पलायन का सिलसिला : लॉक डाउन की गंभीर त्रासदी, संक्रमण फैलने का खतरा बड़ा

Share:


 -घर आने की विवशता ने कोरोना वायरस के संक्रमण का खड़ा किया भय

-कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम व कड़ी को ब्रेक करने के लिए सरकार ने 21 दिन का घोषित किया है लॉकडाउन

फतेहपुर, 31 मार्च (हि.स.)। वैश्विक महामारी का रूप धारण कर चुके कोरोना वायरस से लगभग दुनियां का हर देश अभिशप्त है। जहां तक अपने देश भारत की बात की जाय तो संक्रमित के बाद पॉजीटिव पाये गये मामले अन्य विकसित देशों से काफी कम है। जिसके लिए प्रधानमंत्री द्वारा समय से उठाये कदम जनता कर्फ्यू और उसके बाद 21 दिन का लॉक डाउन कारगर साबित हो रहे हैं। लेकिन लॉक डाउन के बाद उद्योग, फैक्ट्री, व्यापार, व्यवसाय और रोजगार जैसे ही ठप्प हुए वैसे ही इन उपक्रमों में लगे लोग जीवन निर्वाह की परेशानियों को लेकर बेचैन व परेशान हो गये। हर व्यक्ति अपने पैतृक गांव-घर की तरफ पलायन को विवश हो गया। 
पलायन रोकने के लिए सरकार ने ट्रेन व बसें बंद का परिचालन रोक दिया। लेकिन पलायन फिर भी नहीं रुक रहा है। लोग अपने साधन से, किराये के साधन लेकर और यदि कोई साधन नहीं मिला तो पैदल ही नदी-नाले की थाह नापकर सैकड़ों मील चलकर अपने घर पहुच रहे हैं। यह पलायन का सिलसिला जहां एक ओर कोरोना वायरस के संक्रमण को बढ़ाने का काम कर रहा है। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लॉक डाउन के उद्देश्य को विफल करता दिख रहा है और संक्रमण के बाद महामारी को देश में भयावह स्थिति की ओर ढकेलता दिख रहा है। 
वहीं पलायन करने वालों की अपनी मजबूरी व बेबसी भी है। कि आखिर किस भरोसे बिना अन्न व पैसे के पलायन न करें। केन्द्र व राज्य सरकारें हर वह कदम उठा रही हैं जिससे लोगों की जीवन निर्वाह की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी की जा सकें। लेकिन फिर भी हर व्यक्ति की आवश्यकताओं को पूरा करना संभव नहीं है। ऐसे हालात में पलायन की मजबूरी निश्चय ही कोरोना वायरस से होने वाले संक्रमण से देश की स्थिति भयावह होने की संभावन को नकारा नहीं जा सकता है। 
विदेश से आने वाले लोगों को कोरोना वायरस के देश में संक्रमण के प्रारंभिक स्टेज में गंभीरता से लिया जाना चाहिए था। आखिर जब कोरोना वायरस चाईना से होते हुए अन्य देशों तक फैल रहा था यदि उस समय ही संक्रमण को देश में रोकने के लिए सख्ती की जाती तो निश्चित ही आज जैसे हालात देशवासियों को देखना व झेलना न पड़ता। आखिर पड़ोसी देश नेपाल, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका देशों की सीमाएं सील की जानी चाहिए। हवाई यात्रा कर या नौपरिवहन से आने वाले विदेशी या देश के यात्रियों का एयरपोर्ट पर कोरोना वायरस के संक्रमण का परीक्षण के कदम उठाये जाने चाहिए। यदि समय से इन बिन्दुओं को गंभीरता से लिया गया होता तो निश्चय ही जनता कर्फ्यू और लॉक डाउन की मुसीबतों से देशवासी काफी हद तक बच सकते थे। नहीं पड़ता। 

यह भी सच है। कि जनता कर्फ्यू व लॉक डाउन का निर्णय करने से पूर्ण रूपेण बन्द हुए रोजगार से करोड़ों दिहाड़ी मजदूर दूसरे प्रांतों में रोजी-रोजी की तलाश में रोज कमाता खाता मात्र है। उससे अधिक न वह कमा पाता है और न ही उसे मिलता ही है। ऐसी दशा में एक दिहाड़ी मजदूर एक महीने बैठकर कमरे का किराया देते हुए अपने परिवार का खर्चा कैसे चलाता। उसके पास अपने पैतृक गांव व घर आना ही एकमात्र विकल्प था। 
असंगठित क्षेत्रों में बाहर से आये मजदूर के पास उस जगह का न राशनकार्ड है, न आधारकार्ड है न उसके पास निवास प्रमाण पत्र है और न ही श्रमिक के रूप में वह पंजीकृत है। ऐसी दशा में वह सरकार की किसी भी योजना के लिए पात्र भी नहीं होगा। फिर उस राज्य सरकार से उसे कोई सरकारी अनुदान मिलने से रहा। इन समस्याओं को आखिर सरकार में बैठे रणनीतिकार आकलन क्यों नहीं कर पाये। जल्दबाजी व हड़बड़ी में लॉक डाउन का निर्णय पलायन के लिए जिम्मेदार है। और अब यह पलायन कोरोना वायरस के संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार ही नही गंभीर समस्या खड़ी करता जा रहा है। 
अब यदि सतर्कता नहीं बरती गयी तो आने वाले दिनों में इटली जैसी स्थितियां देश की देखनी पड़ सकती है। पलायन कर आने वाले बाहरी व्यक्तियों के लिए हर गांव के स्कूलों में सेेेल्टर होम बनााकर क्वांरटाईन किया जाना अब अनिवार्य हो गया है। और हर ग्रामवासी को आपनों का मायामोह छोड़कर सरकार के कदम का साथ देना होगा और बाहर से आये हुए अपने व्यक्तियों से पूरी दूरी बनानी होगी। उनके लिए बनाये गये सेेेल्टर होम सेंटर में ही सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए भोजन व अन्य आवश्यकताएं पूरी करने के लिए काम करना होगा। तभी पलायन से होने वाले संक्रमण से देश को बचाया जा सकता है।  


Share:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *