उम्मीद जगाता जागृत भारत
किसी भी राष्ट्र के निर्माण में प्रमुख महत्व वहां के लोगों के उत्साह एवं निष्ठा का ही होता है। राष्ट्र के लोग जब आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ अपने किसी लक्ष्य की ओर चल निकलते हैं, उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए समुचित साधनों तकनीकों और व्यवस्थाओं आदि का सर्जन सहज ही करते चले जाते हैं।
21 दिन के लॉक डाउन में भारत वासियों ने यह उम्मीद जगा दी है की दुनिया में जागृत भारत विश्व की परिस्थिति को समझने और इस परिस्थिति में अपनी राष्ट्रीय अस्मिता को प्रतिष्ठा पित करने और आवश्यक उद्यम करने में हमारा कोई विकल्प नहीं है।
दरअसल दुनिया के समृद्ध शक्तिशाली और शिक्षित देशों के मुकाबले भारत के गरीब, कमजोर और अशिक्षित लोगों ने जिस तरह से कोरोना महामारी के खिलाफ जंग लड़ी है, लड़ रहे हैं, आज 21 दिन लॉक डाउन पूरा होगा और आगे लॉक डाउन किस तरह से लागू रहेगा इसको लेकर प्रधानमंत्री 10:00 बजे संबोधित करके बताएंगे। लेकिन बीते दिनों में भारत ने बहुत उम्मीदें जगाई है। अब हम सांस्कृतिक गरिमा के अनुरूप विश्व में अपना श्रेष्ठ स्थान बनाने, अपनी स्वतंत्र दिशा स्थापित करने की दिशा में तेजी से बढ़ सकते हैं। हम किसी का अनुकरण करने की बजाय अनुकरणीय हो सकते हैं, यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय हॉट बाजारों से उठने वाली विभिन्न झंझा के समक्ष ना झुकते हुए जीवन स्तर सुधार सकते हैं।
आज जब विश्व के अधिकांश देश अपनी अपनी स्वतंत्र दिशाओं में चल निकले हैं, तब हम इस तमस में डूबे नहीं रह सकते, हमें अपनी सांस्कृतिक अस्मिता के स्वरूप और आज के विश्व में अपनी परिस्थिति को स्पष्टता से समझ कर अपनी विशिष्ट भारतीय दिशा और अपने विशिष्ट भारतीय लक्ष्य का वरुण करना होगा और उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए पुनः राष्ट्रव्यापी आत्मविश्वास एवं दृढ़ संकल्प जागृत करना होगा।
बहरहाल आज लॉक डाउन के आगे की दिशा तय होगी वैसे उम्मीद यही है कि लॉक डाउन
आगे बढ़ाया जाए कुछ क्षेत्रों में छूट दी जाए कुछ राज्यों ने 30 अप्रैल तक अवधी बड़ा भी दी है, यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि कोरोना संक्रमित मरीज लगातार बढ़ रहे है। वैसे लॉक डाउन और अन्य जागरूकता कार्यक्रमों ने लोगों को कोरोना से बचाव को लेकर सतर्क कर दिया है, लेकिन जरूरी है यह सतर्कता और सावधानी लॉक डाउन में ढील दिए जाने के बावजूद भी जारी रहना चाहिए, अब यह आदत में शामिल रहना चाहिए। क्योंकि लंबा लॉक डाउन, लोगों के लिए परेशानी और बेसब्री का कारण भी बन सकता है।
जिन लोगों के छोटे-मोटे व्यवसाय है लॉक डाउन के कारन आखिरकार कितने दिन तक वह ऐसा कर पाएंगे। प्रदेश के संदर्भ में उन जिलों में लॉक डाउन में छूट दी जा सकती है, जहां पर कोरोना का एक भी संक्रमित मरीज नहीं है। सर्वाधिक हॉटस्पॉट इंदौर, भोपाल और उज्जैन में बने हुए हैं। यहां से उन लोगों को निकालने की कोशिश हो सकती है जो स्वस्थ है और स्वास्थ्य कारणों से अपने गृह जिले जाना चाहते है।
विशेषज्ञों का मानना है की शारीरिक दूरी का पालन सुनिश्चित करते हुए सुरक्षित ढंग से औद्योगिक इकाइयों में भी कामकाज शुरू किया जा सकता है। बाजारों में खान पान की दुकानों के अलावा बिजली सामानों की मरम्मत सहित जरूरी प्रतिष्ठानों को भी अनुमति दी जा सकती है। संक्रमण बढ़ने का सर्वाधिक खतरा सार्वजनिक परिवहन स्कूल कॉलेज और भीड़भाड़ वाले इलाकों बाजार से है इन्हें बंद रखा जाना चाहिए।
कुल मिलाकर अमेरिका जैसे देश जो महाशक्ति तो है ही वहां ना भारत की तरह गरीबी और अशिक्षा है, इसके बावजूद कोरोना वायरस से अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित है क्योंकि वहां संक्रमण काफी तेजी से फैल रहा है यहां तक कहा जा रहा है एक लाख से ज्यादा लोगों की जान भी जा सकती है इसका कारण यही है कि वहां के लोगों ने जिम्मेदारी पूर्ण व्यवहार नहीं किया अधिकांश लोगों ने लॉक डाउन के आदेश पर ध्यान ही नहीं दिया। सोचो किसी समृद्ध समाज में लोग अपनी निजी जिंदगी और अपने नागरिक अधिकारों के साथ इतने मस्त हो जाएं कि उन्हें खतरे की चेतावनी तक पर ध्यान देने की फुर्सत नहीं मिली, तो वहां फिर ऐसे ही स्थिति बनेगी जैसी अमेरिका, इटली, स्पेन, जैसे देशों में बनी।
जबकि इन सब के विपरीत भारत को देखें तो जहां करोड़ों लोगों ने इस चेतावनी को सुना, समझा और विपरीत परिस्थितियों में भी महामारी से जंग लड़ी। लोग हजार किलोमीटर तक पैदल चले और अनेकों लोगों ने एक समय का भोजन किया और घरों में बंद रह के लॉक डाउन का ना केवल पालन किया बल्कि उम्मीद जगाई की यह देश जागृत भारत है और दुनिया को दिशा दे सकते है ।