यमदूत बनी चीन की चमगादड़ वेज्ञानिक “झेंगली”

Share:

जैसा कि हम वुहान संक्रमण के समय से ही इस वायरस और इसके प्रभावों के बारे में जनमानस को जागरूक करते चले आ रहे हैं, मार्च के पहले सप्ताह में भी हमने अपने लेखों के ज़रिए चीन की कुत्सित नीति और केमिकल हथियार के रूप में विकसित किए गए इस करोना इस वायरस के बारे में सबको आगाह किया था और बिना डरे घबराए, चेहरे नाक मुँह को अच्छी तरह से ढकते हुए, दूरी बनाए रखने, पौष्टिक ताजा गर्म आहार लेने और धूप सेंकने की सलाह दी थी और आज अमेरिका और रूस के वैज्ञानिकों ने भी इस पर अपनी मोहर लगा दी है ।
आज अमेरिका और रूस ने भी कह दिया है कि चीन की इतनी ख़तरनाक युद्धनीति और मानव संहार के ज़रिए दुनिया भर के व्यापार, सरकारों और कम्पनियों पर क़ब्ज़ा जमाने वाली चीनी हरकतें अभी भी थमीं नही हैं।
सूत्र बताते हैं कि चायना की लेब में पंद्रह सो से भी अधिक ख़तरनाक वायरस अभी भी मौजूद हैं। चीनी करोना के क़हर से ख़फ़ा हुई दुनिया के प्रकोप से बचाने, दुनिया भर के लिए यमदूत बनी चीन की जिस चमगादड़ वेज्ञानिक “झेंगली” को, चीन ने वक्ती तौर पर ग़ायब कर दिया था, वो वापिस अपने लेब में काम पर लौट आई है और इस क्षेत्र से जुड़े लोगों, खोजकर्ताओं द्वारा रूस और अमेरिका को दी गई जानकारी अनुसार, झेंगली ने अब इस जानलेवा कोरोंना वायरस से भी ख़तरनाक वायरस बना लिया है, आज इस समय, जबकि पूरी दुनिया चीन पर कार्यवाही करना चाहती है, और अमेरिका के जंगी बड़े भी चीनी समुद्र क्षेत्र डाले बैठें हैं, तब यह ख़बर सारी दुनिया के लिए तो चिंताजनक है ही, लेकिन यह चीन पर मुश्कें कसने में जुटे, तथाकथित सुपर पॉवर देशों को धमकाने और करोना नरसंहार के आरोपों से बच निकलने के लिए भी चीन की एक छद्म धमकी या उपाय साबित हो सकती है।
परमाणु बम से तहस नहस जापान का हश्र देखकर फिर किसने हिम्मत की थी, अमेरिका से लड़ने की? और करोना से घुटनों पर आए देशों की बची खुची हिम्मत तो चीन की इस ढीठ घोषणा से ही टूट जाएगी कि उसके पास इससे भी घातक वायरस हैं, और अगर वाकई चीन ने इन वायरसों को दुनिया पर ढोल दिया तो? तब तो हर हाल में मौत सिर्फ़ और सिर्फ़ दुनिया भर के मासूम प्राणियों की ही होना है, और चीन पर यूँ भी किसी की तकलीफ़ों का, मौत का कोई असर तो कभी पड़ता दिखता ही नही है, जब वो अपने मासूम बच्चों पर गोलियाँ चलवा सकता है और अपने करोड़ों बेक़सूर बेबस नागरिकों को मारकर भी दुनिया के सामने पूरी ढीठता से खड़ा रह सकता है, तब इन परिस्थितियों में यह सन्निपात और भी भयानक साबित हो सकता है, क्योंकि अमेरिका जेसा देश भी, उसे इस वक़्त सिवाय गीदड़ भभकियाँ देने के, और कुछ तो कर नहीं पा रहा है और इस घोषणा के बाद तो कोई और कदम उठाने के पहले दस बार सोचेगा।
सवाल पर, फिर भी यही है कि, विश्व बाजार पर अपना प्रभुत्व जमाने और धन कमाने की लालसा में क्या सुपर पॉवर बनने को आतुर देश, मानवता भूल, सिर्फ़ विध्वंसक, नरसंहारक ही बने रहेंगे और क्या दुनिया यूँ ही इनकी लिप्साओं की भेंट चढती रहेगी? और जब दुनिया में सभ्यता ही नही बचेगी तब? लड़ाई जब कृत्रिम अदृष्य हथियारों से ही लड़ी जाने लगेगी तब इन बेलगाम मौतों के अदृष्य दुश्मनों को कौन सी सरहदें रोक पाएँगी और क्या ये वायरस सिर्फ़ चुन चुन कर चिन्हित सभ्यताओं का ही सर्वनाश करेंगे, अगर ऐसा ही संभव होता, तो फिर सबसे पहले वुहान केसे और क्यों निपटता?
जब कोई विध्वंसक, कुत्सित मानसिकता वाला राष्ट्रप्रमुख अपनी ताक़त का ग़लत इस्तेमाल करते हुए, ऐसे हथियार बनाने को अपनी उपलब्धि समझे, जिससे मानवता का विनाश हो सकता है, तो फिर उसे अपने घर के दस्तरख़ान भी अपनों की क़ब्रों और लाशों के ढेर पर ही बनाने के लिए तैयार रहना होगा, क्योंकि बचेंगे तो ये भी नही, इन भस्मासुरों से।
कितना अच्छा होता कि हथियार, बम और जानलेवा वायरस की जगह, दवाइयाँ बनाई जातीं, पेड़पोधे लगाए जाते, जनसंख्या की बेहिसाब भीड़ को रोक, दुनिया को खुशहाल बनाकर, सरहदों की बंदिशें तोड़ दी जातीं, बिन इजाजत, बिन सरहद बहती, हवाओं और नदियों से ही अगर सीख लेता इँसां, तो उसके जानवर बनने की नौबत ही क्यों आती?
खुशहाल धरती की मनोकामना और सबकी बेहतरी की उम्मीद लिए, लॉकडाउन ३.० के आखिरी दिन को नमस्ते,
मिलते हैं कल, नई सोच और उमंग का सवेरा लिए, तब तक जय जय श्रीराम ।

डॉ भुवनेश्वर गर्ग
डॉक्टर सर्जन, स्वतंत्र पत्रकार, लेखक, हेल्थ एडिटर, इन्नोवेटर, पर्यावरणविद, समाजसेवक
मंगलम हैल्थ फाउण्डेशन भारत
संपर्क: 9425009303
drbgarg@gmail.com facebook : https://www.facebook.com/DRBGARG.ANTIBURN/


Share:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *