भारत के बारह ज्योर्तिलिंग

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जयति भट्टाचार्य।
कहा जाता है कि 64 ज्योर्तिलिंग हैं परंतु इसमें से 12 ज्योर्तिलिंगों का विशेष महत्व है। आईए इनके विषय में जानने की कोशिश करते हैं।

गुजरात का सोमनाथ मंदिर

वेरावल में स्थित सोमनाथ मंदिर समस्त विश्व में सबसे प्रसिद्ध और पूजनीय है क्योंकि कहा जाता है कि 12 ज्योर्तिलिंगों में यह पहला है। इस मंदिर के साथ कई किंवदंती और कथाएं जुड़ी हुई हैं। एक कथा है चन्द्र देव यानि सोमदेव की। शाप के कारण एक बार चन्द्र देव अपनी चमक एवं आभा खो बैठे थे। यहां स्नान करने के पश्चात उनकी आभा लौट आई और तब से इसे सोमनाथ कहा जाने लगा।

आन्ध्र प्रदेश के श्रीसैलम में मल्लिकार्जुना

आन्ध्र प्रदेश के श्रीसैलम में स्थित श्री भ्रमारंभा मल्लिकार्जुना मंदिर में दूसरा ज्योर्तिलिंग है। ज्योर्तिलिंग का नाम मल्लिकार्जुना स्वामी के नाम पर है। कथा है कि एक बार शिव और पार्वती अपने बड़े बेटे से मिलने आए थे। उनके बड़े बेटे बहुत गुस्से में थे क्योंकि उनके छोटे भाई गणेश की शादी उनसे पहले होने जा रही थी। विशाल किले जैसे इस मंदिर में मुख्य देवी देवता है मल्लिकार्जुना स्वामी एवं भ्रमारंभा देवी।

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मध्य प्रदेश का महाकालेश्वर मंदिर

मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और मान्यता के अनुसार तीसरा ज्योर्तिलिंग है। रूद्र सागर लेक के तट पर स्थित यहां के लिंग को स्वंयभू कहते हैं। इसे शक्ति भीतर से मिलती है। सप्ताह के सातों दिन यहां बहुत भीड़ रहती है।

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मध्य प्रदेश का ओमकारेश्वर मंदिर

मध्य प्रदेश का ओमकारेश्वर मंदिर भारत के शिव मंदिरों में अपनी एक पहचान छोड़ता है। यहां का ज्योर्तिलिंग चैथे नंबर पर है। यह नर्मदा नदी पर मान्धाता या शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है। यहां का शिव लिंग ओम की शक्ल में है। इस स्थान पर दो मुख्य शिव मंदिर हैं ओमकारेश्वर एवं अमरेश्वर।

तमिलनाडू का रामेश्वरम ज्योर्तिलिंग

12 ज्योर्तिलिंग में से यह सुदूर दक्षिण में रामेश्वरम द्वीप, तमिल नाडू पर स्थित है। अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध रामेश्वरम ज्योर्तिलिंग को श्री राम के लंका विजय के साथ भी जोड़कर देखा जाता है। कथाओं के अनुसार लंका जाते समय श्री राम रामेश्वरम में रूके थे। वह समुद्र तट पर पानी पी रहे थे। इतने में आवाज आई तुम मेरी पूजा किए बिना पानी पी रहे हो। इतना सुनते ही श्री राम ने बालू से एक शिव लिंग बनाया, उसकी पूजा की और रावण को हराने के लिए आर्शीवाद लिया। भगवान शिव ने उन्हें आर्शीवाद दिया और ज्योर्तिलिंग में परिवर्तित हो गए जिसे अब रामेश्वरम ज्योर्तिलिंग के नाम से जाना जाता है।

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रूद्रप्रयाग का केदारनाथ

उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग में केदारनाथ ज्योर्तिलिंग मंदिर है। इसे बेहद पवित्र और मुख्य शिव मंदिरों में से एक माना जाता है। यहा की यात्रा कुछ मुश्किल अवश्य है पर सम्पूर्ण भारत से लोग केदारनाथ के दर्शन के लिए आते हैं। यह चार धाम यात्रा का एक मुख्य स्थान है। ठंड के कारण यह साल में छः महीने बंद रहती है।

महाराष्ट्र में भीमाशंकर

यह सहयाद्री पर्वत माला पर महाराष्ट्र में पुणे से लगभग सौ किलोमीटर दूर स्थित है। भव्य स्थान पर स्थित यह मंदिर लंबी पैदल यात्रा करने वालों के लिए स्वर्ग है। यही वह स्थान है जहां से कृष्णा नदी की सहायक नदी निकलती है इसे भीमा नदी कहते हैं। यहा चारों तरफ बुद्धा शैली में अम्बा अम्बिका की खुदाई है।

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में विश्वनाथ

12 ज्योर्तिलिंगों में से एक है उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित विश्वनाथ मंदिर। इसे सबसे पवित्र माना जाता है। विश्वेश्वरा यानि ब्रह्यांड का शासक, इस मंदिर का उल्लेख पुराने हिंदू ग्रंथों में मिलता है। यहां पूरी दुनिया से लोग महादेव के दर्शन के लिए आते हैं।

महाराष्ट्र के नासिक में त्रिम्बकेश्वर

गोदावरी नदी के तट पर स्थित, नासिक में त्रिम्बकेश्वर भगवान शिव को समर्पित एक पुराना हिंदू मंदिर है। नासिक उन चार शहरों में से  एक  शहर है जहां हर 12 वर्ष पर कुम्भ लगता है। यहां मंदिर के भीतर एक पवित्र कुंड है जिसमें पानी का स्रोत गोदावरी नदी है।

औरंगाबाद का घृष्णेश्वर ज्योर्तिलिंग

महाराष्ट्र में औरंगाबाद के निकट दौलताबाद से 20 किमी दूर घृष्णेश्वर मंदिर स्थित है। अजन्ता और एलोरा गुफाओं के पास होने की वजह से यह बहुत लोकप्रिय है। मान्यता है कि कभी यहां कुसुम नाम की एक धार्मिक महिला रहा करती थी। वह भगवान शिव की भक्त थी। वह रोज की प्रार्थना के रूप में एक तालाब में शिव लिंग विसर्जित करती थी। उसके पति की दूसरी बीवी उसकी भक्ति और समाज में प्रतिष्ठा से जलने लगी। गुस्से में आकर उसने कुसुम के बेटे को मार डाला। कुसुम का दिल टूट गया और वह दुखी रहने लगी परंतु उसने भगवान शिव की भक्ति नहीं छोड़ी। कहा जाता है कि तालाब में कुसुम द्वारा लिंग विसर्जित करने के बाद ही आश्चर्यजनक रूप से उसका पुत्र जीवित हो उठा। यह भी माना जाता है कि उस समय कुसुम और गांव वालों को भगवान शिव ने दर्शन दिया था। कुसुम के आग्रह पर भगवान शिव हमेशा के लिए वहां घृष्णेश्वर ज्योर्तिलिंग के रूप में रह गए।

झारखंड का वैद्यनाथ

यह ज्योर्तिलिंग मंदिर विवादित है। तीन प्रदेश के लोग दावा करते हैं कि यह मंदिर उनके राज्य में है। इसमें झारखंड के देवघर का वैद्यनाथ मंदिर, हिमाचल प्रदेश का बैजनाथ और महाराष्ट्र का परली वैजनाथ है। इन तीनों स्थानों पर भक्त सावन के महीने में जल चढ़ाने जाते हैं।

गुजरात के द्वारका का नागेश्वरा

गुजरात के द्वारका से लगभग 18 किमी दूर भगवान शिव को समर्पित नागेश्वरा मंदिर है। इस मंदिर का उल्लेख शिव पुराण में भी मिलता है और 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक है। ग्रथों के अनुसार अपने भक्त सुप्रिया को बचाने के लिए एक बार यहां पर भगवान शिव ने नागेश्वर के रूप में दारूका नामक दैत्य और उसकी सेना से युद्ध करके उन्हें हरा दिया था। तब से इसे नागेश्वर मंदिर कहा जाने लगा।


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