उत्तर प्रदेश के बंटवारे की मांग फिर होगी तेज

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प्रयागराज ब्यूरो।
उत्तर प्रदेश को 3-4 भागों में बांटने के लिए नए सिरे से आंदोलन चलाने की योजना बनाई जा रही है। बताई जा रही है कि, इसकी शुरुआत पश्चिमी यूपी से होगी। सुचना के अनुसार, इसके लिए जिस बैनर के तले आंदोलन चलाया जाएगा उसमें सभी धर्मों और प्रमुख जातियों से जुड़े लोगों को जगह दी जाएगी। उन वकीलों को जोड़ने की योजना है जो मेरठ में हाईकोर्ट की बेंच बनाने की मांग उठाते रहे हैं। यूपी की आबादी करीब 22 करोड़ है। इसके एक छोर से दूसरे छोर के बीच की दूरी करीब 11 सौ किलोमीटर कि है। ऐसे में विकास योजनाओं को गति देने और आम जनता की सहूलियत के लिए इसे बांटने की वकालत की जा रही है। बीते मानसून सत्र में इस विषय को लोकसभा में भी उठाया जा चुका है।

यूपी का एक बंटवारा 9 नवंबर 2000 को किया जा चुका है। जिसके बाद भारत के मानचित्र पर उत्तराखंड नाम से एक नए सूबे का उदय हुआ था। इसके बावजूद यूपी अभी इतना बड़ा है कि इसे कम से कम 3 राज्यों- हरित प्रदेश, बुंदेलखंड और पूर्वांचल के रूप में बांटने की समय-समय पर आवाज उठती रहती है। अब किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह इसके लिए फिर से रायशुमारी कर रहे हैं।

बीएसपी प्रमुख और यूपी की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने 2012 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 21 नवंबर 2011 को विधानसभा में बिना चर्चा यह प्रस्ताव पारित करवा दिया था कि यूपी का 4 राज्यों- अवध प्रदेश, बुंदेलखंड, पूर्वांचल और पश्चिम प्रदेश में बंटवारा होना चाहिए। मायावती सरकार ने यह प्रस्ताव केंद्र यानि उस समय की यूपीए सरकार को भेज दिया था। जिसे 19 दिसंबर 2011 को यूपीए सरकार में गृह सचिव रहे आर के सिंह ने कई स्पष्टीकरण मांगते हुए राज्य सरकार को वापस भिजवा दिया था। इससे पहले वो 15 मार्च 2008 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक पत्र लिखकर यूपी को चार हिस्सों में बांटने की मांग उठा चुकी थीं. हालांकि, प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था।


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