श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व विशेष: पिंकी सिंघल द्वारा

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लेखिका : पिंकी सिंघल

कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आता पर्व खुशियों से भरा । पाकर देवकी और वासुदेव पुत्र को महकी थी सम्पूर्ण धरा।।

भगवान श्री कृष्ण के जन्म का जश्न पूरा हिंदुस्तान बहुत ही जोरों शोरों से मनाता है। प्रतिवर्ष हिंदू चंद्र कैलेंडर के हिसाब से यह पर्व कृष्ण पक्ष के आठवें दिन अर्थात अष्टमी को श्रावण या भाद्रपद में मनाया जाता है ।इस धार्मिक उत्सव के उपलक्ष में पूरे भारतवर्ष में सरकारी अवकाश घोषित किया जाता है ।इस पर्व को कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से सारी दुनिया में जाना जाता है ।इस पर्व को मनाने का मुख्य उद्देश्य भगवान श्री कृष्ण को याद करना और उनके बताए मार्ग पर चलना होता है ।

इस दिन भक्तजन निर्जल व्रत करते हैं और रात को ही व्रत संपन्न कर प्रसाद बांटते हैं,भजन गाते हैं और मस्ती में घूमते हैं ।इस वर्ष अर्थात 2021 में यह पर्व आगामी 30 अगस्त को पड़ रहा है ।इस वर्ष भी प्रतिवर्ष की तरह यह पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाएगा। कोरोना के चलते कुछ सुरक्षा संबंधी इंतजाम के अनुपालन में ही यह पर्व मनाया जाएगा।

हिंदुओं का यह एक वार्षिक त्योहार है जिसे गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है ।अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से यह पर्व कभी अगस्त तो कभी सितंबर के माह में आता है।कृष्णा जन्माष्टमी को जन्माष्टमी कहा जाता है। भारत के साथ-साथ नेपाल में रहने वाले हिंदू और अन्य भारतीय प्रवासी भी इस पर्व को पूरी आत्मीयता और श्रद्धा के साथ मनाते हैं।

इस दिन जगह-जगह पर श्री कृष्ण की झांकियां सजाई जाती हैं और व्रत और पूजन किया जाता है ।हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण जिन्हें नटखट गोपाल भी कहा जाता है, का जन्म हुआ था ।पूरा वर्ष भगवान कृष्ण के भक्त इस दिन का इंतजार करते हैं और रात को 12:00 बजे कान्हा की पूजा करने के बाद ही अपना व्रत खोलते हैं ।भगवान श्री कृष्ण देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान थे ।

कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आता पर्व खुशियों से भरा। पाकर देवकी और वासुदेव पुत्र को महकी थी सम्पूर्ण धरा।।

श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर मथुरा और वृंदावन में खासी धूम मची होती है क्योंकि श्री कृष्ण का पूरा बचपन मथुरा में ही बीता था।इस दिन मथुरा में घरों और मंदिरों में विशेष रूप से सजावट की जाती है।वहां के मंदिरों की शोभा देखते ही बनती है। सभी प्रसिद्ध कृष्ण मंदिरों और धाम में विशेष प्रकार के आयोजन भी किए जाते हैं ।कृष्ण भक्त तो इस दिन उपवास रखकर अपने कान्हा की भक्ति में इस कदर डूब जाते हैं कि उन्हें सांसारिक गतिविधियों का कोई ध्यान ही नहीं रहता ।

दही हांडी तो कहीं नृत्य से श्रद्धा में डूबे भक्तों की टोलियां। मथुरा वृंदावन मंदिर में खड़े आस्था संग लोग फैलाएं झोलियां।।

मथुरा ,वृंदावन ,गोवर्धन ,नंदगांव ,महाबन आदि के मंदिरों में विभिन्न विभिन्न प्रकार से जन्माष्टमी मनाई जाती है ।राधा रानी की नगरी वृंदावन के मंदिरों में तो दिन में जन्माष्टमी मनाई जाती है लेकिन श्री कृष्ण जन्म स्थान की जन्माष्टमी का पभी भक्तों के लिए विशेष आकर्षण इसलिए होता है कि वह उस दिव्य स्थान पर प्रभु के दर्शन कर स्वयं को धन्य समझते हैं।

इस दिन निकलने वाली झांकियों को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है ।

जन्माष्टमी को समझ दीवाली घर घर में दीप जलाते हैं।

पाने एक झलक कान्हा की लोग दूर दूर से आते हैं।

हालांकि इस बार कोरोना की वजह से जन्माष्टमी पर्व की धूमधाम पिछले वर्षों के मुकाबले में बहुत कम नजर आएगी क्योंकि मंदिरों में भी सोशल डिस्टेंसिंग का बड़ी सख्ती से पालन किया जाता है।

कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति जन्माष्टमी का व्रत जप के साथ पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ संपन्न करता है उसे जन्माष्टमी के व्रत का अनंत फल प्राप्त होता है और अकाल मृत्यु से उसकी रक्षा भी होती है ।पूरे विधि विधान से व्रत का अनुपालन करने वाले लोगों को सुखी और स्वस्थ रहने का वरदान भी प्राप्त होता है और उसके हजारों लाखों वर्षों के पाप एक क्षण में नष्ट हो जाते हैं ।कहने का तात्पर्य यह है कि जन्माष्टमी का व्रत पुण्य प्रदान करने वाला है क्योंकि कहा जाता है कि एक जन्माष्टमी का व्रत एक हजार एकादशी व्रत रखने के पुण्य की बराबरी करता है। यह एक अद्भुत ईश्वरीय वरदान है और ईश्वर की भक्ति में डूब कर व्रत का अनुपालन करने से जन्माष्टमी के व्रत का असली फल तो प्राप्त होता ही है और साथ ही सारी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।इस व्रत के अनुपालन से व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और साथ ही साथ जीवन में खुशियों का शुभ आगमन भी होता है।

कुछ लोग जन्माष्टमी के अवसर पर अपने घर में बाल गोपाल की मूर्ति लाकर उसकी पूरे विधि विधान से पूजा करते हैं क्योंकि कहा जाता है कि भगवान के बाल रूप की पूजा करने से भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटते और घर में सुख संपदा का आगमन अवश्य होता है।

गिरधर गोपाल माधव केशव या कहो गोवर्धन गिरधारी। मदन मोहन को बांके बिहारी के नाम से भी जाने दुनिया सारी।।

दूसरे शब्दों में ,यह पर्व घर में धन-संपत्ति और समृद्धि लाता है और सांसारिक जीवन में प्रगति पथ का मार्ग प्रशस्त करता है तथा हमारे जीवन से हर प्रकार की समस्याएं और रुकावटें बाधाएं दूर हो जाती हैं। जीवन में उन्नति, प्रगति और ज्ञान की प्राप्ति के लिए भक्तजन पूरी आस्था से यह व्रत रखते हैं और मोक्ष की आकांक्षा करते हुए भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन पूरी धूमधाम से मनाते हैं ।कहा जाता है कि नियमित रूप से जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले लोगों के जीवन की दिशा ही बदल जाती है और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आने शुरू हो जाते हैं ।

सजते मंदिर सारे मानों सजती कोई दुल्हन प्यारी हो। निर्जल व्रत करते जो भक्तजन महकती उनकी घर क्यारी हो।।

दोस्तों ,पर्व चाहे कोई भी हो परंतु यदि पूरे मान-सम्मान श्रद्धा भक्ति भाव और आस्था के साथ मनाया जाए तो उसका फल अवश्य प्राप्त होता है क्योंकि कहा गया है कि भगवान को मानने वालों के लिए संसार में सब कुछ है और ना मानने वालों के लिए कुछ भी नहीं। सोच सिर्फ फर्क का है, आस्था का है और हमारे विश्वास का है।

पूरे वर्ष भर रहता भक्तों को इंतजार एक इस पल का। तुलसी के पौधों के संग संग है वृंदावन घर छोटे बड़े हर ग्वाल का।।

लेखिका अध्यापिका है, रहती है शालीमार बाग, दिल्ली।


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