नर्क का द्वार

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भारत के उत्तराखंड प्रांत में जिस मार्ग से पांडवों ने स्वर्ग के लिए प्रस्थान किया था उसके आखिर में कहते हैं कि स्वर्ग की सीढ़ी प्रारंभ होती है और उसके बाद स्वर्ग का द्वार। परंतु यहां बात स्वर्ग के द्वार की नही नर्क के द्वार की हो रही है। तुर्की के प्राचीन शहर हेरापोलिस में एक प्राचीन मंदिर है जिसके द्वार को नर्क का द्वार कहते हैं क्युकि वहां जाने वाले इंसान की लाश भी नहीं मिलती। केवल इंसान ही नहीं पशु, पक्षी, कीड़े, मकौड़े कोई भी उस हवा में सांस लेकर जी नहीं सकता। लोगों की मान्यता है कि मंदिर के संपर्क में आते ही प्रणीयों की मौत युनानी देवताओं के जहरीले सांस के कारण होती है। ग्रीक रोमन काल में कानून था कि जो इंसान उस मंदिर के निकट जाता उसका सर कलम कर दिया जाता था। अब वैज्ञानिकों ने मौत के इस रहस्य को सुलझा लिया है। मंदिर के नीचे से कार्बन डाई ऑक्साइड रिसकर लगातार बाहर आ रही है। इसके गैस के संपर्क में जो भी प्राणी आता है उसकी मौत हो जाती है। गुफा के अंदर 91 फीसदी जहरीली गैस मौजूद है।


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