वेब सिरीज परोस रहा है एडल्ट कंटेंट

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हर्षित कुमार

बीते दो सालों के लगभग समय से गौर करें तो डिजिटल प्लेटफॉर्म पर वेब सीरीज युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। यह टीवी सीरियल को पीछे छोड़ने के कगार पर है। सोशल मीडिया एक्सपर्ट की मानें तो डिजिटल प्लेटफॉर्म पर वेब सीरीज धमाल मचाए हुए है। इसकी एक वजह ये है कि कहानियों के साथ बिना रोक-टोक के प्रसारण। एक तरफ जहां यह विकल्प दे रहा है, वहीं सृजनात्मकता के नाम पर कुछ भी परोस दे रहा है। जिससे आज के युवा आसानी से इसके आदी हो रहे हैं। नए कंटेट के नाम पर एडल्ट सामग्री का आसान विकल्प मिल रहा है। टीवी में सेंसर के कारण घिसा-पिटा ड्रामा देखने को मिलता है, वहीं लंबे-लंबे ब्रेक। हालांकि अभी भी दर्शकों का एक बड़ा वर्ग वेब सिरीज से अछूता था परन्तु इंटरनेट की सुलभता ने इसे भी आसान बना दिया है। ऐसे में यह लाजमी है कि इसके उपयोग सम्बंधी विषय वस्तुओं पर ध्यान दिया जाए।

वेब सीरीज क्या है?

फिल्मों और टीवी सीरियल में जहां अधिक एपिसोड होते हैं, वहीं वेब सीरीज में इससे अलग 8-10 एपिसोड होते हैं। यह सीरीज अलग-अलग विषय वस्तुओं पर आधारित होती हैं लेकिन अभीतक देखें तो फूहड़ विषय वस्तुओं का अम्बार है। एक एपिसोड औसतन 25 से 45 मिनट तक का होता है। ये वेब सीरीज डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कई बार एक साथ लॉन्च कर दिए जाते हैं, जिससे एक दिन में ही दर्शक इसको देख लेते हैं। कई बार इसकी उपयोगिता बढ़ाने के उद्देश्य से हर हफ्ते एक एपिसोड लॉन्च किए जाते हैं।

एडल्ट सामग्री

भारतीय टीवी चैनलों की बात करें या फिल्मों की कहानी की तो अक्सर सामाजिक विषय वस्तु की प्रधानता होती है। सामान्य रूप से सीरियल और कुछ फिल्मों को छोड़कर परिवार के लोगों के साथ बैठकर इसे देखा जा सकता है। जबकि वेब सीरीज में कंटेट सबसे बड़ा हथियार है, यहाँ युवाओं के लिए ही खास प्रकार का कंटेट तय किया जा रहा है। यहां प्रोड्यूसर-डायरेक्टर को बोल्ड कंटेट को लेकर किसी समस्या का सामना नहीं करना होता है। किसी ऐसे मुद्दों पर सिरीज बनाने की छूट है, जिन्हें फिल्मों या सीरियल्स में आमतौर पर नहीं दिखाया जाता। क्योंकि फिल्म और सीरियल में सेंसर के कारण ऐसे किसी भी प्रकार के कंटेंट परोसना कठिन है। युवा फिल्मों में नाच-गाने का मनोरंजन और पारिवारिक ड्रामे से अलग कहानियां देखना चाहते हैं। हमारा सेंसर बोर्ड इसको लेकर अनभिज्ञ।

सेंसर की कैंची का डर नहीं

फिल्मों में जब भी बोल्ड या एडल्ट कंटेट होता है तो प्रोड्यूसर और डायरेक्टर को सेंसर बोर्ड के सामने जाना पड़ता है। जबकि अभीतक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सेंसर जैसा कुछ नहीं है। इसका फायदा उठाकर प्रोड्यूसर और डायरेक्टर कोई भी विषय वस्तु जनता के सामने लाने में सफल हो रहे हैं। पिछले दिनों अनुराग कश्यप की वेब सिरीज सीक्रेट गेम्स बहुत चर्चा में रही। अनुराग कश्यप ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि जब भी कोई फिल्म बनती है उसके बाद प्रोड्यूसर और डायरेक्टर एक महीने तक सेंसर बोर्ड के चक्कर लगाते रहते हैं, जबकि वेब सीरीज रिलीज करने में ऐसी समस्या नहीं है।

करोना काल में हर दिन प्रभावित

फ्री समय और कंपनियों के सस्ते इंटरनेट सुविधा की वजह से दर्शकों के लिए ये वेब सीरीज देखना आसान हो गया है। आज के दौर में युवाओं के पास समय की कमी नहीं है,  ऐसे में वो फोन में इसे कभी भी देख रहा है। बॉलीवुड सेलिब्रिटीज का भी लगाव बढ़ने के कारण आसानी से लोगों तक वेब सिरीज लोकप्रिय हो रहा है।

समय रहते लगाया जाए सेंसर

युवाओं वाले भारत देश में अगर विषय वस्तुओं के प्रसारण पर ध्यान नहीं दिया गया तो आगे चलकर हम विषय वस्तुओं को कंट्रोल करने में असफल रहेंगे। जिस प्रकार सीरियल और फिल्म के लिए सेंसर आवश्यक है, उसी प्रकार वेब सिरीज के लिए भी सेंसर अनिवार्य किया जाए। अगर समय रहते वेब सिरीज पर सेंसर नहीं लगाया गया तो आने वाले समय में युवाओं की भटकी पीढी का निर्माण करेंगे। नकारात्मक विषय हमारी पीढ़ी में घर कर जाएगी, जिसे सम्हालना नामुमकिन है।

सचेत रहें अभिभावक

आसानी से उपलब्ध एडल्ट विषय वस्तु आप के बच्चे को कहीं प्रभावित तो नहीं कर रहा, यह ध्यान रखना आवश्यक है। अपने बच्चों का हर समय ख्याल रखें। आप का बच्चा क्या देख रहा है और क्या सुन रहा है, जो वो देख रहा है उसपर उसका क्या प्रभाव पड़ने वाला है। इस समय अनिवार्य रूप में यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)


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