गांव-गांव में मासिक धर्म की भ्रांतियों को तोड़ता नुक्कड़ नाटक

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मनीष कपूर।

विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस’ यानी ‘वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे 2023’ हर साल 28 मई को मनाया जाता है। इसका मकसद महिलाओं को माहवारी के दौरान साफ-सफाई के महत्‍व को समझाना है।

इसी कड़ी में हंस फाउंडेशन द्वारा आयोजित मासिक धर्म स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है जो 29 मई 2023 तक चलेगा।
जिसके तहत 22 मई 2023 से चल रहे इस अभियान में अभी तक नुक्कड़ नाट्य अभिनय संस्थान प्रयागराज के कलाकारों ने प्रयागराज के बहरिया, मऊआइमा, बहादुरपुर, सैदाबाद, मांडा, उरुआ, कोरावं, शंकरगढ़, मेजा और जसरा में नुक्कड़ नाटक “रजस्वला 2.0” का मंचन किया।

कृष्ण कुमार मौर्य द्वारा निर्देशित और नीतीश कुशवाहा द्वारा संयोजित इस नुक्कड़ नाटक में बताया गया की मासिक धर्म कोई अभिशाप नहीं, बल्कि एक वरदान है, सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है।

जिस पर घर और समाज में खुलकर बात की जाए तो इस दौरान स्वच्छता के महत्व को भी समझा जा सकता है। जिसके लिए हमें एक माहौल बनाना होगा और पुरानी परंपरागत सोच को बदलना होगा। यह स्वच्छता महिलाओं को स्वस्थ रखेंगी और विश्वास देगी आगे बढ़ने का, कभी नहीं रुकने का और डर को जड़ से खत्म कर देने का।

पहले के जमाने में इस विषय पर कोई भी खुलकर बात नहीं करता था और न ही चाहता था कि इतना बेबाकी से इस विषय पर दूसरे उनसे खुलें। महिलाओं को अपने शरीर की एक प्राकृतिक क्रिया के बारे में समय से पहले बताया ही नहीं जाता था तो उनके मानसिक रूप से तैयार होने और स्वच्छता बनाए रखने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। उल्टा उस स्थिति में उनसे, यह मत करो, वह मत करो।

मंदिर मत जाओ, अचार मत छुओ। एक जगह बैठो, ऐसा सब कहा जाता था। जो बहुत ही अजीब और बुरी लगती थी, लेकिन उन्हें झेलना पड़ता था। हालांकि आज फिर भी इन टैबू पर काफी हद तक लगाम लग चुकी है लेकिन आज भी गांव-देहात की महिलाएं मासिक धर्म को लेकर भ्रांति में जी रही हैं। उनमें न तो जागरूकता है और न ही उन्हें इससे होने वाली बीमारियों के बारे में पता है।

नुक्कड़ नाट्य अभिनय संस्थान के महिला कलाकारों ने ना सिर्फ ग्रामीण महिलाओं के सेनेटरी पैड का इस्तेमाल बताए बल्कि उसे नष्ट करने के उपाय भी बताएं।

इस अभियान में ना सिर्फ महिलाओं ने बढ़ चढ़कर भाग लिया बल्कि पुरुषों ने भी अपनी जिम्मेदारी को समझा।
कई ग्रामीणों ने बताया कि हम महीनों के अपने तंबाकू और गुटखा में काफी पैसा खर्च कर देते हैं यदि उससे भी कम पैसे में हमारे घर की महिलाएं स्वस्थ और सुरक्षित हैं तो हमें शर्म आनी चाहिए कि अभी तक हम अशिक्षित थे और उन्हें समझ नहीं पा रहे थे अब चुप्पी तोड़ना है और बढ़कर अपने घर की महिलाओं का ध्यान रखना है।

नुक्कड़ नाटक मंचन के दौरान द हंस फाउंडेशन प्रयागराज की टीम अपने प्रत्येक ब्लॉकों में अपने मोबाइल मेडिकल यूनिट यानी एंबुलेंस के साथ में कैंप लगाकर नुक्कड़ नाटक के बाद लोगों के चेकअप और उनकी बीमारियों को ध्यान रखते हुए इलाज किया जा रहा है। आपको बता दें यह एंबुलेंस गांव में प्रत्येक 15 दिन के बाद आती है और ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों की इलाज निःशुल्क करती है।
नुक्कड़ नाटक के अंत में किशोरियों को निःशुल्क सेनेटरी पैड वितरित किया।

आपको बता दें आसान नही था ग्रामीण अंचलों के लोगो को इस विषय पर जागरूक करना लेकिन कलाकारो के आपसी तालमेल और अपने सशक्त अभिनय से बड़े सहज और सरल तरीके से सीधे बिना किसी लग लपेट के इस तरह से खुल ले संवाद किया की ग्रामीण महिलाएं भी इस संवाद में शामिल होने लगी। कलाकारों में हेमलता साहू, कुमुद कन्नौजिया, प्रींशु सिंह, तनु सोनकर , पिंटू प्रयाग, कनिष्क सिंह, कौस्तुभ पांडे, प्रदीप कुमार के अलावा द हंस फाउंडेशन से प्रत्यक्ष पांडे, अभय कुमार और चंद्रभूषण मौजूद रहे।
द हंस फाउंडेशन के प्रत्यक्ष पांडे ने बताया की यह अभियान 29 मई 2023 तक चलेगा।


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