विश्व भोजपुरी सम्मेलन, वाराणसी

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डाॅ अजय ओझा

वाराणसी । जीवनदीप शिक्षण समूह परिसर, बड़ालालपुर में 21 फरवरी मातृभाषा दिवस के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय विश्व भोजपुरी सम्मेलन का सफल समापन हुआ। सम्मेलन में देश-विदेश से प्रख्यात भोजपुरी हस्तियों, साहित्यकारों, कलाकारों, पत्रकारों, शिक्षाविदों, भोजपुरी शोधछात्रों का समागम हुआ. देश के कोने कोने से पधारे भोजपुरीभाषियों ने समारोह में जमकर आनंद उठाया. हालांकि कोरोना महामारी की वजह से अंतराष्ट्रीय उड़ान पर 31 मार्च तक रोक लगा रहने के कारण अनेक अंतराष्ट्रीय प्रतिभागी समारोह में शिरकत नहीं कर सके। लेकिन उन्होंने वहीं से सम्मेलन की सफलता के लिए बधाई संदेश भेजा और वर्चुअल मीटिंग के माध्यम से समारोह में शामिल भी हुए।

समारोह की अध्यक्षता डॉ टी एन सिंह, कुलपति – काशी विद्यापीठ ने किया.मुख्य अतिथि के रुप में भारत में फिजी के राजदूत श्री नीलेश रोहिल कुमार, अति विशिष्ट अतिथि के रुप में बीएचयू के विधि अधिकारी डॉ अभय कुमार पाण्डेय तथा बिहार के पूर्व डीजीपी श्री गुप्तेश्वर पाण्डेय को आमंत्रित किया गया था। दीप प्रज्जवलन के पश्चात आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्व भोजपुरी सम्मेलन के महासचिव डॉ अशोक कुमार सिंह ने सम्मेलन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भोजपुरी भारत की सबसे लोकभाषा है जो भारत समेत दुनिया के लगभग 16 देशों में बोली जाती है। पुरी दुनिया में भोजपुरीभाषियों की संख्या लगभग बीस करोड़ है तथा मॉरीशस और नेपाल में इसे संवैधानिक मान्यता प्राप्त है। लेकिन भारत में इसे अभी तक संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है, जो हम भोजपुरीभाषियों का अपमान है. उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से भारत सरकार और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का आग्रह किया जायेगा।
डॉ अशोक कुमार सिंह ने कहा कि झारखंड भारत का पहला राज्य है जिसने भोजपुरी को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि भोजपुरी को झारखंड में द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्रदान करने में किये गये योगदान के लिये भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास, झारखंड के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्री सी पी सिंह, पूर्व मंत्री श्री सरयू राय, इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री के एन त्रिपाठी तथा धनबाद के भाजपा विधायक श्री राज सिन्हा को “विश्व भोजपुरी सम्मान” से सम्मानित किया जायेगा ।

समारोह में सम्मान ग्रहण करने के लिए इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष के एन त्रिपाठी तथा धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा उपस्थित रहे जबकि श्री रघुवर दास, श्री सी पी सिंह तथा श्री सरयू राय ने दूरभाष से सम्मान ग्रहण करने की स्वीकृति प्रदान की। उन्हें कुछ दिनों बाद राँची में एक समारोह आयोजित कर विश्व भोजपुरी सम्मान प्रदान किया जायेगा।

सम्मेलन के प्रथम सत्र में “मातृभाषा दिवस और उसका महत्व” पर आयोजित परिचर्चा में मुख्य अतिथि फिजी के उपराजदूत श्री नीलेश रोहिल कुमार ने कहा हमारे पूर्वज भारत के पूर्वाचंल इलाके से अंग्रेजों द्वारा गिरमिटिया मजदूर के रुप में फिजी ले जाये गये थे. दूर देश और तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हमने अपनी भाषा और संस्कृति को जिंदा रखा है। उन्होंने कहा कि फिजी में बोले जाने वाली भाषा को ‘फिजियन हिन्दी’ कहा जाता है।

समारोह के अध्यक्ष काशी विद्यापीठ के कुलपति डॉ टी एन सिंह ने कहा कि काशी विद्यापीठ में अतिशीघ्र भोजपुरी विभाग तथा शोध केन्द्र खोला जायेगा। बिहार के पूर्व डीजीपी श्री गुप्तेश्वर पाण्डेय ने कहा कि भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत पहली से पाँचवी कक्षा तक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा और स्थानीय भाषा को बनाने का जो निर्णय किया है उससे भोजपुरी को निश्चित रूप से लाभ होगा. समारोह में अति विशिष्ट अतिथि के रुप में पधारे बीएचयू के विधि अधिकारी डॉ अभय कुमार पाण्डेय ने कहा कि भोजपुरी को अतिशीघ्र मान्यता दिये जाने की जरुरत है. डॉ पाण्डेय ने कहा कि उन्होंने एलएलएम के दो विषयों की परीक्षा भोजपुरी भाषा में दिया था। उन्होंने कहा कि भोजपुरी को न्यायालय में भी मान्यता देना चाहिए ताकि आम जनता को उनकी भाषा में न्याय दिया जा सके।

सम्मेलन में देश के अनेक प्रख्यात साहित्यकार, कलाकार और पत्रकार भी पंहुचे थे. अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री डॉ गुरुचरण सिंह, डॉ जयकांत सिंह, डॉ जंगबहादुर पाण्डेय, डॉ जनार्दन सिंह अमन, डॉ अरुणेश्वर झा, प्रणव पाण्डेय सहित अनेक सुप्रसिद्ध साहित्यकार सम्मेलन में उपस्थित रहे। दर्जनों कलाकारों में सुप्रसिद्ध लोकगायिका डॉ नीतू कुमारी नूतन, प्रतिभा सिंह, अरुण मिश्रा, ज्योति सिंह राजपूत आदि की विशेष उपस्थिति रही। देश के अनेक प्रख्यात पत्रकार भी सम्मेलन में पंहुचे थे। पटना के वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी, बंगलोर से अशोक अकेला, फारुखी तंजीम के इकबाल इमाम, सोनभद्र से संजय द्विवेदी,नई दिल्ली से राकेश सिंह, नेपाल से शिवनंदन जायसवाल, सोनभद्र से शहरयार खान, आरा से नरेन्द्र सिंह तथा बक्सर से श्रीमती प्रतिमा भारद्वाज आदि विशेष रुप से समारोह में पधारे थे। समारोह में अनेक प्रतिभागियों को भोजपुरी भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए सम्मानित किया गया। झारखंड के भोजपुरी फाउण्डेशन के संयोजक लाखन सिंह भोजपुरी सम्राट, बिहार संयोजक रमेश सिंह, बिहार भाजपा महिला मोर्चा की प्रवक्ता श्रीमती पूनम सिंह, भारतीय जनतॎ़ांत्रिक मोर्चा,झारखंड के केन्द्रीय अध्यक्ष धर्मेन्द्र तिवारी, स्यंदन सुमन, करणी सेना, बिहार के अध्यक्ष श्री सुनील सिंह, लोकनायक जयप्रकाश नारायण अध्ययन संस्थान के महासचिव श्री अभय सिन्हा आदि को विशेष रुप से सम्मानित किया गया । कुल मिलाकर विश्व भोजपुरी सम्मेलन बहुत सफल रहा…


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