मेक्सिको में 228 भारतीय फँसे हैं, दूतावास सहयोग नहीं दे पा रहा है
लॉस एंजेल्स 08 मई : मेक्सिको में कोरोना का प्रकोप जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है, इस देश के विभिन्न शहरों में फँसे 228 भारतीयों की घबराहट बढ़ती जा रही है। वे हताश-निराश हैं। उन्हें कष्ट इस बात का है कि उनकी आवाज़ नक्कारखाने में तूती की तरह साबित हो रही है। वे मेक्सिको सिटी स्थित भारतीय दूतावास से लगातार सम्पर्क कर रहे हैं, लेकिन 13 अप्रैल के बाद से वह किसी तरह की कोई एडवाइज़री जारी नहीं कर पा रहे हैं। उनका सवाल है कि पड़ौसी देश अमेरिका सहित खाड़ी के विभिन्न देशों से एयर इंडिया की विशेष उड़ानें भरी जा रही हैं, तो उनका नंबर कब और कैसे लगेगा। इस संवाददाता से बातचीत में कुछ भारतीयों ने बताया कि मेक्सिको में वे घरों में बंद हैं। दूतावास उन्हें कोई सहयोग नहीं दे रहा है। उनका एक ही जवाब होता है, जब नई दिल्ली से फ़रमान जारी होगा, तभी सहयोग दे पाएँगे। इनमें से कुछ की शिकायत यह भी है कि उनके पास रहन सहन और खान-पान के लिए अपेक्षित साधन ख़त्म हो रहे हैं तो कुछ भारत स्थित अपने घरों में प्रियजनों की बीमारी से हताश निराश है।
एक बहुराष्ट्रीय कंपनी ”एसेंचर” की ओर से राजधानी मेक्सिको सिटी से 702 किलोमीटर दूर मोटेरियो में फँसे हैं। दिल्ली से ये आठों युवा सितंबर के अंत में आए थे। उनका काम 30 मार्च को ख़त्म हो चुका है। उनके वीज़ा की अवधि भी ख़त्म हो चुकी है। कंपनी ने भरोसा दिलाया है कि वे वीज़ा की तिथि बँधवा देंगे। उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी ने हालाँकि उन्हें कंपनी की ओर से दिए गए आवास में ठहरने की इजाज़त दे दी है। इनमें एक ने कहा कि इस बीच उनके पिता कैंसर से पीड़ित हो गए हैं। वह जल्दी से जल्दी दिल्ली लौट जाना चाहते हैं। इनमें ज़्यादातर युवा पहली बार कंपनी कार्य से पहली बार विदेश आए हैं।