प्रयागराज के राजरूपुर इलाके में अवैद्य तरीके से महिला मजदूरों से काम लिया जा रहा है

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अरविन्द चौधरी मो० 9918397744

30 मार्च, प्रयागराज। जहाँ एक तरफ कोरोना के कहर के कारण संपूर्ण राष्ट्र में ऐतिहासिक लाॅकडाउन चल रहा हैं,जिसके चलते क्या अमीर? क्या गरीब ? सब अपने घरों में रह कर गुजर-बसर कर रहें हैं , कोरोना जैसे जानलेवा वायरस के कहर को रोकने के लिए जो इस वक्त जरूरी भी हैं।

पहली रात

इस समय में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कोरोना के आपातकाल में अपनी जान की प्रवाह न करते हुए दो रोटी के इंतजाम में आज भी सुबह ही अपने घर से निकल पड़ते हैं, क्योकि वह जानते हैं की अगर कमाएगें नहीं तो खाएंगे क्या ? दो रोटी के जुगाड मे सिर्फ पुरुष ही नहीं महिलाएं भी शामिल हैं । ऐसी एक तस्वीर प्रयागराज के राजरूपपुर इलाके में साईधाम अपार्टमेंट के सामने एक फुटकर सब्जी विक्रेता की दुकान पर लाॅकडाउन के दौरान प्रतिदिन देखने को मिल रही हैं । इस दुकान पर कई महिलाए अपने परिवार का पेट पालने के लिए मजदूरी करती हैं जो सुबह सात बजे यहाँ पहुँचती हैं और रात दस बजे के बाद तक काम करती रहती हैं, किसी को रोजगार देना अच्छी बात हैं और जो इसमें सक्षम हो उसे यह कार्य करना भी चाहिए, लेकिन रोजगार के साथ साथ अपने कर्मचारियों का ख्याल भी रखना चाहिए ।

दूसरी रात

आज जब लाॅकडाउन के समय सभी निजी संस्थानों, सरकारी कार्यालयों ने अपने कर्मचारियों के लिए घर से काम करने आदि के इंतजाम किए हैं और इस पर सभी संजग भी हैं, वहीं कुछ स्वार्थी लोग आज भी अपने कर्मचारियों, मजदूरों पर बिलकुल भी दया करने को तैयार नहीं हैं । अपने कारोबार के लिए मजदूरों की मजबूरी का पूरा फायदा उठा रहें हैं, ऐसे हालात में जब कहीं दो रोटी कमाने का कोई अन्य रास्ता दिखाई नहीं देता तो ये मजदूर- मजबूरी वश इनके पास कोल्हू के बैल की तरह काम करने को मजबूर हैं । अगर रात साढ़े दस बजे तक महिला मजदूर यूहीं मजदूरी करती रहेगी तो कब वह अपने भूखे बच्चो को खाना बना कर खिलाएगी। क्यो विषम परिस्थितियों में भी लोभियो का दिल नहीं पसीजता इन लाचार और बेबस मजदूर महिलाओं पर ? क्यो शासन प्रसाशन का ध्यान नहीं जाता इन मजलूमो की तरफ ? आज जब कोरोना के कहर के चलते इन मजदूर महिलाओं के यह हालात हैं तो सामान्य समय में तो शायद इससे भी दयनीय हालत होती होगी इनकी ।


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