विज्ञान भी अध्यात्म पर निर्भर है-डां योगेश्वरी

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प्रयागराज। आचार्य पीठाधीश्वर श्री श्री मां बागेश्वरी शक्ति पीठ महामंडलेश्वर डॉक्टर योगेश्वरी मां ने आज संवाददाताओं से हुई अपनी विशेष बातचीत में बताया आध्यात्म, योग एवं पर्यावरण एक दूसरे के पूरक हैं, तो यदि इनमें से किसी का भी संतुलन बिगड़ा तो कई तरह के विकार जन्म लेंगे। आध्यात्म योग और पर्यावरण से यदि मानव जगत ने आज दूरी बना ली है, और भौतिक साधनों में लिप्त हो चुका है तो आने वाले किसी भी प्राकृतिक विध्वंस को टालना असंभव है। योग और अध्यात्म में ‘ओम’ के महत्व को समझाते हुए डॉ योगेश्वरी मां ने कहा कि ओम पूरी सृष्टि का प्राणाधार है, ओम् ही सृजन की शक्ति है । आज हर युवा और पूरा जनमानस अवसाद की स्थिति में घिर चुका है, पूरे मानव समाज में वैचारिक मतभेद बढ़ते ही जा रहे हैं। इस जगत को एक नई दिशा देने में योग और अध्यात्म और एक सकारात्मक भूमिका सदैव से निभाता आ रहा है और आगे भी निभाएगा। यदि हम सिर्फ अपनी नियमित दिनचर्या में 5 मिनट “ओम् ब्रह्म नाद” का उच्चारण कर ले तो अनेकों अवसाद से मुक्त हो सकते हैं। आज कोरोनावायरस की इस महामारी ने पूरे मानव समाज को यह संदेश दे दिया कि हमें पुनः ग्रामीण जीवन और प्रकृति की सानिध्य में जाना चाहिए, आज हम प्रकृति से और अपने जड़ अपने मूल से दूर होने की वजह से ही कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहे हैं । मां योर्गेश्वरी ने कहा इस बार श्रावण माह में केवल पांच सोमवार ही नहीं पड़ेंगे बल्कि यह माह कई तरह के शुभ योग भी लेकर आया है और यह योग कई वर्षों के बाद बन रहे हैं, जिसमें 11 सर्वार्थ सिद्धि योग, 10 सिद्धि योग, 12 अमृत योग और तीन अमृत सिद्धि योग बन रहा है जो एक विचित्र ही नहीं सुखद संयोग भी है । क्योंकि विज्ञान भी आध्यात्म पर ही निर्भर है तो प्रकृति के द्वारा कई रोगों का निदान संभव है। आज कोरोनावायरस छत्तीसगढ़ झारखंड जैसे प्रांतों में यदि कम प्रभाव दिखा पाया तो इसकी वजह सिर्फ यही है कि वहां के लोग प्रकृति के सानिध्य में जीवन जी रहे हैं। यदि हम लग्जरी लाइफ यानी विलासिता पूर्ण जीवन को त्याग प्राकृतिक औषधियों और प्रकृति को अपने जीवन का अंग बना ले तो कभी भी किसी सर्जरी की आवश्यकता नहीं होगी।


रेनू राज सिंह


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