संतोष के भ्रष्टाचार पर डीएम के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले विधायक मौन क्यों?
सुलतानपुर
सुल्तानपुर के लंभुआ विधानसभा क्षेत्र से विधायक देवमणि द्विवेदी ने पिछले दिनों सुल्तानपुर की जिला अधिकारी सी इंदुमती के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर उत्तर प्रदेश के सियासी और नौकरशाही गलियारों में भले ही हलचल मचा दी हो परंतु यह बात भी सही है कि सुल्तानपुर जनपद में ही विधायक जी की ही विधानसभा का एक अद्वितीय भ्रष्टाचारी है जिसके साथ विधायक देवमणि द्विवेद्वी के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। विधायक लम्भुआ पर उच्च न्यायालय के द्वारा घोषित जालसाज का संरक्षण करने का आरोप है,संतोष सिंह इतना बड़ा जालसाज है कि 15 वर्षों तक वह जिन 3 विद्यालयों लालजी सिंह शिक्षण संस्थान प्राथमिक विद्यालय, लाल जी सिंह उच्च शिक्षण संस्थान ,रामरती सिंह बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय कोथरा कला का संचालन करता रहा इन तीनों विद्यालयों में उसने इस बीच कुल 32.70लाख रुपये सांसद/ विधायक निधि इसके अलावा इस विद्यालय के छात्र छात्राओं को करोड़ों रुपए छात्रवृत्ति के रूप में धन आवंटित किए गए वह विद्यालय कहीं थे ही नहीं ।इसीलिए इसे प्रदेश का अद्वितीय भ्रष्टाचार कहा जा सकता है।
और संतोष सिंह का चौथा लालजी सिंह महाविद्यालय है जो वास्तव में स्थापित है। लंभुआ के विधायक देवमणि द्विवेदी उस विद्यालय में कई बार फीता काटते नजर आ रहे है।
संतोष कुमार सिंह के ऊपर लखनऊ माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सुल्तानपुर की जिलाधिकारी सी इंदुमति ने एक कमेटी का निर्माण किया जिसका अध्यक्ष उन्होंने सुल्तानपुर के मुख्य राजस्व अधिकारी को बनाया इसके अलावा इसके अन्य चार सदस्य कोषाधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, तहसीलदार सदर और जिला समाज कल्याण अधिकारी सुलतानपुर को नामित किया गया।
इस जांच समिति ने अपनी जांच में पाया की जिन विद्यालयों के नाम पर संतोष कुमार सिंह 15 वर्षों तक मलाई काटता रहा वह विद्यालय धरातल पर नही पाया गया इसके बावजूद जिला अधिकारी सी इंदुमती के आदेश पर आज तक सिर्फ बेसिक शिक्षा अधिकारी के अलावा किसी भी अधिकारी ने मुकदमा दर्ज नहीं कराया है। जबकि जिला अधिकारी के 16 जुलाई 2020 के पत्र के अनुसार परियोजना निदेशक, जिला ग्राम्य विकास अभिकरण, जिला समाज कल्याण अधिकारी, जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुल्तानपुर को इसके विरुद्ध संबंधित विधि विरुद्ध कार्रवाई किया जाना और प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करना अति आवश्यक है और रिकवरी की कार्रवाई होनी आवश्यक है, परंतु क्या कारण है कि जिस व्यक्ति को जेल की सलाखों के भीतर होना चाहिए वह लंभुआ के विधायक देवमणि द्विवेदी की फोटो लगाकर पूरे जनपद के अधिकारियों पर दबाव बना रहा है।
सूत्रों की माने तो जिले के कुछ अधिकारी अपनी दबी जुबान से यहा तक कहा कि विधायक जी ने कहा है अगर संतोष सिंह पर कार्यवाही हुई तो समझ लेना देवमणि के ऊपर कार्यवाही हुई। अब प्रश्न यह है कि जिसके ऊपर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने 406, 420, 467,468 और 471 जैसी संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है उसका संरक्षण कौन कर रहा है?
क्या देवमणि द्विवेदी संतोष सिंह की गिरफ्तारी के लिए भी उसी तरह से मुख्यमंत्री को पत्र लिखेंगे जिस तरह से उन्होंने जिला अधिकारी को कटघरे में खड़ा किया है?
योगी सरकार के जीरो टॉलरेंस की नीति को देखते हुए भ्रस्टाचार के इन मुददों पर उनके ही विधायक का यह दोहरा मानदंड जहा सत्ता के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है वहीं जनता भी विधायक के इन कारनामे को अलग अलग नजरिये से देख रही है।हालांकि पूरे प्रकरण में कौन सही कौन गलत है जनता सब जान रही है।