सामूहिक संस्मरण की अनोखी कृति ‘ यह वह प्रदेश तो नहीं’ और काव्य संकलन दस्तक का प्रेस क्लब, रांची में होगा लोकार्पण

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डॉ अजय ओझा।

प्रेस क्लब रांची में होगा बुद्धिजीवियों का जमावड़ा ।

रांची, 11 मार्च। रांची विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के एलुमनी द्वारा लिखी एक विशेष पुस्तक का विमोचन कल 12 मार्च को रांची के प्रेस क्लब में होने जा रहा है। रांची विश्वविद्यालय के कुलपति कामिनी कुमार के मुख्य आतिथ्य में संपन्न होने वाले इस आयोजन में रांची यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो कामिनी कुमार, प्रभात खबर के सम्पादक संजय मिश्र, प्रसिद्द आलोचक रवि भूषण, लेखक रणेंद्र , कमल बोस सहित अन्य रचनाकार पुस्तक पर अपने विचार प्रकट करेंगे. पुस्तक का नाम है-“यह, वह प्रदेश तो नहीं।”

इसे कुल १२ रचनाकारों ने मिलकर लिखा है, जिनमे रांची विश्वविद्यालय के 12 हिंदी एलुमनी शामिल है। सम्पादक और प्रसिद्ध लेखक देवेंद्र चौबे और कवि नूपुर अशोक सहित अन्य लेखक हैं-संजय करुणेश, मेहरुन्निसा अब्दाली, अशोक कुमार, दिनेश्वर प्रसाद स्वर्णकार, अवधेश कुमार सिंह, आनंद कुमार सिंह, नीलरतन खेतान, हीरानंदन प्रसाद और नीहारिका सिन्हा।

कोरोना काल में लिखी गई यह सामूहिक संस्मरणों की अनोखी पुस्तक है। यह पुस्तक के.एल. पचौरी प्रकाशन, गाजियाबाद से प्रकाशित है। यह औपन्यासिक शिल्प की ऐसी कृति है जिसे देश के विभिन्न हिस्सों में बसे रचनाकारों ने आज से तीन दशक पहले बिताये अपने विद्यार्थी जीवन को याद करते हुए रांची और विश्वविद्यालय को याद किया है।

पुस्तक के बारे में किताब के संपादक देवेंद्र चौबे और नूपुर अशोक ने बताया कि यह इसलिए महत्वपूर्ण है कि दूर देश में बसे रचनाकारों ने एक दूसरे के संस्मरण को आधार बनाकर अगली कड़ी का विस्तार किया है. इसमें रांची नगर सहित, विश्विद्यालय और हिंदी विभाग, वहां की अध्ययन पद्धत्ति, छात्रावास, मेस आदि को उकेरा गया है। कार्यक्रम के संयोजक संजय करुणेश और नूपुर अशोक हैं।


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