ब्रज भूमि का खास उत्सव – फुलैरा दूज

Share:

इस वर्ष फुलैरा दूज १४ मार्च २0२१ को शाम पांच बजकर छह मिनट से प्रारंभ होकर १५ मार्च २0२१ को शाम छह बजकर उनचास मिनट पर खत्म हो रहा है। फुलैरा दूज फाल्गुन माह के द्वितिया तिथि को मनाया जाता है। फुलैरा दूज से ही होली की तैयारियां शुरू हो जाती हैं।
उत्तर प्रदेश के गांवों में जिस स्थान पर होली जलायी जाती है वहां पर प्रतिकात्मक रूप से उपले या लकड़ी रखी जाती है। फुलैरा दूज से ही होली में जलाने के लिए गोबर की गुलरियां बनानी शुरू होती है ।
फुलैरा दूज को अबूझ मुहूर्त भी मानते हैं। इस दिन कोई भी मांगलिक कार्य कर सकते हैं। मांगलिक कार्यो के लिए शुभ इस दिन किसी भी मुहूर्त में विवाह हो सकता है। फुलैरा दूज के दिन उत्तर भारत में श्री कृष्ण और राधा का फूलों से श्रंगार करके पूजन किया जाता है। इस दिन से प्रतिदिन लोग शाम के समय अपने घरों में गुलाल और आटे से रंगोली बनाते हैं।
ब्रज भूमि का खास उत्सव फुलैरा दूज मथुरा, वृंदावन और ब्रज में खास तरीके से ही मनाया जाता है। फुलैरा दूज पर इन स्थानों के मंदिरों को फूुलों से सजाया जाता है। मंदिरों में श्री कृष्ण के होली के भजन गाए जाते हैं। फूलों की होली भी खेली जाती है। कुल मिलाकर यहां का वातावारण फूलों और गुलाल से तरबतर हो जाता है। इसीलिए फुलैरा दूज को होली के आगमन का प्रतीक माना जाता है।


Share:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *