विश्व भर में कोरोना पर विजय पाने के लिए क्या रास्ते निकाले गए ? ‘हर्ड इम्यूनिटी’

अब जबकि देश और दुनिया इस महामारी से पूरी तरह ग्रस्त, त्रस्त और पस्त हो रहे हैं, तब हर ख़ास ओ आम को ये भी जरूर जान लेना चाहिए कि इतनी जल्दी पूरी दुनिया में, इस बीमारी को महामारी क्यों घोषित कर दिया गया जबकि किसी बीमारी को महामारी घोषित करने के लिए WHO के पास कोई तय पैमाना नहीं है। साल 2003 में जब सार्स कोरोना वायरस सामने आया था, तब उससे 26 देश प्रभावित हुए थे, लेकिन इसके बावजूद सार्स कोरोना वायरस को महामारी घोषित नहीं किया गया था। किसी बीमारी को महामारी घोषित करने का फैसला WHO लेता है। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाता है कि महामारी घोषित होने के बाद कोई अनावश्यक खौफ या डर की स्थिति पैदा न हो जाए। जैसे 2009 में ‘स्वाइन फ्लू’ को महामारी घोषित करने के बाद हुआ था।
वह बीमारी जो दुनिया भर में फैल जाती है उसे पैनडेमिक या महामारी कहते हैं जबकि एपिडेमिक किसी एक देश, राज्य, क्षेत्र या सीमा तक सीमित होती है। जैसे साल 1918 से 1920 तक फैले स्पैनिश फ्लू को महामारी घोषित किया गया था क्योंकि इससे कई देशों में बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए थे। इससे करोड़ों मौत हो गई थी। वहीं 2014-15 में फैले इबोला को एपिडेमिक घोषित किया गया क्योंकि यह बीमारी लाइबेरिया और उसके पश्चिम अफ्रीका के कुछ पड़ोसी देशों में फैली थी।
जब किसी बीमारी को महामारी घोषित कर दिया जाता है तो इसका मतलब बीमारी लोगों के बीच आपस में एक-दूसरे में फैलेगी। यह सरकार के लिए एक तरह की अलर्ट का काम करता है। सरकार और हेल्थ सिस्टम को बीमारी से निपटने के लिए विशेष तैयारी करनी पड़ती है। वैश्विक पैमानों, WHO गाइडलाइंस के अनुसार महामारी की रोकथाम के लिए किये जाने उपायों को छह भागो में बांटा गया है, पहले तीन भाग, इस बीमारी को दुनियाभर में व्यापक पैमाने पर फैलने से रोकने के बारे में बताते हैं, बीमारी को फैलने से रोकने और उसे फ़ैल चुके इलाकों में रोके रखने के लिए समय से, शिद्दत से लागू किया गया सोसिअल डिस्टेंसिंग और “लॉकडाउन”, बहुत ही कठिन लेकिन सटीक उपाय है और निःसंदेह पहली तीन स्टेज के प्लानिंग और कोआर्डिनेशन के मोर्चे पर तो मोदी सरकार पूरी सक्षमता से काम करती और खरी उतरती दिख रही है क्योंकि उसने बीमारी को रोकने के लिए “सोसिअल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन” का बेहद संजीदगी से और समय से निर्णय ले लिया, लेकिन कई राज्य सरकारें और धार्मिक मोर्चे जानबूझकर अपने निहित स्वार्थो के चलते खुलेआम इस बीमारी को फैलाने वाली मूर्खता और बेवकूफियां करते नजर आ रहे हैं ।
अब सबको यह पता होना चाहिए की अगर इस बीमारी को सक्षम, सार्थक लॉकडाउन के चलते फैलने से रोक लिया गया तो संभवतः चौथी स्टेज में इस बीमारी को हर्ड इम्मुनिटी ( Herd immunity ) के जरिये मात दी जा सकती है ।

क्या है हर्ड इम्मुनिटी ? ( Herd immunity )
‘हर्ड इम्यूनिटी’ ( Herd immunity ) का मतलब है, समूह की रोगप्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करने का तरीका, ‘हर्ड इम्यूनिटी’ एक ऐसी इम्यूनिटी है जो समूहों में होती है। इसका एक तरीक़ा तो यह है कि बड़े पैमाने पर वैक्सीन लगाया जाए जैसे कि पल्स पोलियो अभियान में किया गया, आज पूरे विश्व के लोगों में उसके प्रति इम्यूनिटी है या फिर लोगों को वह इन्फ़ेक्शन हो और उनका शरीर उसके ख़िलाफ़ इम्यूनिटी डेवलप कर ले, जैसे कि अगर हमें एक बार मिज़ल्स (खसरा) हो जाता है तो फिर जीवन में दोबारा नहीं होता। हम खसरे के मरीज़ को छू सकते हैं, उसकी सेवा कर सकते हैं, लेकिन हमें वह बीमारी दुबारा नहीं होती, क्यों? क्योंकि, हमारे शरीर में उस बीमारी के प्रति जीवनभर के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है।
कोरोना के मामले में विशेषज्ञों द्वारा भी यही कहा जा रहा है कि इससे लॉन्ग टर्म इम्यूनिटी हो जाती है, हमें इस महत्वपूर्ण बात को नज़रंदाज़ नहीं करना चाहिए। इस पर गहन शोध हो, जब सब लोग घरों में क़ैद ही हैं तो कोरोना से ठीक हुए मरीज़ों को स्वेच्छा से दुनिया को बचाने के लिए रिसर्च में या बचाव अभियान में साथ देना चाहिए, एफ़डीए भी इसकी अनुशंसा कर चुका है, एफ़डीए ने ठीक हुए रोगियों के सीरम से भी कोरोना के क्रिटिकल मरीज़ों के उपचार करने की इजाज़त दी हैं और भारत सरकार, आईसीएमआर भी इस दिशा में, स्वस्थ हो चुके मरीजों के रक्त प्लाज्मा से उपचार की और कदम उठा रहा है ।
स्वीडन का भी यही मत है कि वह इसी आधार पर लड़ेगा कोरोना से और यही फ़िलहाल दुनियाभर के शोध तंत्रों द्वारा में वुहान मॉडल में भी बड़ी आशा के साथदेखा जा रहा है, इस मॉडल को अभी तक सफल माना जा रहा था क्योंकि चीन के अनुसार वुहान के कठोर अनुशासित लॉकडाउन से यह बीमारी वहां पूर्णतः रोक ली गई है लेकिन ताजा इनपुट्स के अनुसार वुहान में यह बीमारी फिर से पैर पसार रही है अगर यह सच है तो इसका मतलब है कि संभवतः यह बीमारी हर्ड इम्मुनिटी विकसित ना करे? और अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा सा अर्थ होगा कि हमें और भी कठिन समय का सामना करना पड़ सकता है और सरकारों को और भी कड़े, बेहद दुष्कर उपाय अपनाने पड़ सकते हैं।
इसलिए अगर आप सुकून में हैं और इस लॉक डाउन में भी अच्छा खा रहे हैं, अच्छा पहन, सुकून से सो पा रहे हैं तो निश्चित ही यह आपकी पुण्य की कमाई, आप के पूर्वजों, आपके पुण्यकर्मों और पूर्वजन्म के अच्छे फल का नतीजा है। इसके लिए परमपिता परमेश्वर, गुरु, मातापिता और पूर्वजो को धन्यवाद दें और आनेवाली पीढ़ी को भी भविष्य में आने वाले इन सभी संकटों के लिए तैयार करें और विपत्तियों से बचाने के लिए कमर कस लें, जिससे आने वाली पीढ़ी भी विपत्तियों का सामना साहस पूर्ण तरीके से कर सकें।