योगी और प्रयागराज एसएसपी के दावों की खुल गई पोल

Share:

सौरभ सिंह सोमवंशी
प्रयागराज

प्रयागराज के सराय इनायत थाने 17 जुलाई में एक 8 माह की गर्भवती महिला सरिता विश्वकर्मा अपने मामा के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराने के लिए अपने पति पत्रकार अजय विश्वकर्मा के साथ थाने जाती है ।

अजय विश्वकर्मा का एक साथी मोहम्मद इरफान भी साथ में जाता है सरिता विश्वकर्मा का आरोप है कि सराय इनायत थाने के एसआई आकाश कुमार राय के द्वारा तहरीर वापस लेने की कहा जाता है परंतु सरिता विश्वकर्मा और अजय कुमार विश्वकर्मा तहरीर वापस लेने को तैयार नहीं होते हैं। इसी कारण से एसआई आकाश कुमार राय, एसआई कौशलेंद्र द्विवेदी और थाने के थाना अध्यक्ष संजय द्विवेदी के द्वारा अजय कुमार विश्वकर्मा और सरिता विश्वकर्मा की पिटाई की जाती है , इस घटना का वीडियो जब पत्रकार मोहम्मद इरफान के द्वारा बनाया जाता है तो सरिता विश्वकर्मा को छोड़कर दोनों की पिटाई की जाती है। और दोनों की आपसी मारपीट दिखाकर चालान भी कर दिया जाता है। इस प्रकरण पर जब शाम को प्रयागराज के ही सराय इनायत थाने पर पत्रकारों का जमावड़ा होता है और बड़े आंदोलन की चेतावनी दी जाती है तो प्रयागराज पुलिस के सोशल मीडिया सेल के द्वारा एक पत्र जारी किया जाता है जिसमें कहा जाता है कि दोनों पत्रकारों और सरिता विश्वकर्मा के मामा ने आपस में मारपीट की थी और तीनों का चालान कर दिया गया है,दूसरे दिन 18 जुलाई को इसी मामले पर प्रयागराज में मीडिया का संचालन करने वाले वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र सिंह के नेतृत्व में जब पत्रकार प्रयागराज परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक कवींद्र प्रताप सिंह को प्रार्थना पत्र देते हैं और प्रयागराज के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक दीक्षित से मुलाकात करते हैं तब अभिषेक दीक्षित ने फूलपुर क्षेत्र के क्षेत्राधिकारी को जांच सौंप दी। परंतु पत्रकारों का आरोप था कि वो मामले में लीपापोती करते हैं और मौके पर मौजूद पत्रकार साथियों का बयान तक दर्ज नहीं करते हैं। वह अपनी रिपोर्ट में घटना को गलत बताते हैं, हालांकि मामले में आरोपी दरोगा आकाश कुमार राय को लाइन हाजिर कर दिया जाता है। पत्रकार इस रिपोर्ट से असंतुष्ट होकर 24 अगस्त को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर मामले की शिकायत करते हैं और मुख्यमंत्री के आदेश के बाद पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश डीजीपी के कार्यालय से मामले में प्रयागराज के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी से मामले की आख्या मांगी जाती है इसके अलावा मामले की जांच क्षेत्राधिकारी सोरांव और प्रयागराज के गंगा पार पुलिस अधीक्षक कर रहे हैं और अभी जांच चल रही है इसके बावजूद चौकी इंचार्ज आकाश राय जिसे इसी मामले में लाइन हाजिर किया गया था उसे प्रयागराज के धूमनगंज थाने में चौकी इंचार्ज बनाया गया है।
वहीं दूसरे आरोपी एस आई कौशलेंद्र धर दूबे को हंडिया थानांतर्गत सैदाबाद चौकी प्रभारी बनाया गया है जब कि मामले की जांच अभी पूरी नहीं हो पाई है।
इसी मामले पर जब जांच कर रहे एसपी गंगापार धवल जायसवाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामले की जानकारी मुझे नहीं है जब कि जांच वो खुद कर रहे हैं ये लापरवाही का जीता जागता उदाहरण है।

ADVT

जांच में कैसे हुआ खेल

जांच कर रहे सीओ फूलपुर ने खेल इस तरह से किया की अजय विश्वकर्मा की पत्नी सविता विश्वकर्मा के द्वारा शिकायत किए गए पत्र पर सब इंस्पेक्टर आकाश कुमार राय द्वारा जांच हेतु पति और पत्नी को थाने के बैरक में बुलाया जो गलत था, जिसके साक्ष्य मौजूद हैं, मुख्यमंत्री के द्वारा प्रेषित पत्र पर समस्त धाराओं में मुकदमा दर्ज नहीं किया गया और आरोपी इंस्पेक्टर को ही विवेचना सौंप दी गई, थाना अध्यक्ष संजय कुमार द्विवेदी और दोनों एस आई आकाश राय और कौशलेंद्र दुबे के द्वारा लाठी-डंडे व बेल्ट से बेरहमी से मारे जाने के साक्ष्यों को भी नजरअंदाज कर दिया गया , बार-बार मामले की जांच की आख्या उसी थाने से मांगी जाती है जिस थाने के थाना अध्यक्ष और एस आई मामले में आरोपी हैं मामले के प्रत्यक्षदर्शी पत्रकारों और अन्य लोगों के द्वारा कोई बयान भी नहीं लिया जाता है, जांच रिपोर्ट में मेडिकल का भी कोई जिक्र नहीं किया गया है सबसे बड़ी लापरवाही तो तब दिखाई देती है जब जांच रिपोर्ट में विजुअल वीडियो, कॉल डिटेल और अन्य साक्ष्यों का कहीं कोई जिक्र नहीं होता है। पीड़ितों के द्वारा बार-बार यह कहा जाता है कि थाना परिसर में लगे हुए सीसीटीवी कैमरे की फुटेज को निकाला जाए परंतु यह किसी भी जांच अधिकारी के द्वारा नहीं किया जाता है यदि किया जाता तो सच्चाई सामने आती और पत्रकारों पुलिसकर्मियों के थाने में आवागमन का पता भी चलता।यह सोचनीय विषय है की जिस उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा की बात की जाती हो और सभी नेता महिलाओं की सुरक्षा के लिए मंच पर बड़े-बड़े भाषण देते हो उसी उत्तर प्रदेश का डिप्टी सीएम एक 8 माह की गर्भवती के थाने में पीटे जाने पर नेतागिरी करने का निंदनीय बयान देता हो। और अधिकारियों का कृत्य लीपापोती वाला हो वहां पर कानून व्यवस्था की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है, आज भी सराय इनायत थाने में पीड़ित पत्रकारों को और उस समय 8 माह की गर्भवती महिला को न्याय नहीं मिल पाया है इस तरह की घटना उत्तर प्रदेश के प्रशासन उत्तर प्रदेश के कानून व्यवस्था व राजनीति के साथ-साथ पूरे तंत्र पर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह तो खड़ा करती ही है परंतु जांच बिना पूरी हुए आरोपियों को चौकी इंचार्ज बना देना प्रयागराज के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।


Share: