देशप्रेम रहित एवं अनुशासनहीन व्यक्ति जीवन में आगे नहीं बढ़ सकता : राज्यपाल

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डॉ अजय ओझा।

रांची, 22 जुलाई ।राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि जिस व्यक्ति में देश प्रेम एवं अनुशासन की भावना न हो, वह अपने जीवन में आगे नहीं बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि सभी को अपने बच्चों में सही आचरण एवं संस् कार विकसित करना चाहिए तथा उनमें अच्छी आदतें डालनी चाहिये। राज्यपाल महोदय आज आई.एम.ए., राँची में आयोजित एन.सी.सी. एलुमनी मीट में संबोधित कर रहे थे। उक्त अवसर पर मेजर जनरल एम० इंद्रबालन, अपर महानिदेशक, एन०सी०सी० बिहार एवं झारखंड, डॉ० एम०एन० देव, कुलपति, विनोबा भावे विश्वविद्यालय एवं मानद कर्नल, एन०सी०सी० , डॉ० सहजानंद प्रसाद सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आई०एम०ए० एवं पूर्ववर्ती एन०सी०सी० कैडेट, डॉ० रमण कुमार झा, कुलपति, अमेटी विश्वविद्यालय एवं पूर्ववर्ती एन०सी०सी० कैडेट, श्रीमती मंजू सिन्हा, सचिव, गुलमोहर मैत्री समेत पूर्ववर्ती एन०सी०सी० कैडेट एवं सैन्य अधिकारी उपस्थित थे।

राज्यपाल महोदय ने कहा कि वे भी एन.सी.सी. कैडेट रहे हैं तथा उनके परिवार के लोग भी सेना से आते हैं। बड़े भाई सैन्य अधिकारी से सेवानिवृत्त हुए। देश सुरक्षा के लिए भतीजा ने शहादत भी दी। एक पोता मेजर है जो जम्मू-कश्मीर में तैनात है और बहू भी मेजर है। उन्होंने कहा कि बच्चों को परिवार से ही देशभक्ति की भावना जागृत किया जाना चाहिये। देश की आजादी के लिए शहीद भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद ने जवानी में ही कुर्बानी दे दी। लोगों को इन सबसे प्रेरणा लेना चाहिये।

माननीय राज्यपाल ने कहा कि हमारा देश संयुक्त परिवार के लिए जाना जाता है, लेकिन आज स्थितियाँ बदल रही हैं। दुर्भाग्य है कि ओल्ड एज होम भी लोगों को जाना पड़ रहा है। ये ओल्ड एज होम भारत की संस्कृति में नहीं है। हमें अपने बड़ों-बुजुर्गों का आदर व सम्मान करना चाहिये। उन्होंने कहा कि आज विडम्बना है कि बहुत से लोग उच्चवर्गीय समाज के नाम पर अपने बच्चों को किसी चीज के लिए टोकते नहीं हैं, मना नहीं करते हैं। एक समय था जब बच्चे के विद्यालय में गलती करने पर शिक्षक डांटते या हल्का मार देते थे तो बच्चा घर में नहीं कहता था और कहते भी थे तो अभिभावक स्कूल में कुछ नहीं कहते थे, लेकिन आज स्थिति बदल गई है। उन्होंने कहा कि घर में अनुशासन का वातवरण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे अपना काम स्वयं करते थे, उन्होंने जीवन में अनुशासन को सदा अहम स्थान दिया है। लेकिन आज के बच्चे ऑर्डर करते हैं, वे एक पानी तक खुद लेकर नहीं पी सकते हैं। राज्यपाल महोदय ने बच्चों में मोबाइल की बुरी लत पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि एक दिन समाचार पत्र में पढ़ने को मिला कि एक बच्चे ने अपनी माँ की हत्या इसलिए कर दी कि माँ ने बच्चे को मोबाइल देखने के लिए मना किया। बच्चों को मोबाइल से दूर रखने की कोशिश करने चाहिये, मोबाइल प्रथा पर नियंत्रण करना चाहिए।

राज्यपाल महोदय ने कहा कि समाचारपत्रों में बलात्कार, हत्या, छिनतई आदि की खबरें पढ़कर बहुत दुःख होता है। लोगों में नैतिक भावना के विकास होने से ही इस पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह सुनकर बहुत दुःख होता है कि पड़ोसी भी किसी आफत आने पर दरवाजा नहीं खोलते हैं। लोगों को एक-दूसरे की सहायता करनी चाहिये, आपसी भाईचारा एवं सहयोग की भावना होनी चाहिये। समाज की सुरक्षा सबको मिलकर ही करना होगा।

माननीय राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में एन.सी.सी. प्रशिक्षण को अनिवार्य करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। वे विद्यालयों में भी एन.सी.सी. को अनिवार्य बनाना चाहते हैं। उन्होंने समय-समय पर एन.सी.सी. कैडेट्स के एकत्रीकरण की बात कही।


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