हवन पूजन के साथ श्री गया जगन्नाथ जी के महाप्रसाद और ब्राह्मण व बिरादरी भोज तथा क्षेत्र के सम्मानित लोगों व सम्पूर्ण गांव व क्षेत्र के लोंगो के महाप्रसाद ग्रहण के साथ सम्पन्न होगा!

कथा व्यास पं. राकेश जी महाराज श्रीधाम चित्रकूट से पधारकर अपने मुखारविंद से अविरल, अनवरत, ज्ञान गंगा की वर्षा करते हुए उपस्थित समस्त लोंगों को कान्हा की भक्ति मे सराबोर करते हुए कथा रसपान का आनन्द प्रदान कर रहे हैं!
गीत -: 1-तुम रुठे रहो कान्हा , हम तुम्हें मनायेंगे !
2- जब जब होहिं धरम कै हानी, बाढहिं असुर अधम अभिमानी, आदि गीतों से जहां उपस्थित समुदाय को भक्ति रस से सराबोर कर दिया वहीं
3-जय जय सुर नायक जन सुखदायक !
4-राधे राधे गोविन्द गोविन्द राधे नाम संकीर्तन कराकर लोंगों के जीवन को धन्य बनाया ! श्रोताओं ने तालियां बजाकर संकीर्तन किया तथा आनन्द रस पान किया!
देवकी वसुदेव के विवाह के उपरान्त मार्मिक भाव से देवकी की विदाई कराया! आकाशवाणी हुई कंस देवकी का आठवां लाल तुम्हारा काल बनेगा!
कंस ने देवकी को खींचते हुए रथ से नीचे उतार लिया कृपाण निकाल लिया फिर तात्विक ज्ञान का विमोचन करते हुए वसुदेव ने महराज कंस को बहु प्रकार से समझाया!
योग को प्रयोग मे परिवर्तित करते हुए भी वसुदेव ने कंस को समझाने का प्रयास किया!
कथा का मर्म समझाते हुए दान आदि प्रदान करने का विधान भी बताया! लेकिन कंस नहीं माना
तब बसुदेव ने नीति का प्रयोग किया और कहा देवकी से उत्पन्न सभी सन्तानों को हम आपको सौपते रहेंगे देवकी को छोड दो कंस को यह बात भा जाती है और देवकी को छोड देता है अपने संरक्षण मे रहकर जीवन यापन की शर्त रखी! क्रमश: एक एक करके 6 पुत्र पैदा होते गये और सब सन्तानों को अपने वचन के अनुसार वसुदेव जी ने कंस को सौंप दिया! कंस ने सबका वध कर दिया!
देवर्षि नारद मुनि जी का प्रसिद्ध संकीर्तन
“श्रीमन नारायण नारायण नारायण ” भी गाकर नारद की सुक्ष्म लीला की भी कथा पं. राकेश जी महाराज ने सुनाया! कथा ब्यास महाराज राकेश जी के साथ आचार्य श्री कौशल किशोर शास्त्री जी, सन्दीप जी, रविकान्त जी, कुलदीप जी, प्रयागराज, संगीत पर पंकज तिवारी (अर्गन) , सुरेन्द्र चतुर्वेदी ( तबलासंगत) वृजेश जी (पैड) पर संगत करते हुए गीतो में भक्ति भावभर रहे थे!
आर. के. अवस्थी जी सह आचार्य भी साथ रहे!
भय प्रकट कृपाला दीनदयाला भजनामृत के साथ महाराज वसुदेव कान्हा के बाल स्वरुप को लेकर जनमानस के समक्ष प्रस्तुत हुए जहां लोंगों ने भक्तिभाव मे सराबोर होकर पूर्ण मनोभाव से मनमग्न होकर मनमोहक नृत्य करके कृष्ण जन्म पर हर्षोल्लास प्रकट किया!


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