होली पर्व का समापन रंग पंचमी

Share:

जयति भट्टाचार्य।
रंग पंचमी होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है। इसे होली के बाद पंचमी के दिन मनाया जाता है, यह फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष में होता है जब चंद्रमा का आकार घट रहा हो। रंग पंचमी भी एक दूसरे पर रंग डालकर मनाया जाता है। रंग का अर्थ है रंग और पंचमी का पांचवा दिन। देश के कुछ हिस्सों में रंग पंचमी के दिन ही होली खेली जाती है। महाराष्ट्र में इसे शिमगो या शिमगा कहते हैं। यह मुख्यतः मछुआरा समुदाय द्वारा मनाया जाता है। यह लोग पारंपरिक पालखी नृत्य करते हैं और गीत गाते हैं। मथुरा और वृंदावन के मंदिरों में रंग पंचमी से होली पर्व का समापन होता है। केवल यहीं नहीं देश में सभी स्थानों पर रंग पंचमी से होली पर्व का समापन होता है। रंग पंचमी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है।

मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन की अग्नि में सभी बुराइयों को नष्ट करने की शक्ति होती है अर्थात वातावरण में फैली सभी तामसिक गुणों को नष्ट करके राजसिक गुणों को वातावरण में फैलाती है। इससे आपके आस पास एक पवित्र आभा की सृष्टि होगी और वातावरण जबरदस्त सकारात्मकता से भर जाएगा। इस त्यौहार पर रंगों के माध्यम से कई देव देवियों का आहवान किया जाता है।

रंग पंचमी के त्यौहार को एक अन्य परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है। रंग पंचमी के त्यौहार का मुख्य उद्देश्य है पंच तत्व को सक्रिय करना। पंच तत्व जिससे ब्रह्मंाड का निर्माण हुआ है और माना जाता है कि मानव शरीर का निर्माण भी पंच तत्व के द्वारा ही हुआ है। रंग पंचमी का त्यौहार इन मुख्य पांच तत्वों को जगाकर जीवन में संतुलन बरकरार रखती है। इस वर्ष यानि २॰२१ में रंग पंचमी २ अप्रैल को मनायी जाएगी।


Share: