धरने पर बैठे राजा भइया के पिता उदय प्रताप सिंह,मस्जिदनुमा गेट हटाने की मांग

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जतिन कुमार चतुर्वेदी।

प्रतापगढ़। उत्तर प्रदेश के बड़के जिले प्रतापगढ़ के कुंडा विधायक व जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के मुखिया रघुराज प्रताप सिंह राजा भ‌इया के पिता राजा भदरी उदय प्रताप सिंह का बेबाक अंदाज उनको सुर्खियों में बनाए रखता है।इस बार उदय प्रताप सिंह कुंडा क्षेत्र के शेखपुर आशिक गांव में समुदाय विशेष के द्वारा मस्जिदनुमा गेट बनवाए जाने के विरोध में बुधवार को कुंडा तहसील में धरने पर बैठ गए।इससे पहले उदय प्रताप सिंह ने ट्वीट करके विरोध जताया था।

उदय प्रताप सिंह ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि शेखपुर आशिक में मोहर्रम के दौरान 10-15 दिन तक मस्जिद का एक ढांचा खड़ा कर दिया जाता है।इसमें उनकी भाषा में पता नहीं क्या-क्या लिखा होता है।यह सब हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए किया जाता है।इसकी मैं एफआईआर करा सकता हूं,लेकिन पुलिस एक्शन नहीं लेती है।

उदय प्रताप सिंह ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि धार्मिक भावनाओं को भड़काने की शिकायत कर सकता हूं, लेकिन पूरा जिला प्रशासन हिंदुओं के पक्ष में एक्शन लेता नहीं है।इसलिए धरने पर बैठना पड़ा।उन्होंने कहा कि मैंने ट्विटर पर भी बताया था,लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ।इस मस्जिदनुमा गेट के नीचे से हम क्यों जाएं।इसको हटाया जाए तो हम हटेंगे।

इससे पहले उदय प्रताप सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा था कि कुंडा प्रतापगढ़ स्थित शेखपुर गांव में मुसलमानों ने सड़क के आर-पार मस्जिद का गेट बना दिया है।जिस पर उनकी भाषा में कई चीजे लिखी हैं और यह हिंदुओ को बाध्य कर रहे है। उसके नीचे से जाए।हमारा सुझाव है कि सभी हिंदू मुख्यमंत्री से शिकायत करें कि गेट को तत्काल हटवाया जाए।

मिली जानकारी के‌ अनुसार तीन दिन पहले एएसपी पश्चिमी रोहित मिश्रा शेखपुर आए थे और उन्होंने ताजियादारों से बात करके कोई नई परंपरा नहीं खोलने की बात कही थी। इसके बाद भी शेखपुर आशिक में मदरियापुर रोड पर नया गेट बना दिया गया। क्षेत्रीय लोगों में चर्चा है कि मोहर्रम के त्योहार पर यह नई परंपरा खोली गई है। इसके पूर्व जो भी गेट मोहर्रम के बनाए जाते रहे उनमें दोनों तरफ बल्ली लगाकर उस पर चांदनी लपेटी जाती थी।इस तरह का गेट नहीं बनाया जाता था।कुंडा कोतवाल प्रदीप कुमार का कहना है कि कोरोना काल में कोई गेट नहीं बना था।उसके पूर्व गेट बनाया जाता था।उसी परंपरा के तहत गेट बनाया गया है।

आपको बता दें कि ये पहला मौका नहीं है जब मुहर्रम से पहले उदय प्रताप सिंह ने विरोध का बिगुल बजाया है।हर साल मोहर्रम का त्योहार शांति पूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए जिला प्रशासन कमर कसता है,लेकिन उसी दिन उदय प्रताप सिंह शेखपुर आशिक गांव में मंदिर पर बंदर की तेरहवीं और भंडारे का आयोजन करते हैं।इसका विरोध मुस्लिम समुदाय के लोग करते हैं,क्योंकि उनको ताजिया ले जाने में दिक्कत होती है।शेखपुर में करीब आठ साल से मोहर्रम के दिन हनुमान मंदिर पर भंडारे को लेकर प्रशासन चौकन्ना रहता है।हनुमान मंदिर के साथ शेखपुर चौराहे समेत आसपास के इलाके में पुलिस का कड़ा पहरा रहता है।ये भंडारा उदय प्रताप सिंह के नेतृत्व में आखिरी बार 2016 में कराया गया था।मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा चुका है।हाईकोर्ट में मामला पहुंचने के बाद हर साल मुहर्रम के दिन जिला प्रशासन उदय प्रताप सिंह और उनके करीबियों को नजरबंद कर देता है,लेकिन इस बार मुहर्रम से कुछ दिन पहले ही राजा भदरी उदय प्रताप सिंह धरने पर बैठ गए हैं।

जाने उदय प्रताप सिंह के जीवन की कुछ मुख्य बाते

प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय से 65 किलो मीटर दूर भदरी रियासत है।इस रियासत के राजा उदय प्रताप सिंह है।उदय प्रताप सिंह अपने कई निर्णय और कामों को लेकर हमेशा ही सुर्खियों में बने रहते हैं।2003 में उदय प्रताप सिंह के बेटे कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह राजा भइया पर बहुजन समाज पार्टी की सरकार में कई मुकदमे और पोटा तक कार्रवाई हुई थी।इसकी आंच राजा भइया के पिता उदय प्रताप सिंह तक भी पहुंची।उदय प्रताप सिंह पर बसपा सरकार में कई मुकदमे दर्ज हुए थे और कई महीनों तक जेल में भी रहना पड़ा था।हालांकि उदय प्रताप सिंह पर की गई इस कार्रवाई को राजनीतिक रूप से प्रेरित कार्रवाई बताया गया। 2007 में बसपा की सरकार जाने के बाद उदय प्रताप सिंह पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ।

साल 2014 में उदय प्रताप सिंह उस समय फिर सुर्खियों में आए जब मुहर्रम और हनुमान मंदिर में भंडारे को लेकर मामला गरम हो गया था।कुंडा के शेखपुर गांव में ही मुहर्रम और हनुमान मंदिर पर एक साथ भंडारा को लेकर मामला बहुत गम हो गया था। 2015 में मुस्लिम समुदाय के लोगो ने मुहर्रम के दिन ताजिया नही उठाई और जमकर विरोध किया। प्रशासन ने 2016 में सुरक्षा के मद्देनजर हनुमान मंदिर पर भंडारे की इजाजत नहीं दी तो तब उदय प्रताप सिंह और प्रशासन के बीच रार ठन गई थी।इसके बाद 2016 से 2018 तक प्रशासन ने उदय प्रताप और उनके समर्थकों को नजर बंद तक कर दिया था।

2013 में कुंडा के शेखपुर गांव में मुहर्रम के दिन एक बंदर की मौत हो गई।इसके बाद शेखपुर गांव के हनुमान मंदिर पर उदय प्रताप और उनके समर्थक रामचरित मानस का पाठ और भंडारा करने लगे।मंदिर सड़क के किनारे है और मुहर्रम के दिन उसी रास्ते से मुहर्रम का जुलूस निकलता है।इससे दूसरे समुदाय के लोगों को आपत्ति थी।इसके बाद विवाद बढ़ता चला गया।दो समुदायों के बीच के बीच बढ़ते हुए विवाद को देखते हुए प्रशासन ने 2016 से मुहर्रम के दिन भंडारा करने की अनुमति देना बंद कर दिया था।इसको लेकर उदय प्रताप सिंह और प्रशासन में हमेशा 36 का आंकड़ा रहता है। उदय प्रताप सिंह मुहर्रम के दिन भंडारा करने की जिद पर अड़े रहते हैं।इस वजह से मुहर्रम नजदीक आते ही उदय प्रताप सिंह फिर चर्चा में आ जाते हैं।

उदय प्रताप सिंह हाल ही में नूपुर शर्मा के बयान का खुलकर समर्थन किया और फिर सुर्खियां बटोरी।कुछ महीने पहले नूपुर शर्मा के एक बयान के बाद देशभर में एक समुदाय ने नूपुर शर्मा का विरोध कर रहा था।अपने बयान को लेकर नूपुर शर्मा चारों तरफ से घिर गई थी। तब भी राजा उदय प्रताप सिंह ने ट्वीट करके नूपुर शर्मा का समर्थन कर क्षेत्र का माहौल गर्म कर दिया था।उदय प्रताप सिंह ने नूपुर शर्मा का समर्थन कर अपने हिंदूवादी छवि को फिर से साफ कर दिया था।


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