कौन होते है राजनीतिक स्लीपर सेल ?

Share:

संतोष श्रीवास्तव। 

जैसा कि पूरा देश एक बात को अच्छे से जनता है कि समय की माग के अनुसार राजनीति अपना स्वरूप बदलती रहती है।विभिन्न सामाजिक मुद्दे इसमें अहम भूमिका निभाते रहते है और राजनीतिक पार्टियों को उनके मुकाम तक पहुँचाते रहते है।  आज जब मैं वर्तमान राजनीति पे स्वयं से गहन मंथन में डुबा हुआ था तभी मेरा धयान देश के उन तमाम जातीय संगठनों की ओर गया जो देश की राजनीती में चुनाव के समय निर्णायक भूमिका अदा करते है। आज हमारे देश मे बड़ी जातियों से लेकर छोटी जातियों तक के कई संगठन कई नामो से चल रहे है।सबसे बड़ा प्रश्न ये है क्या वाकई ये जातीय संगठन अपनी जातियों को थोड़ा भी लाभ पहुचा पाते है।जातीय संगठन  बनाने के पीछे का इनका  उद्देश्य क्या होता है कभी किसी ने इस बात को गंभीरता से  सोचा एक बड़ा प्रश्न है।आईये हम आपको जातीय संगठनों की एक हकीकत बताते है। आज जितने भी जातीय संगठन है ये देश मे चुनाव के समय अलग अलग पार्टीयो के स्लीपर सेल्स के रूप में सक्रिय हो जाते है कहने को तो संगठनों के अध्यक्ष अपने अपने को जाती का मसीहा बताते घूमते रहते है लेकिन इसके पीछे का खेल मासूम जनता नही समझ पाती है और जातीय संगठन के नाम पे बेचारी मासूम जनता के वोट को पार्टीयो के हाथ मोटी रकम में बेच दिया जाता है। अब वो समय आ गया है कि इन राजनीतिक स्लीपर सेल्स को पहचान कर इनको बेनकाब करना बहुत जरूरी हो गया क्यो की इसका देश की राजनीति पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता जा रहा है। इन्ही स्लिपर सेल्स की वजह से देश मे अच्छी सरकार की उम्मीद नही की जा सकती है। आज पूरे देश मे एक ही जाति के सैकड़ो संगठन चल रहे चल रहे इन सैकड़ो संगठनों की मानसिकता समझना बहुत ही जरूरी हो गया है। मैं ऐसा इस लिए कह रहा हु इसका देश की राजनीति पे बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। देश मे जातीय संगठनों पे रोक लगना बहुत उचित और तर्कसंगत होगा।लेखक जयहिंद नेशनल पार्टी के प्रवक्ता है।


Share: