कोरोना वायरस से निपटने के लिए भारत-अमेरिका के बीच वर्चुअल नेटवर्क बनाने की पहल

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नई दिल्ली, 13 अप्रैल (हि.स.)।

भारत-अमेरिका ने कोविड-19 (कोरोना वायरस) महामारी की चुनौतियों से निपटने के लिए एक ऐसा वर्चुअल नेटवर्क बनाने का प्रस्ताव आमंत्रित किया है, जिसके जरिए दोनों देशों के वैज्ञानिक और इंजीनियर अपने देशों में उपलब्ध बुनियादी ढांचे और वित्तपोषण सुविधा की मदद से कोविड-19 से संबधित अनुसंधान के लिए मिलकर काम कर सकें।

भारत-अमेरिका विज्ञान और प्रौद्योगिकी फोरम (आईयूएसएसटीएफ) ने  दोनों देशों के वैज्ञैनिक और इंजिनियरों से यह प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। इच्छुक व्यक्ति 15 मई तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

फोरम के इस विचार के तहत दोनों देशों के वैज्ञानिक और इंजीनियर अपने देशों में उपलब्ध बुनियादी ढांचे और वित्तपोषण सुविधा की मदद से कोविड-19 से संबधित अनुसंधान के लिए मिलकर काम कर सकेंगे। ये प्रस्ताव ऐसे होने चाहिए जो कोविड-19 से संबंधित महत्वपूर्ण चुनौतियों से निबटने के लिए किए जाने वाले अनुसंधान कार्यों में भारत-अमेरिका के बीच साझेदारी के लाभों और मूल्यों को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित कर सकें।

कोविड-19 जैसी वैश्विक चुनौतियां ऐसे वैश्विक सहयोग और साझेदारी की मांग करती हैं, जिनमें सबसे अच्छे और प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और उद्यमियों को एकसाथ लाया जा सके ताकि न केवल मौजूदा महामारी के संकट का समाधान तलाशा जा सके बल्कि भविष्य में आने वाली चुनौतियों से भी निबटने के तरीके खोजे जा सकें। आईयूएसएसटीएफ अपने मूल उद्देश्यों के तहत दोनों देशों के बीच सहयोग की इस पहल को बढ़ावा दे रहा है।

मार्च 2000 में भारत और अमेरिका के बीच एक समझौते के तहत स्थापित आईयूएसएसटीएफ  दोनों देशों की सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से वित्त पोषित एक स्वायत्त द्विपक्षीय संगठन है, जो सरकारों, शिक्षाविदों और उद्योंगों के बीच गहन संपर्क के माध्यम से विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और नवाचार को बढ़ावा देता है। भारत का विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा अमेरिका का विदेश विभाग इसकी नोडल एजेंसियां हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा का कहना है कि कोविड-19के प्रकोप के समय में विज्ञान, वैश्विक स्तर पर प्रभावी संचार, आवश्यक-मान्यताओं, सहयोग, गति परिवर्तन और तकनीकी पहलुओं, पारदर्शिता, जवाबदेही, सामाजिक लाभतथा समस्या को हल करने के लिए एक सामान्य उत्साह जैसे तत्वों को सामने ला रहा है।  इससे जो प्रभावी समाधान निकल कर आएंगे वे पूरे विश्व के लिए लाभप्रद हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि आईयूएसएसटीएफ के पास मजबूत सहयोग के माध्यम से प्रासंगिक तकनीकों को विकसित करने का लंबा इतिहास रहा है और इस नजरिए से यह एक अच्छा मंच है।

ऐसे समय में जब सारी दुनिया कोविड-19 जैसी महामारी से जूझ रही है, यह जरूरी है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी समुदाय एकसाथ मिलकर काम करे और इस वैश्विक चुनौती से निपटने के लिए संसाधनों को साझा करे। विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी नए टीकों, नए तरह के उपकरणों, नैदानिक उपकरणों और सूचना प्रणालियों के विकास के माध्यम से समाधान खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसके साथ ही वे इस महामारी से निपटने के लिए राष्ट्रों और समुदायों को अपने संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करने में भी मदद कर सकते हैं।राष्ट्रों और संगठनों के बीच परस्पर सहयोग से विज्ञान और प्रौद्योगिकी समुदाय एक दूसरे की विशेषज्ञता का लाभ उठा सकते हैं और विविध रूप से विश्व स्तर पर विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी-आधारित एक ऐसा कार्यबल विकसित करने में मदद कर सकते हैं जो कोविड-19 जैसी महामारी के समाधान के लिए अनवरत काम कर सकता है।


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