“जीवन रक्षक आयुर्वेद” पर गोष्ठी सम्पन्न

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डा0 अजय ओझा ।

स्वस्थ जीवन शैली की राह है आयुर्वेद -डॉ. सुषमा आर्या
नियमित दिनचर्या स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक
-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य

शनिवार 10 अप्रैल 2021, केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “जीवन रक्षक आयुर्वेद” विषय पर ऑनलाइन गोष्टी का आयोजन जूम ऐप पर किया गया । यह परिषद का कॅरोना काल में 201 वा आर्य वेबिनार था ।

विदुषी डॉ. सुषमा आर्या ने बताया कि आयुर्वेद जीवन रक्षक है और जीवन जीने की कला का सरल सुगम्य मार्ग का शिक्षक है ।प्रातः जागरण, चिंतन, स्वाध्याय, योग, प्राणायाम और सात्विक भोजन की नियमावली देता है जिससे मनुष्य तनाव रहित होकर दिन भर सुकार्यों को करने में संलग्न हो जाता है। आयुर्वेद के अनुसार प्रातः गरिष्ठ आहार, दोपहर को मध्यम और रात्रि का भोजन सायं 6:30 से 7:00 के बीच में हल्का भोजन की सलाह देता है । अर्थात् अनाज सब्जी दाल प्रातः काल का सेवन करना, दोपहर में सलाद सब्जी दाल और दही का सेवन करना लस्सी का सेवन करना रात्रि में बिल्कुल हल्का भोजन हरी सब्जी के साथ सेवन करना या यूं कहें कि प्रतिदिन लगभग 400 ग्राम जितने फल , 800 ग्राम जितनी हरी सब्जी और 50 ग्राम जितनी दाल ही उत्तम स्वास्थ्य को प्राप्त कराती है वैद्य चरक जी के अनुसार शरीर: व्याधि: मंदिर: अर्थात शरीर बीमारियों का घर है उपवासं परमं लंघनम अर्थात् उपवास प्रमुख उपचार है आगे उन्होंने लिखा है कि प्रतिदिन 13, 14 घंटों ‌ का उपवास अनिवार्य है ।दिन में इतना लंबा उपवास नहीं रखा जा सकता हां लेकिन सायं 6:30 बजे के बाद से लेकर प्रातः 8:30 बजे तक फल ,दूध भोजन इत्यादि का सेवन ना करना रोगों से मुक्त कर देता है ।

प्रतिदिन प्रातः निराहार कम से कम तीन गिलास पानी पीना, लहसुन की कलियां काटकर साथ में निगलना अथवा रात को भिगोए गए मेथी, सोंफ और दालचीनी का पानी पीना अथवा एलोवेरा और आंवला रस मिलाकर पीना रोगों से मुक्ति दिलाता है। पंचकर्म जिनमें अनीमा सबसे प्रमुख है निरोग रखने में अत्यंत सहयोगी है। बादाम, मिश्री, सौंफ और सफेद मिर्च को पीसकर पाउडर बनाकर रात को दूध के साथ लेने से आंखों की जलन और उससे संबंधित रोग शांत होते हैं ।घीया, खीरा रस और आलू का रस फ्रिज में रख कर जमा कर उसको आंखों पर रखने से भी रोग ठीक होते हैं।

मुख्यत: भोजन में प्रयोग की जाने वाली 5 सफेद खाद्यों के बारे में अत्यंत सावधानी बरतनी है।
सफेद चीनी की जगह बूरा, सफेद आटे की जगह छान वाला मल्टीग्रेन आटा मिलाकर सेवन, सफेद चावल की जगह ब्राउन चावल खाने से, रिफाइंड आयल की जगह देसी घी का प्रयोग करने से रोगों से मुक्त रहा जा सकता है।

करेले के रस में पैर रखने से और भिंडी का सूप पीने से और भोजन की नियमावली का पालन करने से शुगर, रक्तचाप जैसी बीमारी से बचा जा सकता है। अर्थात् हमें आयुर्वेद द्वारा बताए गए जीवन रक्षक उपाय नियमित रूप से पालन करना चाहिए।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि नियमित दिनचर्या व जीवन शैली स्वस्थ जीवन का आधार है । हमें अपने कार्य व्यवस्थित व समयबद्ध करने चाहिए ।

अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद डॉ. गजराजसिंह आर्य(प्रधान, आर्य केन्द्रीय सभा,फरीदाबाद) ने कहा कि स्वामी रामदेव जी ने आयुर्वेद को घर घर तक पहुँचाया है, आयुर्वेद रोग का जड़ से निदान करता है ।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के प्रदेश महामंत्री प्रवीन आर्य ने कहा कि योग व आयुर्वेद भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर है ।
आचार्य महेंद्र भाई, सौरभ गुप्ता, दीप्ति सपरा,संध्या पांडेय,प्रवीना ठकर, विजय हंस,डॉ रचना चावला, राजकुमार भंडारी,देवेन्द्र गुप्ता, आशा आर्या,शुर्ति सेतिया,सुखवर्षा सरदाना,देवेन्द्र भगत आदि ने भी भजन व विचार प्रस्तुत किये ।


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